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गरमाने लगा रांची मेयर आरक्षण का मामलाः विरोध में उतरे अनुसूचित जाति से जुड़े संगठन

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Published : Nov 29, 2022, 10:05 AM IST

रांची मेयर आरक्षण का मामला अब गरमाने लगा है. अनुसूचित जातियों से जुड़े संगठनों ने मांग (SC Organizations angry on ranchi mayor reservation) है कि झारखंड राज्य निर्वाचन आयोग रोटेशन आधारित आरक्षण के साथ ही निकाय चुनाव का नोटिफिकेशन जारी करे. रांची मेयर सीट एससी के लिए आरक्षित किए जाने के बाद इसका पुरजोर विरोध हो रहा है.

organization of Dalits angry over ranchi mayor reservation decision
रांची

रांचीः झारखंड में निकाय चुनाव में रोटेशन आधारित आरक्षण का मुद्दा गरमाने लगा है. अब तक रांची मेयर का पद दलितों के लिए आरक्षित करने से अनुसूचित जनजातियों (आदिवासियों) से जुड़े संगठन गोलबंद हो रहे थे. अब इसके विरोध में अनुसूचित जातियों (दलितों) से जुड़े सामाजिक संगठन भी उतर आए (SC Organizations angry on ranchi mayor reservation) हैं. अनुसूचित जाति समन्वय समिति और अखिल भारतीय अनुसूचित जाति महासभा के प्रतिनिधियों ने कहा कि सरकार नहीं चाहती है कि रांची नगर निगम में दलित का बेटा या बेटी महापौर (मेयर) बने, इसलिए चुनाव टालने का षड्यंत्र रची जा रही है.

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राज्य निर्वाचन आयोग को ज्ञापनः सोमवार को संयुक्त रूप से झारखंड राज्य निर्वाचन आयोग को ज्ञापन देकर नगर निकाय चुनाव के लिए यथाशीघ्र नोटिफिकेशन निकालने की मांग की. राज्य निर्वाचन आयोग गए अनुसूचित जाति महासभा और अनुसूचित जाति समन्वय समिति के प्रतिनिधियों को राज्य निर्वाचन आयोग के सचिव राधेश्याम ने कहा कि आयोग सभी पहलुओं पर विचार कर रहा है और जल्द आयोग इसपर फैसला ले लेगा.


अनुसूचित जातियों के संगठन के नेताओं ने कहा कि संविधान और रोटेशन प्रक्रिया के अनुरूप नगर निकाय चुनाव में रांची नगर निगम को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित किया (ranchi mayor seat reservation for sc) है. अनुसूचित जाति महासभा के अध्यक्ष ने कहा कि रांची नगर निगम के महापौर पद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित करने के कारण नगर निकाय चुनाव को राजनीतिक कारणों से स्थगित किया गया है जो अलोकतांत्रिक है और इससे अनुसूचित जाति खुद को राजनीतिक रूप से ठगा महसूस कर रहा है. उन्होंने कहा कि टीएसी एवं सरकार जिस पेसा कानून का हवाला देकर नगर निकाय चुनाव टालने का षड्यंत्र कर रही है, वह असंविधानिक है.

अनुसूचित जातियों से जुड़े संगठनों की मांग

उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 243 सी सभी को प्रतिनिधित्व देने का मौका देता है. जिस पांचवीं अनुसूची का हवाला दिया जा रहा है वह केंद्र से पारित नहीं है साथ ही किसी भी जिला में अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या 50 फीसदी या उससे अधिक नहीं है जबकि पेसा कानून 56 प्रतिशत से अधिक संख्या वाले जिलों में ही लागू करने का प्रावधान है. संगठन के लोगों ने कहा कि सरकार नहीं चाहती है कि रांची नगर निगम में दलित का बेटा महापौर बने इसलिए चुनाव टालने का षड्यंत्र रचा जा रहा है. उन्होंने कहा कि हम लोग चुप बैठे वाले नहीं है, राज्य के 50 लाख अनुसूचित जाति के लोग इस मुद्दे पर जागरूक एवं संगठित होने लगे हैं, इसका व्यापक असर आने वाले दिनों में देखने को मिलेगा. उन्होंने कहा कि हम आदिवासी- दलित सब भाई भाई हैं लेकिन कुछ लोग राजनीतिक षड्यंत्र के तहत हम सभी में आपसी मतभेद एवं झगड़ा कराने पर तुले हुए हैं.

राज्य निर्वाचन आयोग जाने वालों में अनुसूचित जाति महासभा के अध्यक्ष आरपी रंजन, समन्वय समिति के अध्यक्ष उपेंद्र कुमार रजक, रविदास महासभा के पूर्व अध्यक्ष सोरेन राम, उपाध्यक्ष कमलेश राम महासचिव रंजन पासवान, प्रदीप मिर्धा, महेश कुमार मनीष, राजू राम, जीवन राम, बुंदेला लाल, अनिल राम, मुकेश नायक, जगदीश दास, राजू पासवान, जीवन राम, बुंदे लाल राम, संतोष कुमार रवि, नवल कुमार, अधिवक्ता प्रभात कुमार, अधिवक्ता कमलेश कुमार, मुकेश नायक, अनिल राम, अजय मिर्धा, विजय तुरी, संजित भुइयां, संजय राम समेत भारी संख्या में लोग उपस्थित रहे.

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