जयपुर. इंटरनेट और तकनीक पर लगातार बढ़ रही निर्भरता ने एक तरफ जहां लोगों के काम आसान कर दिए हैं, वहीं, इसके साइड इफेक्ट भी लगातार सामने आ रहे हैं. तकनीक के लगातार बढ़ते चलन से साइबर क्राइम की वारदातों में भी लगातार इजाफा हो रहा है. साइबर क्राइम के लगातार बढ़ते मामले आमजन के साथ ही पुलिस और अन्य जांच एजेंसियों के लिए भी चिंता का सबब बन रहे हैं. खास बात यह है कि शातिर साइबर ठग वारदात का तरीका लगातार बदलते रहते हैं. ऐसे में लोग जाने-अनजाने उनका शिकार बन ही जाते हैं और जब तक उन्हें कुछ समझ में आता है. वे लाखों करोड़ों रुपए की साइबर ठगी का शिकार हो जाते हैं. साइबर ठगी की दुनिया में अब डिजिटल अरेस्ट की सबसे ज्यादा चर्चा है, जिसमें प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), सीबीआई और अन्य जांच एजेंसियों की कार्रवाई का डर दिखाकर लोगों को शिकार बनाया जा रहा है.
पहले कॉल, फिर वीडियो कॉल कर देते हैं झांसा : साइबर ठग अपने शिकार को पहले कॉल करते हैं और उनके खिलाफ शिकायत, सबूत या जांच होने की बात कहकर उसे डराते हैं. इसके बाद वे उन्हें कुछ खास एप के जरिए वीडियो कॉल करते हैं. इस दौरान सामने स्क्रीन पर दिखाई देने वाले शख्स की वर्दी और हावभाव ऐसे होते हैं कि पीड़ित सच में उसे किसी जांच एजेंसी का बड़ा अधिकारी समझ बैठता है और अपनी सारी जानकारी साझा कर देता है.
जांच के नाम पर रकम खातों में करवाते ट्रांसफर : डीजी (साइबर क्राइम और तकनीकी सेवाएं) डॉ. रवि प्रकाश मेहरड़ा बताते हैं कि शातिर साइबर अपराधी अपने शिकार को चंगुल में फंसाने के बाद उसे मानसिक रूप से इतना प्रताड़ित करते हैं कि वह अपने बैंक खातों के साथ ही अन्य व्यक्तिगत जानकारी भी उनसे शेयर कर देता है. इसके बाद वे बड़ी मात्रा में रकम पीड़ित के बैंक खाते से अपने अकाउंट में ट्रांसफर करवाते हैं और जांच पूरी होने के बाद रकम लौटाने का भरोसा दिलाते हैं. इस दौरान वे शिकार को सख्त हिदायत देते हैं कि किसी को भी इसके बारे में नहीं बताए. इससे समय पर कार्रवाई भी नहीं हो पाती है.
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आम हो या खास, सावधानी ही बचाव : डॉ. रवि प्रकाश मेहरड़ा का कहना है कि साइबर ठगी की वारदात को अंजाम देने वाले शातिर बदमाश लगातार वारदात का तरीका बदलते रहते हैं. कई बार काफी पढ़े लिखे और समझदार लोग भी उनका शिकार बन जाते हैं. ऐसे में सावधानी रखकर और जागरूक बनकर ही साइबर ठगी की वारदातों से बचा जा सकता है. किसी भी अनजान शख्स को कॉल या वीडियो कॉल पर अपनी निजी या बैंक खातों संबंधी जानकारी शेयर करने से बचना चाहिए.
केस 01- प्रोफेसर से 7.67 करोड़ ठगे, सीबीआई करेगी जांच : वर्चुअली बंधक बनाकर ठगी करने का पहला बड़ा मामला झुंझुनूं में बीते साल सामने आया था. अपराधियों ने महिला प्रोफेसर को डरा-धमकाकर एक एप डाउनलोड करवाया और फिर वीडियो कॉन्फ्रेंस से छानबीन करने लगे. इस दौरान महिला ने 42 बार में 7.67 करोड़ रुपए बदमाशों के खाते में जमा करवा दिए. अब छानबीन में सामने आया है कि इस वारदात के तार विदेशों से भी जुड़े हुए हैं. ऐसे में अब इस मामले की सीबीआई जांच की अनुशंसा की गई है.
केस 02 - क्राइम ब्रांच में केस के बहाने 10 लाख ठगे : जयपुर के एक युवक के खिलाफ मुंबई क्राइम ब्रांच में केस दर्ज होने और सिम बंद करने की धमकी देकर पिछले दिनों साइबर अपराधियों ने दस लाख रुपए ठग लिए. इस संबंध में पीड़ित की ओर से पुलिस कमिश्नरेट के साइबर थाने में मुकदमा दर्ज करवाया गया है. पीड़ित युवक को छानबीन के नाम पर वीडियो कॉल कर दबाव बनाया गया. इसके बाद उसने अपराधियों के बताए खाते में दस लाख रुपए जमा करवा दिए.