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होमगार्ड सैनिकों को हाईकोर्ट से बड़ी राहत, दो माह के कॉल ऑफ मामले में कोर्ट ने ये दिया आदेश

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Dec 1, 2023, 4:09 PM IST

Home Guard soldiers Relief from High Court: यह पूरा मामला होमगार्ड सैनिकों के कॉल ऑफ के नियमों से जुड़ा है. इसी मामले में एमपी हाईकोर्ट से 12 से ज्यादा होमगार्ड सैनिकों को राहत मिली है. हाईकोर्ट ने दो माह का कॉल ऑफ देने पर अंतरिम रोक लगा दी है.

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हाईकोर्ट ने होमगार्ड सैनिकों के मामले में अंतरिम रोक लगाई

जबलपुर।एमपी हाईकोर्ट से 12 से ज्यादा होमगार्ड सैनिकों को राहत मिली है. जस्टिस शील नागू और जस्टिस देवनारायण मिश्रा की युगलपीठ ने आवेदकों को दो माह का कॉल ऑफ देने पर अंतरिम रोक लगा दी है. इसके साथ ही इस मामले को भी पूर्व में लंबित प्रकरणों के साथ संलग्न करने के निर्देश दिये हैं. युगलपीठ ने मामले की अगली सुनवाई चार दिसंबर को तय की है.

क्या है मामला:यह मामला होमगार्ड सैनिकों के कॉल ऑफ के नियमों से जुड़ा है. शासन ने हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद कॉल ऑफ के नियमों में संशोधन कर दिया था. होमगार्ड सैनिकों को कॉल ऑफ नहीं कर साल भर ड्यूटी पर रखने का आदेश जारी हुआ था. पहले होमगार्ड सैनिकों के लिए एक साल में दो माह का कॉल ऑफ था लेकिन सरकार ने नियमों में संशोधन कर तीन साल में दो माह का कॉल ऑफ कर दिया. इसे लेकर फिर से कुछ होमगार्ड सैनिकों ने याचिका दायर की है.

किसने दायर की याचिका: यह मामला दमोह के तुलसीराम तिवारी सहित 12 अन्य होमगार्ड सैनिकों की ओर से दायर किया गया. जिसमें कहा गया था कि उन्हें एक दिसंबर 2023 से 30 जनवरी 2024 तक का कॉल ऑफ दिया गया है. जबकि शासन ने संशोधन के जरिये एक साल में दो माह के कॉल ऑफ को बदलकर तीन साल में दो माह का कॉल ऑफ कर दिया था. वैसे तो कोर्ट ने सरकार को हिदायत दी थी कि कॉल ऑफ के नियम को खत्म किया जाए.

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कई मांगों को लेकर लंबित है याचिका: साल 2010 में होमगार्ड कर्मचारियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर नियमितीकरण, आरक्षकों के समान वेतन, पूरे वर्ष कार्य प्रदान करने एवं अन्य लाभ दिये जाने की राहत चाही थी. वर्ष 2011 में हाईकोर्ट द्वारा आंशिक रूप से स्वीकार कर मध्य प्रदेश शासन को आदेशित किया था कि वे होमगार्डस के सेवा नियम बनाये और उन्हें पूरे वर्ष कार्य पर रखा जाये. इसके बाद सरकार ने वर्ष 2016 में नियम बनाये और आदेश के विपरीत फिर एक वर्ष में दो माह का बाध्य कॉल ऑफ का प्रावधान रख दिया. जिस पर हाईकोर्ट की शरण फिर ली गई है.

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