भोपाल। एमपी में कांग्रेस के उम्मीदवारों की पहली सूची देर से आई पर दुरुस्त आई, बेशक सरकार बनेगी कि नहीं ये चुनावी नतीजे बताएंगे लेकिन फिलहाल इस सूची में चौंकाने जैसा जैसा कुछ नहीं है. 144 उम्मीदवारों की सूची में पांच दर्जन से ज्यादा विधायकों को पार्टी ने फिर मैदान दिया है. बीजेपी ने नेता पुत्रों के टिकट काट के पिता मैदान में उतारे थे, इसके उलट कांग्रेस ने कांतिलाल भूरिया की जगह बेटे विक्रांत भूरिया को जगह दी है. इसके अलावा 90 से ज्यादा सीटों पर असर रखने वाले ओबीसी वर्ग को इस सूची में खास तरजीह मिली है, बाकी इसमे दोराय नहीं कि 2023 के विधानसभा चुनाव में मुकाबला दिलचस्प हो रहा है.
मौजूदा विधायक ही जीत की गारंटी:कांग्रेस ने जितनी देर सूची जारी करने में लगाई, उसमें ये लग रहा था कि वेट एण्ड वॉच पर बढ़ रही कांग्रेस कुछ चौंकाने वाले नामों के साथ आएगी. लेकिन 144 नामों की सूची में जैसे पार्टी ने नो रिस्क वाला गेम किया है. कटंगी और गुनौर जैसी सीटें अपवाद है, बाकी ज्यादातर सीटों पर मौजूदा विधायक ही उम्मीदवार हैं. सज्जन सिंह वर्मा, जयवर्धन सिंह, हिना कांवरे, जीतू पटवारी, तरुण भनोट, सुखदेव पांसे, कुणाल चौधरी, संजय शुक्ला और लक्ष्मण सिंह समेत कांग्रेस के मजबूत नाम तो होने ही थे, लेकिन चुनाव हार चुके नेताओं पर भी पार्टी ने भरोसा जताया है. अटेर से एक बार फिर सत्यदेव कटारे के बेटे हेमंत कटारे मैदान में हैं.
90 सीटों पर असर रखने वाली ओबीसी को तरजीह:जातिगत जनगणना का मुद्दा उठाकर कांग्रेस पहले ही ओबीसी वर्ग को साधने का दांव खेल चुकी है. राहुल गांधी का बयान कि कांग्रेस के चार में से 3 ओबीसी सीएम है, पार्टी की 144 सीटों पर घोषित उम्मीदवारों में भी बड़ा हिस्सा ओबीसी वर्ग के नाम ही हुआ है. पार्टी ने 39 के करीब उम्मीदवार ओबीसी वर्ग से उतारे हैं, जो एससी के 22 एसटी के 30 उम्मीदवारों के मुकाबले ज्यादा है.