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Chaitra Navratri 2023: यहां गिरा था माता सती के शरीर का अंश, बन गईं मां हिंगलाज, दूसरा मंदिर पाकिस्तान में

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Published : Mar 23, 2023, 12:22 PM IST

दुर्गाजी के नौ अवतारों के अलावा 51 शक्तिपीठों में से एक मां हिंगलाज शक्तिपीठ है. ये शक्तिपीठ छिंदवाडा के परासिया तहसील में स्थित है. यहां हर नवरात्रि पर भक्तों की भारी भीड़ जुटती है. मान्यता है कि यहां माता सती के शरीर का अंश गिरा था, तब से ही यहां माता का विशाल मंदिर है. इसके अलावा हिंगलाज देवी का सबसे प्रसिद्ध मंदिर पाकिस्तान के बलूचिस्तान में स्थित है.

Chaitra Navratri 2023
छिंदवाड़ा में स्थित मां हिंगलाज शक्तिपीठ धाम

छिंदवाड़ा।छिंदवाड़ा में स्थित मां हिंगलाज शक्तिपीठ धाम पर लोगों की गहरी आस्था है. मां हिंगलाज तत्काल फल देने वाली माता हैं. हिंग का अर्थ है 'रौद्र रूप' और लाज का अर्थ 'लज्जा' . पौराणिक कथा के अनुसार शिव के सीने पर पैर रखकर मां शक्ति लज्जित हुई थीं और तभी से रौद्र और लज्जा से मां का नाम हिंगलाज पड़ा. हिंगलाज का यह शक्तिपीठ सती माता के मस्तिष्क से स्थापित हुआ है. इसलिए इसे प्रथम पूजनीय कहा जाता है.

छिंदवाड़ा में स्थित मां हिंगलाज शक्तिपीठ धाम

ऐसे हुई मंदिर की स्थापना :सतपुडा की सुरम्य वादियों में वर्ष 1907 को कोयला उत्खनन के दौरान एक अंग्रेज अफसर को माता हिंगलाज की मूर्ति मिली थी. जिसके बाद मां हिंगलाज ने उस अंग्रेज अफसर को स्वप्न देकर कहा था कि मेरी स्थापना करो, मैं हिंगलाज माता हूं. जिसके बाद भी अंग्रेज अफसर ने मूर्ति को कोयला खदान में ही पड़ा रहने दिया. एक बार अफसर अपनी पत्नी, पुत्र और डॉगी के साथ खदान में घूमने गया था, जिसके बाद अचानक खदान धंसने से अंग्रेज पूरे परिवार सहित उस खदान में दब गया. बाद में कोयला खदान के मैनेजर को भी माता ने स्वप्न में आकर कहा कि मुझे इसी स्थान पर स्थापित करो. माता की बात रखते हुए उस मैनेजर ने मूर्ति की स्थापना करवाई. धीरे-धीरे मंदिर का निर्माण कराया. आज इस मंदिर को माता हिंगलाज देवी के नाम से जाना जाता है.

छिंदवाड़ा में स्थित मां हिंगलाज शक्तिपीठ धाम
छिंदवाड़ा में स्थित मां हिंगलाज शक्तिपीठ धाम

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मंदिर में क्या है खास :इस खास मंदिर में यह भी मान्यता है कि यहां पर ज्योति कलश जलाने से भक्तों की हर मुराद पूरी होती है. अंग्रेजों के जमाने में भी इस मंदिर का काफी प्रभाव था. वर्षों से यहां ज्योति कलश की स्थापना की जाती है. यह भी मान्यता है कि यहां के अगरबत्ती कुंड की भभूति में वह शक्ति है, जिससे कई रोगों का इलाज होता है. इस मंदिर के लिए दूर-दूर से भक्त आते हैं. श्रद्धालु भक्ति के रस में झूमते हुए माता के दर्शन करने आते हैं. इस बार मंदिर में 4 हजार से ज्यादा जवारी कलश की स्थापना की गई है.

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