भोपाल।मध्यप्रदेश में शराब के अहाते बंदी के साथ शराबबंदी की भी बात उठने लगी है. भाजपा की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के साथ अब कांग्रेस नेता व सांसद नकुलनाथ भी इसको लेकर मुखर हैं. लेकिन इसी बीच एक सरकारी सर्वे में सामने आए आंकड़ों से पता चलता है कि प्रदेश में शराबबंदी संभव नहीं है. कारण है कि यहां शहर से लेकर गांव तक लोग इसका नियमित सेवन करते हैं. इसमें पुरुषों के साथ महिलाओं की भी अच्छी खासी संख्या है. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के अनुसार प्रदेश में शहरी क्षेत्रों के साथ आदिवासी इलाकों में पुरुष व महिलाएं नियमित रूप से शराब का सेवन करती हैं. क्योंकि शराब मध्यप्रदेश की आदिवासी संस्कृति का हिस्सा है.
ये है दो रिपोर्ट का सर्वे :ईटीवी भारत ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की बीती दो रिपोर्ट का अध्ययन किया. इसमें से वर्ष 2017 में 62803 महिलाओं पर सर्वे किया गया था. इनमें से 1022 महिलाओं में से 916 ग्रामीण में और 106 शहर की महिलाओं ने स्वीकार किया था कि वे नियमित रूप से शराब का सेवन करती हैं. वहीं 2818 पुरुषों पर किए गए सर्वे में से 1960 ग्रामीण और 858 शहर के युवकों ने डेली रूटीन में शराब पीने की बात स्वीकार की. जब यही सर्वे पांच साल बाद यानी 2022 में सामने आया तो इसमें बताया गया कि 48410 महिलाओं से सर्वे करने वालों ने बात की. इनमें से 214 महिलाओं ने स्वीकार किया कि वे नियमित रूप से शराब पीती हैं. इनमें से 198 ग्रामीण क्षेत्र की थी तो 17 महिलाएं शहर में रहने वाली थीं. इसी सर्वे में जिन 6503 पुरुषों को शामिल किया था, उनमें से 1311 ने शराब पीने की बात पर हामी भरी. इनमें से 959 ग्रामीण और 352 शहर के रहने वाले थे.