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Jabalpur High Court News राहुल सिंह लोधी की चली गई विधायकी, HC ने भाजपा विधायक का निर्वाचन किया शून्य, सभी लाभों से वंचित

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Published : Dec 7, 2022, 10:39 PM IST

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जबलपुर हाई कोर्ट ने भाजपा विधायक राहुल सिंह लोधी का निर्वाचन रद्द कर दिया ()

जबलपुर हाई कोर्ट ने खरगापुर विधानसभा क्षेत्र के भाजपा विधायक राहुल सिंह लोधी का निर्वाचन रद्द कर दिया. आदेश की प्रति मध्य प्रदेश राज्य निवार्चन आयोग व भारत निर्वाचन आयोग को भेजने के निर्देश दिए गए हैं. इतना ही नहीं इस आदेश के साथ ही राहुल लोधी को विधायक पद के सभी वेतन और लाभों से वंचित किया गया है. विधायक पर नामांकन पत्र में गलत जानकारी देने और जुर्माना नहीं भरने का आरोप था.

जबलपुर। हाई कोर्ट की न्यायमूर्ति नंदिता दुबे की एकलपीठ ने टीकमगढ़ जिला के खरगापुर विधानसभा क्षेत्र के भाजपा विधायक राहुल सिंह लोधी (MLA Rahul Singh Lodhi) का निर्वाचन शून्य घोषित कर दिया है. आदेश की प्रति मध्य प्रदेश राज्य निवार्चन आयोग व भारत निर्वाचन आयोग को भेजने के निर्देश दिए गए हैं. निर्वाचन शून्य होने के साथ लोधी को मिल रहे विधायक संबंधी सभी लाभ रोके जाने के भी निर्देश दिए गए हैं. पूर्व में हाई कोर्ट द्वारा लोधी पर लगाए गए 10 हजार रुपये जुर्माने की राशि भी चंदा सिंह गौर को भुगतान न किए जाने का भी आरोप लगाया गया था.

जबलपुर हाई कोर्ट ने भाजपा विधायक राहुल सिंह लोधी का निर्वाचन रद्द कर दिया

नामांकन पत्र में छिपाई जानकारी: अदालत ने फैसले में कहा कि राहुल सिंह लोधी ने नामांकन फॉर्म में जानकारी छुपाई थी. यह आरोप 2018 में खरगापुर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस की टिकट पर पराजित प्रत्याशी रहीं चंदा सिंह गौर ने लगाया था. हाई कोर्ट ने सभी तर्क सुनने के बाद अपने आदेश में निर्वाचन अधिकारी द्वारा नियमों के दायरे से बाहर जाकर नामांकन मंजूर करने को लेकर तल्ख टिप्पणी की. इस रवैये को लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा-134 का उल्लंघन निरूपित किया.

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जुर्माना नही भरना पड़ा भारी: चुनाव याचिकाकर्ता चंदा सिंह गौर की ओर से चुनाव याचिका में आरोप लगाया गया था कि पूर्व में जब वे विधायक निर्वाचित हुई थीं, तब लोधी ने उनके विरुद्ध चुनाव याचिका दायर की थी. जिसे 10 हजार रुपये जुर्माने सहित निरस्त किया गया था. हाई कोर्ट के निर्देश के पालन में लोधी को यह राशि गौर को देनी थी, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. चूंकि यह रवैया लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा-100 के उल्लंघन की परिधि में आता है, अत: निर्वाचन निरस्त कर दिया जाना चाहिए. इसके अलावा नामांकन पत्र भी दो जमा किए गए थे, जिनमें परस्पर विरोधाभासी जानकारी दी गई थी. ठेका कंपनी से पार्टनरशिप की जानकारी पूरी तरह छिपाने की गलती की गई थी.

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