मध्य प्रदेश

madhya pradesh

MP के जंगल की शोभा नहीं बन सके गिर के शेर, वन मंत्री केंद्र से करेंगे गुजारिश

By

Published : Dec 13, 2020, 7:40 PM IST

Updated : Dec 18, 2020, 9:09 PM IST

सात साल बीत जाने के बाद भी मध्य प्रदेश के जंगलों में गुजरात के शेर को नहीं लाजा जा सका है, कई सारी वजहों के बीच गिर के शेर एमपी में दस्तक नहीं दे पाए लेकिन वन मंत्री विजय शाह पत्र लिखकर इस बारे में केंद्र सरकार से अनुरोध करेंगे.

Lion of gir
गुजरात के शेर

भोपाल। गिर के शेरों को मध्य प्रदेश 7 साल बाद भी नहीं लाया जा सका है. गिर के शेर केंद्र सरकार के सिंह प्रोजेक्ट के तहत लाए जाने थे. सिंह को लाने के संबंध में पिछले 7 सालों से मध्य प्रदेश सरकार केंद्र और गुजरात सरकार से पत्राचार कर रही है. गिर के शेरों को मध्य प्रदेश भेजने के संबंध में सुप्रीम कोर्ट आदेश दे चुका है, हालांकि गिर के शेर को लेकर वन मंत्री एक बार फिर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार से अनुरोध करने जा रहे हैं.

वन मंत्री केंद्र से करेंगे गुजारिश
सुप्रीम कोर्ट ने दिए थे निर्देशवर्ष 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने गिर के शेरों को दूसरी जगह भेजने के आदेश दिए थे. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि महामारी व दवा नल आदि आपदाओं में यह प्रजाति विलुप्त हो सकती है. इसलिए इनका दूसरा घर होना जरूरी है. सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय के बाद उम्मीद जागी थी कि मध्य प्रदेश के वनों की शोभा गिर के शेर बनेंगे लेकिन सात साल बीतने के बाद भी गिर के शेर मध्य प्रदेश नहीं लाए जा सके. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद गिर के शेर को कूनो में कैसे शिफ्ट करना है, इसके लिए तीन कमेटियां गठित की गई थी. ट्रांसलोकेशन कमेटी, एक्सपर्ट कमेटी और अपेक्स कमेटी बनी लेकिन इन कमेटियों से भी कोई हल नहीं निकल सका. गुजरात से लॉयन भेजने को लेकर कई आपत्तियां लगाई गईं, जिन्हें मध्य प्रदेश सरकार द्वारा पूरा भी किया गया, इसके बाद भी सुप्रीम कोर्ट का निर्णय अमल में नहीं आ सका.इसलिए अब तक एमपी नहीं आ पाए गिर के शेर
  • गुजरात सरकार की आपत्ति - शेरों की बसाहट के लिए कूनो सेंचुरी का एरिया कम है. 200 हेक्टेयर ट्रैक्टर की क्षेत्रफल को बढ़ाने की जरूरत है.
  • मध्य प्रदेश सरकार का कदम - लगभग 23 परिवार कूनो वाइल्डलाइफ सेंचुरी के अंदर से हटाए गए, जो कि ज्यादातर सहरिया आदिवासियों के थे, इसके अलावा 28 गांव खाली करवाए गए और 1280 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र को कूनो वन्य जीव सीमांकित किया गया.
  • गुजरात सरकार की आपत्ति - कूनो को नेशनल पार्क का दर्जा नहीं है, इन शेरों को नेशनल पार्क का माहौल बेहतर लगता है.
  • मध्य प्रदेश सरकार का कदम- मध्य प्रदेश सरकार ने 2018 में कूनो को वाइल्ड लाइफ सेंचुरी से राष्ट्रीय उद्यान बनाकर 413 वर्ग किलोमीटर का संरक्षित क्षेत्र और बढ़ा दिया.
  • गुजरात सरकार की आपत्ति - कूनो राजस्थान के रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान से सटा है. यह उद्यान बाघों का आश्रय है, इसके कारण अगर शेरों को कूनो में ले जाया गया तो बाघों के साथ उनके संघर्ष की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता.
  • मध्य प्रदेश सरकार का जवाब - इस आपत्ति पर मध्य प्रदेश सरकार द्वारा कहा गया कि एक्सपर्ट कमेटी पहले ही कह चुकी है कि यह बिंदु शेरों की शिफ्टिंग के साथ पूरे कर लिए जाएंगे.

मंत्री बोले फिर करूंगा केंद्र से आग्रह

सालों बाद भी मध्य प्रदेश नहीं लाए जा सके गिर के शेरों को लेकर मध्य प्रदेश के वन मंत्री विजय शाह का कहना है, ''इसको लेकर पिछले सालों में काफी प्रयास किए गए हैं. कई बार केंद्र को चिट्ठी भी लिखी गई. जल्द ही वे एक बार फिर वे दिल्ली जाकर केंद्र सरकार से अनुरोध करेंगे. वन मंत्री के मुताबिक केंद्र से सिर्फ अनुमति मिलने का इंतजार है. मध्य प्रदेश गिर के शेर लाने को लेकर पूरी तरह से तैयार हैं. केंद्र सरकार के अधिकारियों की एक टीम कूनो नेशनल पार्क का जायजा भी ले चुकी है, उम्मीद है इसके बाद गिर के शेर के पूर्व आने का रास्ता साफ हो जाएगा.''

Last Updated :Dec 18, 2020, 9:09 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details