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सड़क हादसों के पीछे लापरवाही बड़ी वजह, हेलमेट नहीं पहनने पर 25 दिन में 32 लोगों की मौत

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Published : Apr 28, 2023, 3:34 PM IST

Updated : Apr 28, 2023, 3:59 PM IST

road accident without wearing helmet in chhindwara
छिंदवाड़ा में बिना हेलमेट पहनकर वाहन चलाने वालों की मौत

छिंदवाड़ा में जागरूकता अभियान चलाने के बाद भी 25 दिनों में 65 भीषण हादसे हुए हैं. इन हादसों में 32 लोगों ने अपनी जान गंवा दी और 35 लोगों को गंभीर चोट आई है. इनमें ज्यादतर मौत हेलमेट न पहनने की वजह से हुई है.

छिंदवाड़ा।सरकार और यातायात विभाग के द्वारा लगातार जागरूकता अभियान चलाने के बाद भी लोग अपनी मनमानी से बाज नहीं आते हैं, जिसका नतीजा यह है कि अधिकतर सड़क हादसों में बिना हेलमेट पहने लोगों की सिर में चोट लगने की वजह से मौत हो रही है. अप्रैल महीने के 25 दिनों के आंकड़ों पर अगर नजर डालें तो छिंदवाड़ा जिले में 32 लोगों ने हेलमेट नहीं पहनने की वजह से दुर्घटना में अपनी जान गंवाई है. अगर बाइक सवार हमेशा हेलमेट पहने तो शायद उनकी जान बच सकती थी.

सरकारी कर्मचारियों के लिए भी अनिवार्य:सड़क सुरक्षा समिति की बैठक में खुद कलेक्टर शीतला पटले ने जिले के सभी शासकीय कार्यालयों में दोपहिया वाहनों से आने वाले कर्मचारियों के लिए हेलमेट पहनना अनिवार्य किया था, साथ ही निर्देशित किया था कि जो भी कर्मचारी दोपहिया वाहन से दफ्तर बिना हेलमेट पहने आएंगे उन्हें ऑफिस में एंट्री नहीं दी जाएगी. कुछ दिन तो यह मुहिम चली लेकिन फिर लोग अपनी मनमानी करने लगे जबकि सप्ताह में एक दिन औचक निरीक्षण कर कार्रवाई करने के लिए संबंधित विभाग को कलेक्टर ने निर्देशित भी किया था.

बिना हेलमेट बना मौत का सबब

32 लोगों की मौत:सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़े देखे जाएं तो अप्रैल माह के बीते 25 दिनों में 65 भीषण हादसे हुए हैं. इन हादसों में 32 लोगों ने जान गंवा दी और 35 लोगों को गंभीर चोट आई है. मृतकों में 90 प्रतिशत बाइक सवार थे, पुलिस की तमाम सख्ती और हिदायतों के बाद भी बाइक सवार हेलमेट और कार सवार सीट बेल्ट नहीं लगाते हैं. यातायात विभाग द्वारा हर चौक-चौराहे पर लोगों को हेलमेट लगाने के लिए जागरूक किया जा रहा है और जरूरत पड़ने पर चालान भी काटे जाते हैं. इसके बाद भी लोगों में जागरूकता की कमी है.

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जनवरी से अब तक 158 मौतें:जिले के अलग-अलग थाना क्षेत्रों में जनवरी से अब तक 396 भीषण सड़क हादसे हुए. इन हादसों में 158 लोगों की मौत और 263 लोगों के हाथ-पैर टूटे हैं. सिर पर चोट आने से कई लोगों की मौत हुई है. डॉक्टर हरिराम राय का कहना है कि "सड़क हादसे के लगभग आधा घंटे के अंदर अगर घायल को इलाज मिल सके तो उसकी जान बचाई जा सकती है. घायल को प्राथमिक इलाज भी मिल जाए तो उसकी जान बचाई जा सकती है, लेकिन कई प्रकरणों में सामने आया है कि अस्पताल में डॉक्टर ही नहीं मिलते, जिससे मरीजों की मौत हो जाती है."

Last Updated :Apr 28, 2023, 3:59 PM IST

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