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गरीबों को दिए जाने वाले चावल पर व्यापारियों का डाका

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Published : Jan 29, 2021, 1:25 AM IST

इंदौर की तरह नीमच जिले में भी सरकारी राशन माफिया सक्रिय है, लगातार गरीबों के हक का गेहूं व चावल मिलावटखोरों से जब्त किया जा रहा है.

PDS rice given to the poor caught by pickup
चावल पर व्यापारियों का डाका

नीमच। प्रदेश में लगातार खाद्य एवं औषधि व खाद्य आपूर्ति विभाग राशन माफियों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है. आए दिन मिलावटखोर व कालाबाजारी करने वाले लोग पकड़े जा रहे है. फिर भी कालाबाजारी करने वालों के हौंसले बुलंद होते दिखाई दे रहे है. इसी के तहत नीमच जिले में बुधवार रात को एक बार फिर खाद्य आपूर्ति विभाग की टीम ने सरवानिया महाराज में पीडीएस के चावल से भरी पिकअप को पकड़ा है.

बता दें कि पिकअप में 57 कट्‌टों में 28.36 क्विंटल चावल भरा हुआ मिला. जिसे खाद्य आपूर्ति विभाग ने अपने कब्‍जे में लेकर आरोपी को पुलिस के हवाले कर दिया. वहीं लगातार कालाबाजारी करने वालों लोगों पर कार्रवाई होने के बावजूद खाद्य आपूर्ति विभाग और पुलिस अवैध कारोबार की अंतिम कड़ी तक नहीं पहुंच पा रही है. इसका एक बड़ा कारण तकनीकी वितरण व्यवस्था में कोई गड़बड़ी नहीं मिल पाना भी हैं. कोई उपभोक्ता शिकायत भी नहीं करता है इसलिए अवैध कारोबार लगातार जारी है.

जिन व्यपारियों का माल जब्त होता है, उन व्यापारियों पर केस दर्जकर कार्रवाई की इतिश्री कर ली जाती है. वहीं शासकीय चावल के अवैध परिवहन की सूचना पर कनिष्ठ खाद्य आपूर्ति अधिकारी विजय निनामा पहुंचे और उन्होंने जांच की तो हजारों किलो गरीबों को बांटे जाने वाला चावल बरामद हुआ.

पुलिस पूछताछ में पिकअप चालक ने बताया कि सरवानिया महाराज के भरत राठौर के यहां से उक्त चावल की गाड़ी में भरकर लाया हैं, जो जावद के दिलीप राठौर को देने जा रहा था. दोनों लोगों से दूरभाष पर सम्‍पर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन सम्‍पर्क नहीं हो पाया. जिसके बाद विभाग ने चावल को गोदाम में रखवा दिया हैं.

अब तक कुल 1235 क्विंटल चावल बरामद

पिछले कुछ माह में की गई छापामार कार्रवाई के दौरान शहर सहित जिलेभर के 7 व्यापारियों से करीब 1235 क्विंटल पीडीएस का चावल जब्त किया गया है. इसमें विभाग ने व्यापारियों के खिलाफ थाने में मामला तो दर्ज करवाया है, लेकिन पुलिस ने अब तक यह पता नहीं लगाया हैं कि आखिरकार गरीबों का चावल व्‍यापारियों के पास कैसे पहुंचा रहा है.

शिकायत व आशंका के आधार पर कुछ उचित मूल्य दुकानों के आवंटन, स्टाक व वितरण प्रक्रिया का आकस्मिक निरीक्षण और जांच भी किया गया, फिर भी अब तक यह नहीं पता चला है कि व्‍यापारियों के पास शासकीय उचित मूल्‍य की दुकान पर बिकने वाला राशन कैसे पहुंच रहा.

वहीं अंतिम कड़ी में राशन दुकान संचालक भी शामिल हो सकते है, क्योंकि शासकीय राशन दुकान पर ही सरकारी राशन का आवंटन होता है, फिर गरीबों को बांटे जाने वाला चावल सीधे व्यापारियों के गोदाम तक कैसे पहुंच जाता है!

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