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केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के पक्षी नेताओं को वोट देने लगें तो घना को तुरंत पानी मिल जाए: अनिरुद्ध भरतपुर

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Published : Sep 19, 2022, 9:37 PM IST

Anirudh Bharatpur on Ghana water crises
Anirudh Bharatpur on Ghana water crises ()

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में पानी का संकट बढ़ता जा रहा है लेकिन समस्या का समाधान नहीं हो रहा है. इसे लेकर कैबिनेट मंत्री विश्वेंद्र सिंह के पुत्र अनिरुद्ध भरतपुर ने गहलोत सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यदि पार्क के पक्षी नेताओं को वोट देने लगें तो घना में भी जल संकट (Anirudh Bharatpur on Ghana water crises) तुरंत समाप्त हो जाए.

भरतपुर. विश्व विरासत केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में जल संकट को लेकर कैबिनेट मंत्री विश्वेंद्र सिंह के पुत्र अनिरुद्ध सिंह भरतपुर ने स्थानीय नेताओं और मंत्रियों को आड़े हाथों लिया है. अनिरुद्ध भरतपुर ने (Anirudh Bharatpur on Ghana water crises) कहा कि यदि केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान की बर्ड्स नेताओं को वोट डालना शुरू कर दें और उद्यान से नेताओं को 'अनऑफिशियल रेवेन्यू' मिलना शुरू हो जाए तो घना को तुरंत पानी मिल जाएगा.

अनिरुद्ध भरतपुर ने कहा कि केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (Keoladev National park) गोल्डन ट्रायंगल पर स्थित है. यह रणथंभौर टाइगर रिजर्व से भी अच्छी लोकेशन पर है, लेकिन रणथंभौर का प्रशासन हर दिन बेहतर करने का प्रयास करता है. यही वजह है कि आज उसे दुनियाभर में अच्छी पहचान मिली है. उन्होंने कहा कि भरतपुर में चार मंत्री और दो राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त नेता हैं. उनको इस बारे में सोचने के साथ इसकी बेहतरी के कुछ करना चाहिए.

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में जल संकट पर बोले अनिरुद्द

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उद्यान में पानी की समस्या पर (Keoladev National park water crises) अनिरुद्ध भरतपुर ने कहा कि इसके लिए अधिकारियों को उद्यान आकर विजिट करना चाहिए और यहीं पर इसके समाधान का निर्णय लेना चाहिए. लेकिन इसके लिए भी अधिकारियों की जयपुर के एसी चैंबर में मीटिंग हो रही हैं. जबकि यह कोई ऐसा उलझा हुआ मसला नहीं है जिसका समाधान न निकाला जा सके. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भी घना के लिए पानी उपलब्ध कराया ही था. अगर चाहे तो ये सरकार भी पानी उपलब्ध करा सकती है.

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अनिरुद्ध भरतपुर ने कहा कि यदि सुबह 9 बजे पानी छोड़ा जाए तो शाम 6 बजे तो यहां पानी पहुंच जाए लेकिन लोग करना ही नहीं चाहते. अनिरुद्ध भरतपुर ने कहा कि यदि नेताओं को केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान से 'अनऑफिशियल रेवेन्यू' मिलना शुरू हो जाए और बर्ड्स वोट डालना शुरू कर दें तो घना को तुरंत पानी मिल जाएगा.

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गौरतलब है कि इस बार केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान को मानसून सीजन में 550 एमसीएफटी पानी के बजाय सिर्फ 105 एमसीएफटी पानी ही मिल पाया है. इसका सीधा असर उद्यान में आने वाले प्रवासी पक्षियों की संख्या पर पड़ेगा. उद्यान में पानी की कमी की वजह से कम प्रजाति के और कम संख्या में पक्षी आएंगे, जिससे पर्यटन सीजन भी प्रभावित होने की आशंका है.

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