मध्य प्रदेश

madhya pradesh

भारत भवन में चित्रकार सैयद हैदर रजा की चित्र प्रदर्शनी, रंग तूलिका और रेखाओं का चमत्कार

By

Published : Sep 26, 2020, 9:30 PM IST

Photo exhibition of painter Syed Haider Raza
चित्रकार सैयद हैदर रजा की चित्र प्रदर्शनी

रंग तूलिका रेखाओं के ज्यामितीय संयोजन से चमत्कार करने वाले जाने-माने चित्रकार स्वर्गीय सैयद हैदर रजा की चित्र प्रदर्शनी इन दिनों भारत भवन की आर्ट गैलरी में चल रही है. ईटीवी भारत ने रजा के जीवन और उनके कार्य पर बात की भारत भवन भोपाल के निदेशक और कवि प्रेम शंकर शुक्ला से...

भोपाल।भारत भवन की आर्ट गैलरी में इन दिनों चित्रकार स्वर्गीय सैयद हैदर रजा की चित्र प्रदर्शनी चल रही है. वहीं रजा के जीवन और उनके कार्य पर भारत भवन के निदेशक प्रेम शंकर शुक्ल ने ईटीवी भारत से बात की. उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश को यह गौरव हासिल है कि रजा साहब मध्य प्रदेश के हैं, मैं इस चीज को बहुत ही अंडरलाइन करके कहना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश को यह भी गौरव हासिल है कि आधुनिक चित्रकला के अधिकांश चित्रकार मध्यप्रदेश से ही हैं और उसमें रजा साहब का नाम अग्रणी है.

चित्रकार सैयद हैदर रजा की चित्र प्रदर्शनी

प्रेम शंकर ने बताया किरजा साहब पेरिस में बरसों रहे और उन्होंने जो काम किया है, वह सराहनीय है. भारतीय संस्कृति, भारतीय कलारूपों, भारतीय तंत्र शास्त्र, भारतीय लैंड स्कोप को जिस प्रकार उन्होंने अपने कैनवास पर जगह दी वह हम सब को ही नहीं बल्कि दुनिया का जो समाज है उसे भी बहुत ही अचंभित कर गया.

उन्हें इससे बहुत ख्याति भी मिली, भारत भवन को उनका बहुत स्नेह मिला. उनकी रचनात्मकता का पड़ाव और रचनात्मक यात्रा को जिस प्रकार भारत भवन में भी सम्मान की दृष्टि से देखा, वह भी एक उल्लेखनीय बात है. हमारे पास राजा साहब के जो भी चित्र हैं, उनके कार्य हैं उन सब को एक जगह प्रदर्शित किया है.

हम प्रदर्शनी के माध्यम से और उसके पीछे हमारी सोच और दृष्टि यह है कि कोरोना के बाद जो आर्ट लवर हैं, कला रसिक हैं, कला के विद्यार्थी हैं, वह एक ही जगह पर रजा साहब का काम देख सकें और उनकी पेंटिंग की तकनीक को कथ्य को बड़े कैनवास और छोटे कैनवास सब पर देख सकें. विद्यार्थियों को सीखने को मिले यही हमारा और इस प्रदर्शनी का उद्देश्य है.

सैयद हैदर रजा का परिचय

सैयद हैदर उर्फ एसएच रजा का जन्म 22 फरवरी 1922 को मध्यप्रदेश में हुआ. वह एक प्रतिष्ठित भारतीय कलाकार हैं, जो 1950 के बाद से फ्रांस में रहते और काम करते रहे हैं. लेकिन भारत के साथ मजबूती से भी जुड़े रहे. उनके प्रमुख चित्र अधिकतर तेल या एक्रेलिक में बने परिदृश्य हैं, जिनमें रंगों का अत्यधिक प्रयोग किया गया है और जो भारतीय ब्राह्मण विज्ञान के साथ-साथ इसके भारतीय दर्शन के चिन्हों से भी परिपूर्ण हैं.

सन् 1981 में उन्हें पदम श्री ललित कला अकैडमी की मानद सदस्यता मिली और 2007 में पदम भूषण से भी सम्मानित किया जाए. 10 जून 1910 को वह भारत के सबसे महंगे आधुनिक कलाकार बन गए, जब क्रिस्टी की नीलामी में 8 साल के रजा का स्वराज नाम की एक सृजनात्मक चित्र 16 करोड़ 42 लाखों रुपए में बिका. 1956 में उन्हें पेरिस के प्रिक्स डे ला क्रिटिक पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया. जिसे प्राप्त करने वाले वह पहले गैर फ्रांसीसी कलाकार बने.

रजा साहब ने भारतीय युवाओं को कला में प्रोत्साहन और देने के लिए भारत में रजा फाउंडेशन की स्थापना भी की, जो युवा कलाकारों को वार्षिक रजा फाउंडेशन पुरस्कार प्रदान करती है. रजा की मृत्यु 23 जुलाई 2016 को हुई.

ABOUT THE AUTHOR

...view details