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Ganesh Utsav 2022 भोपाल के मंगलवारा के भगवान गणेश देते हैं अमन और भाईचारे का संदेश, मुस्लिम भाई करते हैं जगराता पढ़िए पूरी कहानी

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Published : Aug 27, 2022, 5:43 PM IST

Updated : Aug 27, 2022, 10:24 PM IST

गणेश चतुर्थी 2022 पर भगवान गणेश की पूजा की जाती है. पुराने भोपाल की बेहद तंग गलियों में पिछले करीब साठ साल से विराजे गणपति चौक के गणेश की आज भी मिसाल बनी हुई है. यहां हिंदू मुस्लिम मिलकर भगवान गणेश की झांकी निकालते हैं. यहां महीनों पहले से गणेश उत्सव को लेकर तैयारियां तेज हो जाती हैं. Ganesh Utsav 2022, Bhopal Lord Ganesh Preparation Started

Muslim Established Ganesha Idol
मुस्लिम ने स्थापित की गणेश प्रतिमा

भोपाल।भोपाल शहर तहजीब और अपने खास मिजाज के लिए जाना जाता है. पुराने भोपाल की बेहद तंग गलियों में पिछले करीब साठ साल से विराजे गणपति चौक के गणेश आज भी मिसाल बने हुए हैं. गणपति को कल्लू लखपति नाम के शख्स ने पहली बार विराजमान किया था. अब भंवरलाल प्रजापति उस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं. साठ बरस पूरे करने जा रही भोपाल की इस सबसे पुरानी झांकी में गणेशोत्सव की जितनी जवाबदारी महेश किरार संभालते हैं, तो उतनी ही जिम्मेदारी रईस भाई और अमजद ने भी उठाई है. (Ganesh Utsav 2022)

मुस्लिम ने स्थापित की गणेश प्रतिमा

मुसलमान भाई करते हैं पंडाल की रखवाली:भोपाल के मंगलवारा इलाके के गणपति चौक में विराजने वाले गणेश की झांकी से लेकर प्रतिमा तक महीनों पहले से तैयारियां शुरू हो जाती है. हिंदू मुस्लिम भाई साथ मिलकर इसकी तैयारी करते हैं. चंदा जुटाने से लेकर पंडाल सजाने तक और फिर दस दिन के गणेशोत्सव में पूजा हवन से लेकर पंडाल की रखवाली तक सब काम हिंदू मुस्लिम मिल बांट कर करते हैं. रात में रखवाली की जिम्मेदारी अक्सर मुसलमान भाई ही संभालते हैं. अमजद बताते हैं हिंदू भाई दिन भर के पूजा पाठ के बाद जब घर जाते हैं, तो रात में हम लोग पंडाल का ध्यान रखते हैं. (Bhopal Lord Ganesh Preparation Started)

मुस्लिम ने स्थापित की गणेश प्रतिमा

बारा वफात मुहर्रम और गणेशोत्सव साथ:भाईचारा मजबूत होने के कई इम्तेहान मंगलवारा ने भी दिए हैं. ऐसे कई मौके आए कि जब मुसलमानों का बारा वफात और मुहर्रम हिंदूओं के त्योहार के आस पास ही आता है, लेकिन मंगलवारा में तनाव की कोई स्थिति कभी नहीं बनी. महेश कटारे बताते हैं इसकी वजह है कि मंगलवारा के लोगों ने हमेशा आपस में सलाह मशवरा करके सहमति बना ली कि माहौल बिगड़ने के हालात कभी पैदा ही नहीं होने दिए. आप सोचिए कि हिंदू और मुसलमान के धार्मिक आयोजन का मंच भी एक ही है, लेकिन कभी कोई विवाद की स्थिति नहीं बनीं. बल्कि मुसलमान भाई गणपति जी में चल समारोह में स्टेज लगाते हैं. झांकियों का स्वागत करते हैं. हिंदू भाई भी इस बात का ख्याल रखते हैं कि मुहर्रम के जुलूस के लिए कैसे रास्ता बनाना है. (Ganesh Chaturthi 2022)

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आरती भी हुई और तराबी भी पढ़ी गई:इसी मोहल्ले में पैदा हुए और पले बढ़े अमजद एक बार के गणेशोत्सव के कहानी को बताते हुए कहते हैं, उस बार गणेशोत्सव और मुहर्रम साथ ही पड़े थे. यहां जो बड़ी मस्जिद है रुस्तम हम्माल खां उसमें करीब दो हजार लोग बैठकर तराबियां पढ़ रहे थे. बाहर गणेशोत्सव में आरती का भी वही समय था. अमजद कहते हैं, यह यकीन करना बहुत मुश्किल है कि महज 150 कदम के फासले पर मस्जिद और मंदिर थे, लेकिन ना ही आरती की आवाज मस्जिद तक गई और ना ही मस्जिद से कोई आवाज बाहर आई. अमजद कहते हैं मंगलवारा अकेला थाना था जहां 1992 के दंगे में भी जीरो एफआईआर थी. इससे ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस मोहब्बत के साथ यहां हिंदू मुस्लिम रहते हैं. वे भगवान गणेश और खुदा से यही दुआ मनाते हैं कि मंगलवार ही नहीं जहां सभी जगह इंसानों के बीच भाईचारा और अमन बरकरार रहे. (Muslim Established Ganesha Idol)

Last Updated : Aug 27, 2022, 10:24 PM IST

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