झाबुआ। प्रदेश में सरकार ने किसानों के खेतों की मिट्टी के परीक्षण के लिए हर विकासखंड पर मृदा परीक्षण प्रयोगशाला खोली गई. लेकिन विश्व मृदा दिवस होने के बावजूद इन भवनों को नहीं खोला गया. और ना ही किसानों के लिए उपयोगी इन प्रयोगशालाओं के लिए तकनीकी संसाधन और विशेषज्ञों की नियुक्ति कृषि विभाग ने अब तक की गई है.
इन प्रयोगशालाओं को झाबुआ जिले में मंडी बोर्ड मद के माध्यम से बनाया गया. जिसमें प्रत्येक भवन की लागत लगभग 3 लाख 50 हजार आई है. हैरानी की बात तो ये है कि किसानों को अभी तक ये भी नहीं मालूम कि उनके खेतों की मिट्टी का परीक्षण होता है, और कौन सा विभाग ये काम करता है. हालांकि विभाग के अधिकारी अपने अपने आंकड़े और तर्क दे रहे हैं.
झाबुआ जिले के मेघनगर, थांदला, राणापुर और रामा में मृदा परीक्षण प्रयोगशाला बनाई गई है. जिसमें से मेघनगर और थांदला के भवन कृषि विभाग को मंडी बोर्ड ने हस्तांतरित कर दी है. जबकि राणापुर और रामा विकासखंड के प्रयोगशाला है अभी अधूरे निर्माण के चलते अटके हुए हैं.
Body:आज विश्व मृदा दिवस होने के बावजूद न तो इन भवनों को खोला गया और ना ही किसानों के लिए उपयोगी इन प्रयोगशालाओं के लिए तकनीकी संसाधन और विशेषज्ञों की नियुक्ति कृषि विभाग ने अब तक कि है। हैरानी की बात तो यह है कि किसानों को अभी तक यह भी नहीं मालूम कि उनके खेतों की मिट्टी का परीक्षण होता है ,और कौन सा विभाग यह काम करता है ।हालांकि विभाग के अधिकारी अपने अपने आंकड़े और तर्क दे रहे हैं।
Conclusion:झाबुआ जिले के मेघनगर ,थांदला ,राणापुर और रामा में मृदा परीक्षण प्रयोगशाला बनाई गई है जिसमें से मेघनगर और थांदला के भवन कृषि विभाग को मंडी बोर्ड ने हस्तांतरित कर दी है जबकि राणापुर और रामा विकासखंड के प्रयोगशाला है अभी अधूरे निर्माण के चलते अटके हुए हैं विभाग द्वारा इन प्रयोगशाला में पत्नी की सामग्री और विशेषज्ञों की नियुक्ति न होने के कारण इन केंद्रों का उपयोग फिलहाल नहीं किया जा रहा ।
इन प्रयोगशालाओं में कृषि विभाग की ओर से लगभग ₹1000000 की मशीनरी भी इंस्टॉल की जाना है थांदला और मेघनगर में यह मशीनरी इंस्टॉल की जा चुकी है बावजूद अभी विशेषज्ञों की कमी होने के चलते इन केंद्रों को किसानों के लिए नहीं खोला जा रहा।
बाइट : नगीन रावत, उपसंचालक कृषि झाबुआ
बाइट :किसान
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बाइट : कृषि विकास खंड अधिकारी मेघनगर