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108 बाधाएं हो सकती हैं दूर वट सावित्री का व्रत करने से, इस विशेष दिन व्रत और पूजा से होगा फायदा

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Published : May 29, 2022, 5:39 AM IST

Updated : May 30, 2022, 12:16 PM IST

वट सावित्री व्रत सभी 12 राशि की महिलाओं को करना चाहिए. बूढ़े, वृद्धि रोगी को छूट रहती है कुछ माताएं वृद्ध हो चुकी हैं चलने फिरने असमर्थता है वो जा करके देखें ही उनको देखने का महत्व रहेगा, उनके लिए वही पूर्ण पूजा मानी जाती है. इसलिए वट सावित्री के दिन व्रत और पूजन अवश्य करना चाहिए इससे सुहाग की रक्षा होती है. Somvati amavsya ke upay. Vat Savitri vrat. Shani Jayanti 30 May 2022.

somvati amavsya shani jayanti Vat savitri vrat 30 may 2022
सोमवती अमावस्या, वट सावित्री व्रत, शनि जयंती 2022

ईटीवी भारत डेस्क : हिन्दू मान्यताओं के अनुसार महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और अखंड सौभाग्य के लिए वट सावित्री का व्रत (Vat Savitri vrat) रखती हैं. हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को किया जाता है.30 मई को सोमवती अमावस्या (Somvati amavsya ke upay) है और उस दिन ज्यादातर महिलाएं वट सावित्री का व्रत रखती है और वट वृक्ष की पूजा करती हैं, शास्त्रों में वट सावित्री व्रत का बहुत ज्यादा महत्व है ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री ने वट सावित्री व्रत को लेकर विशेष बात कही है साथ ही बताया है कि कैसे एक ही दिन व्रत करके, पूजा करके 108 बाधाओं को महिलाएं एक ही साथ दूर कर सकती हैं. इस दिन शनि जयंती (Shani Jayanti 30 May 2022) भी है. इस बार 30 मई 2022 को वट सावित्री (Vat Savitri vrat) का पर्व मनाया जा रहा है. शास्त्रों में वट सावित्री व्रत का बहुत ज्यादा महत्व है ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री ने वट सावित्री व्रत को लेकर विशेष बात कही है साथ ही बताया है कि कैसे एक ही दिन व्रत करके, पूजा करके 108 बाधाओं को महिलाएं एक ही साथ दूर कर सकती हैं.

सोमवती अमावस्या वट सावित्री व्रत शनि जयंती 2022

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वट सावित्री व्रत का होता है विशेष महत्व ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री के मुताबिक जेष्ठ कृष्ण पक्ष अमावस्या को वट सावित्री मनाई जाती है, शास्त्रों में लिखा है कि उस दिन भगवान विष्णु का स्थान वट के वृक्ष में रहता है, इसलिए उस दिन वट वृक्ष की पूजा करने से सुहाग की पूर्ण सुरक्षा बनती है. ये सभी 12 राशि की महिलाओं को करना चाहिए. बूढ़े, वृद्धि रोगी को छूट रहती है कुछ माताएं वृद्ध हो चुकी हैं चलने फिरने असमर्थता है वो जा करके देखें ही उनको देखने का महत्व रहेगा, उनके लिए वही पूर्ण पूजा मानी जाती है. इसलिए वट सावित्री के दिन व्रत और पूजन अवश्य करना चाहिए इससे सुहाग की रक्षा होती है.

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जिन महिलाओं का विवाह हो चुका है संतान उनके पास हैं पुत्र या पुत्री कुछ भी है, ऐसी सभी महिलाएं सुबह स्नान करके कम से कम 100 मीटर सफेद धागा लेकर के थाली में पूजा की पूरी सामग्री इकट्ठा लेकर के किसी वटवृक्ष के पास जाएं, पहले स्नान कराएं, धूप दीप करें इसके बाद धागा से 108 बार घूमते हुए धागा को लपेटते जाएं, अंत में धागे को उसी वृक्ष में बांध दें तो शास्त्रों में लिखा है कि 108 बाधाएं वहीं पर समाप्त हो जाती हैं, उनके सुहाग की रक्षा बनी रहती है संतान की रक्षा होती है उन्हें किसी भी प्रकार की लंबी बीमारी से मुक्ति मिल जाती है. इसलिए महिलाएं वट सावित्री व्रत करें पूजन करें, धागा लपेटे और जो प्रसाद चढ़ता है उसे सुहागन स्त्रियों को आपस में बैठकर बांट दें, उनसे गले मिले उनसे आशीर्वाद लें, ऐसा करने से पुण्य मिलता है और वट सावित्री व्रत पूजा पूरी मानी जाती है.

शुभ मुहूर्त:ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि वट सावित्री व्रत का दिन सोमवार 30 मई को है, और इसका शुभ मुहूर्त सुबह 7:00 बजे से 11:00 बजे दिन तक के बीच में रहता है. सुबह 7:00 से 11:00 के बीच में उस दिन वटवृक्ष के पास जाकर महिलाएं पूजा-अर्चना कर सकती हैं, और धागा को लपेटकर सभी महिलाओं से आशीर्वाद लें.

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Last Updated : May 30, 2022, 12:16 PM IST

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