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Jabalpur High Court News: अंतिम सुनवाई न किए जाने को कोर्ट ने खेदजनक करार दिया

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Published : Jan 27, 2023, 10:41 PM IST

जबलपुर हाईकोर्ट की एकलपीठ ने एक अपराधिक मामले में ढाई साल से अंतिम सुनवाई न किए जाने को खेदजनक बताया है. चेक में हेराफेरी के आरोप के खिलाफ अदालत में दायर की गई थी याचिका.

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अंतिम सुनवाई न किए जाने को कोर्ट ने खेदजनक करार दिया

जबलपुर।ढाई साल का समय गुजर जाने के बावजूद भी अपराधिक मामले में निर्धारित अंतिम सुनवाई नहीं करते हुए अभियोजन के आवेदन को न्यायालय द्वारा स्वीकार किये जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. हाईकोर्ट जस्टिस डीके पालीवाल ने ढाई साल में अंतिम सुनवाई नहीं किये जाने को खेदजनक करार दिया है. एकलपीठ ने जिला व सत्र न्यायाधीश को निर्देशित किया है कि वर्षो से अंतिम सुनवाई के लिए निर्धारित प्रकरण के संबंध में स्थिति का अवलोकन कर पीठासीन अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करें.

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चेक में हुई थी हेराफेरीःसतना निवासी राम गोपाल गुप्ता की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि चेक में हेराफेरी करने के आरोप में पुलिस ने उसके खिलाफ प्रकरण दर्ज किया था. न्यायालय ने साल 2016 में उसके खिलाफ धारा 420,467,468,469,471 तथा 409 के तहत चार्ज फ्रेम किये थे. अभियोजन तथा बचाव पक्ष की साक्ष्य समाप्ति के बाद न्यायालय ने 9 जनवरी 2020 को बहस समाप्त कर अंतिम सुनवाई के लिए 24 जनवरी 2020 की तारीख निर्धारित की थी. याचिका में कहा गया था कि ढाई साल का समय गुजर जाने के बावजूद भी प्रकरण में अंतिम सुनवाई नहीं हुई है. अभियोजन ने 9 जून 2022 को धारा 311 के तहत हेराफेरी वाले चेक प्रस्तुत करने का आवेदन दायर किया था. न्यायालय ने अभियोजन के आवेदन को स्वीकार कर लिया है. याचिका में उक्त आदेश को निरस्त करने की प्रार्थना की गई थी.

एकलपीठ ने याचिका की खारिजः एकलपीठ ने याचिका को खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा है कि धारा 311 के तहत पीठासीन अधिकारी को यह अधिकार प्राप्त है. चेक को प्रकरण में जब्त किया गया था. जिसे सुरक्षा की दृष्टि से न्यायालय के कोषालय में रखा गया था. अभियोजन ने कहा कि पूर्व में उन्हें प्रस्तुत नहीं करना ऐसी क्षति नहीं है, जिसे पूरा नहीं किया जा सकता है. प्रकरण में ढाई साल से अंतिम सुनवाई नहीं होने को एकलपीठ ने खेदजनक करार दिया है. एकलपीठ ने कहा है कि इस दौरान न्यायालय के पीठासीन अधिकारी प्रकरण को रखे रहे. एकलपीठ ने जिला व सत्र न्यायालय को उक्त निर्देश जारी किये है.

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