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खासमहाल जमीन को रैयती जमीन घोषित करने की मांग, सीएम से मिला एक शिष्टमंडल

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Published : Apr 13, 2022, 7:55 AM IST

साहिबगंज में खासमहाल जमीन उन्मूलन समिति के सदस्यों ने सीएम से मुलाकात कर खासमहाल जमीन को रैयती जमीन घोषित करने के लिए अधिसूचना जारी करने की मांग की है. सीएम ने पूरे मामले में विचार करने का आश्वासन दिया है.

Khasmahal Land Eradication Committee
खासमहाल जमीन उन्मूलन समिति

साहिबगंज: जिले में खासमहाल जमीन को लेकर विवाद जारी है. अब इसी को लेकर खासमहाल जमीन उन्मूलन समिति के सदस्यों ने सीएम हेमंत सोरेन से मुलाकात की है. समिति के सदस्यों ने बताया कि खासमहल की वजह से शहर का विकास बाधित है. उन्मूलन समिति के सदस्यों ने सीएम को याद दिलाया कि 21 अप्रैल 2011 को उन्होंने मुख्यमंत्री रहते तत्कालीन राजस्व मंत्री मथुरा महतो व राजस्व विभाग के तत्कालीन अधिकारियों के साथ इसी मुद्दे को लेकर बैठक की थी. जिसमें सभी तथ्यों, दस्तावेजों प्रमाणों एंव कागजातों के निरीक्षण के बाद अधिसूचना निर्गत करने का निर्णय लिया गया था.

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खासमहल को लेकर भ्रम की स्थिति: समिति के सदस्यों ने बताया कि अधिसूचना निर्गत करने का निर्णय के आधार पर साहिबगंज शहरी क्षेत्र की भूमि के लीज पर रोक लगा दी गई थी. लेकिन अधिसूचना जारी नहीं हुई और बाद की सरकार ने इसे खासमहाल मानते हुए कुछ शर्तों के साथ फ्री होल्ड करने की अधिसूचना जारी कर दी. इससे यहां भ्रम की स्थिति है. इसलिए यहां की भूमि को रैयती घोषित करने की अधिसूचना जारी की जाए.

रांची में अधिकारियों की बैठक:समिति के चंदेश्वर प्रसाद उर्फ बोदी सिन्हा ने बताया कि सीएम ने उनलोगों की बातों को ध्यानपूर्वक सुनते हुए दस्तावेजों का अवलोकन भी किया. सीएम ने आश्वासन दिया कि इसकी पूरी जानकारी अधिकारियों से प्राप्त करते हुए रांची में अधिकारियों की बैठक बुलाएंगे. बैठक में समिति को भी आमंत्रित कर दोनों पक्षों को सुनते हुए साहिबगंज को खासमहाल मुक्त करने की दिशा में पहल करेंगे. मौके पर समिति के वीरेंद्र झा, डॉ. विजय, ललित स्वदेशी, मुरलीधर ठाकुर, जयप्रकाश सिन्हा, सुनील भरतिया शामिल थे.

सीएम का आश्वासन:सीएम ने खासमहाल समिति को आश्वासन दिया है कि दस्तावेज पढ़ने से ऐसा मालूम होता है कि खासमहल की जमीन जबरदस्ती अंग्रेजो के द्वारा थौप दी गई है. झारखंड में कई जिला में खास माल का जमीन है लेकिन साहिबगंज में अलग तरह की यह जमीन है. उन्होंने कहा कि वे रांची पहुंचकर पूरे मामले में विचार विमर्श करेंगे.

क्या है खासमहल जमीन:बता दें कि अंग्रेजों के समय में खास महाल इस्टेट बनाया गया था. जमींदारी प्रथा समाप्त होने के बाद जब्त जमीन को इसमें शामिल किया गया था. खास महाल जमीन का मालिकाना हक भारत सरकार के पास होता है. इसके अंतर्गत सरकारी और रैयती जमीन दोनों तरह की होती है. 60 के दशक में सरकार ने कुछ लोगों और संस्थानों को खासमहल की भूमि लीज पर दी थी. लीज की अनिवार्य शर्त के मुताबिक, जमीन का हस्तांतरण किसी भी हाल में नहीं किया जा सकता है.

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