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राव उदय प्रताप सिंह ने अनोखे अंदाज से खींचा सांसदों का ध्यान, बोले-सोने को जितनी आग लगे उतना प्रखर होता है

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Published : Feb 8, 2023, 2:09 PM IST

Updated : Feb 8, 2023, 3:23 PM IST

सांसद राव उदय प्रताप सिंह ने संसद में एक बार फिर अपने अलग ही अंदाज का प्रदर्शन किया. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण पर सीपी जोशी द्वारा रखे प्रस्ताव का समर्थन करते हुए उन्होंने खूब कविताएं सुनाईं.

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सांसद का चुटीला अंदाज

सांसद का चुटीला अंदाज

नर्मदापुरम। होशंगाबाद से भाजपा सांसद राव उदय प्रताप सिंह ने संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर रखे गए प्रस्ताव को लेकर अपनी वाकपटुता के माध्यम से खूब समां बांधा. लोकसभा में 5 मिनट 33 सेकंड के वक्तव्य में उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का आभार जताया और कविताओं के माध्यम से कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सही मायनों में देश आगे बढ़ रहा है.

चाणक्य के माध्यम से याद दिलाया राजधर्म: सांसद सिंह ने कहा. 'मैं अनुसूचित जनजाति वर्ग से आईं देश की पहली राष्ट्रपति के अभिभाषण का समर्थन करता हूं. सभापति महोदय, आचार्य चाणक्य ने एक जगह उल्लेख किया है. उन्होंने लिखा है- "दुष्टय दंड: स्वजन्स्य पूजा, न्यायेन कौस्शय ही वर्दनम च..अपक्षपात: निज राष्ट्र रक्षा, पंचया अ धर्म: कथित: नृपा नाम" अर्थात दुष्ट को दंड देना, स्वजनों की पूजा करना, न्याय से राजकोष बढ़ाना, पक्षपात न करना एवं राष्ट्र की रक्षा करना..यह राजा के 5 कर्तव्य हैं. मैं गर्व से कह सकता हूं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इन पांचों गुणों के कारण आज पूरे देश में हम न्याय व्यवस्था को पुष्ट करने में सफल रहे हैं। हमारी अर्थव्यवस्था उन्नति की ओर अग्रसर है। किसी भी व्यक्ति के साथ पक्षपात नहीं हो रहा है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में आज यह देश ऊंचाइयों की तरफ बढ़ रहा है।'

सांसद ने सुनाई कविता
चतुर्वेदी, परसाईं का नाम लिया : सिंह बोले, 'मैं उस धरती से आता हूं, जहां माखनलाल चतुर्वेदी, हरिशंकर परसाईं ने जन्म लिया. जहां आचार्य रजनीश ने जन्म लिया. विंध्याचल, सतपुड़ा की वादियों से जुड़ी वह धरती नर्मदापुरम, नरसिंहपुर, रायसेन की धरती है. यहां डेलन शाह, नरवर शाह आदि अनुसूचित जाति के राजाओं ने देश रक्षा का काम किया था। हम आजादी के अमृतकाल में चल रहे हैं। जिसमें हमारा देश सबका साथ, सबका विश्वास, सबका प्रयास के मूल मंत्र के साथ दुनिया में अग्रणी बन रहा है।'

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हर एक संकट का हल होगा, आज नहीं तो कल होगा :सांसद राव उदय प्रताप सिंह बोले, 'किसी कवि ने कहा है- "लोहा जितना तपता है, उतनी ही ताकत भरता है. सोने को जितनी आग लगे. वो उतना प्रखर निखरता है. हीरे पर जितनी धार लगे, उतना वह चमकता है. मिट्टी का बर्तन पकता है, तब धुन पर खूब खनकता है. सूरज जैसा बनना है तो सूरज जैसा जलना होगा. नदियों सा आदर पाना है तो पर्वत छोड़ निकलना होगा. हम आदम के बेटे हैं तो क्यों सोचे राज सरल होगा. कुछ ज्यादा वक्त लगेगा पर संघर्ष जरूर सफल होगा. हर एक संकट का हल होगा, आज नहीं तो कल होगा."

Last Updated :Feb 8, 2023, 3:23 PM IST

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