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नमक टूरिज्म का : सैलानियों को खींच रही नमक नगरी सांभर...प्रवासी पक्षी, शाकंभरी माता मंदिर और देवयानी सरोवर आकर्षण का केंद्र

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Published : Sep 10, 2021, 8:17 PM IST

Updated : Sep 10, 2021, 10:28 PM IST

जयपुर शहर में पर्यटन एक बार फिर गुलजार है. जयपुर के आस-पास के पर्यटन स्थलों पर भी सैलानी पहुंच रहे हैं. जयपुर के सांभर में नमक की झील सांभर पर भी पर्यटक पहुंच रहे हैं. नमक उत्पादन के लिए प्रसिद्ध रही सांभर झील अब पर्यटकों की पहली पसंद बनी हुई है.

Sambhar Lake Tourism Jaipur
सांभर झील पर्यटन जयपुर

जयपुर. प्रवासी पक्षियों की चहक से गुलजार सांभर झील यूं तो नमक उत्पादन के लिए जानी जाती है. लेकिन सांभर में इस झील के अलावा शाकंभरी माता मंदिर, देवयानी सरोवर और दादू दयालजी की छतरी जैसे पर्यटन स्थल हैं. यहां साल भर देशी-विदेशी पावणों का आना-जाना लगा रहता है.

राजस्थान का पर्यटन बाजार एक बार फिर रफ्तार पकड़ रहा है. पर्यटन स्थलों पर भी रौनक लौटने लगी है. सांभर झील भी देसी-विदेशी पर्यटकों को आकर्षित कर रही है. पर्यटक यहां सपरिवार घूमने आ रहे हैं. शनिवार और रविवार को सांभर झील आने वाले पर्यटकों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है.

सांभर झील बन रही बड़ा टूरिस्ट स्पॉट, कई वजह से आ रहे पर्यटक

सांभर झील विश्व प्रसिद्ध खारे पानी की झील है. पर्यटन के क्षेत्र में भी इस झील की पहचान बन रही है. सांभर झील में उच्च गुणवत्ता का नमक उत्पादित होता है. जिसे देश-विदेश में निर्यात किया जाता है. इसीलिए सांभर को नमक की नगरी कहा जाता है. यह झील वर्षों से सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करती रही है. फिल्मों की शूटिंग और प्री-वेडिंग शूट ने भी सांभर झील को विशेष पहचान दिलाई है.

सांभर झील में दर्जनों प्रजातियों के देशी-विदेशी पक्षी प्रवास के लिए आते हैं. इन पक्षियों की तादाद बढ़ रही है. बर्ड लवर्स भी सांभर झील तक आते हैं और कैमरों में पक्षियों के फोटो क्लिक करते हैं. इस बार मानसून में सांभर झील में पानी की अच्छी आवक हुई है. सांभर झील में प्रवास के लिए विदेशी पक्षी फ्लेमिंगो का आना शुरू हो चुका है. फ्लेमिंगो के झुंड भी पर्यटकों को लुभा रहे हैं. सांभर झील इलाके में चलने वाली हैरिटेज ट्रेन भी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है.

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पर्यटकों की तादाद के कारण होटल-रिसोर्ट फुल

सांभर झील के पर्यटन का मजा लेने के लिए हजारों पर्यटक पहुंच रहे हैं. इसके कारण यहां के होटल और रिसोर्ट की बुकिंग फुल है. इसके कारण होटल मालिकों के चेहरे खिले हैं. पर्यटकों के आने से स्थानीय लोगों को रोजगार मिला है. सांभर झील का पर्यटन बाजार पटरी पर लौटता हुआ नजर आ रहा है. पर्यटन से जुड़े कारोबारियों में भी जबरदस्त उत्साह है.

ये स्थल भी पर्यटकों को कर रहे आकर्षित

सांभर झील के बीच पहाड़ी पर चौहान वंश की कुलदेवी शाकंभरी माता का मंदिर भी है. मान्यता है कि शाकंभरी माता के आशीर्वाद से ही सांभर झील का निर्माण हुआ था. नवरात्र के दिनों में माता के दर्शन करने श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं. भाद्र पद शुक्ल नवमी को माता का मेला भी लगता है. इस दौरान सांभर झील आने वाले पर्यटक माता के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं. माता शाकंभरी के दर्शन करने आए श्रद्धालु भी सांभर झील का विजिट करते हैं. सांभर कस्बा शाकंभरी माता की नगरी के नाम से भी प्रसिद्ध है.

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सांभर कस्बे में देवयानी सरोवर भी है. यह सरोवर सभी तीर्थों की नानी कहा जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार असुरों के गुरु शुक्राचार्य की पुत्री का नाम देवयानी था. उसी के नाम पर देवयानी सरोवर बना है. देवयानी सरोवर पर करीब एक दर्जन से अधिक घाट बने हुए हैं. जहां गंगामाता मंदिर, रघुनाथ मंदिर, गणेश मंदिर, जागेश्वर मंदिर, बिहारी जी मंदिर, नीलकंठ मंदिर हैं.

मान्यता है कि इस सरोवर में स्नान करने वाले के सभी पाप धुल जाते हैं. सांभर झील के एक छोर पर दादू पंथ के संस्थापक दादू दयाल की छतरी मौजूद है. श्रद्धालु दादू दयाल की छतरी के दर्शन करने भी यहां आते हैं. मान्यता है कि दादू दयाल महाराज ने यहीं तपस्या की थी और उनके प्रतीक स्वरूप उनके चरण आज भी यहां मौजूद हैं. सांभर झील में दादूद्वारा भी है. यहां दादू पंथ को मानने वाले श्रद्धालु साल भर दर्शनों के लिए पहुंचते हैं.

Last Updated :Sep 10, 2021, 10:28 PM IST

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