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मेले में मिलावटी भोजन से रहें सावाधान, विशेषज्ञों से जानें कैसे करें पहचान

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Published : Oct 5, 2022, 12:08 PM IST

दुर्गा पूजा (Durga Puja 2022) में लोग मेला घूमने जाते हैं और अपने-अपने तरीके से मेले का लुत्फ उठाते हैं. मेले में मिलने वाले खाद्य पदार्थों का भी मजा लेते हैं, लेकिन कभी-कभी यही मजा, उनकी सेहत के लिए सजा हो जाती है.

adulterated food in durga puja fair
adulterated food in durga puja fair

रांची: राजधानी रांची में दुर्गा पूजा को लेकर इस वर्ष खूब धूमधाम देखा जा रहा है. लोग घरों से बाहर निकलकर मेले में मौज मस्ती करते देखे जा रहे हैं. बच्चे हो या बुजुर्ग सभी में दुर्गा पूजा को लेकर खूब उत्साह देखने को मिल रहा है. मेले में घूमने आए लोग सबसे ज्यादा बाजार में लगे भोजन को खाकर एंजॉय कर रहे हैं (Adulterated Food in Ranchi Durga Puja Fair). खास करके ठेले खोमचे पर लगे चाऊमीन, बर्गर और गोलगप्पे इत्यादि जैसे खाद्य पदार्थ लोग खूब पसंद कर रहे हैं.


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मेले में घूमने आए लोग बताते हैं कि स्वास्थ्य विभाग को समय-समय पर मेले में आकर ठेले खोमचे और स्टॉल लगाए जाने वाले लोगों के भोजन और खाद्य पदार्थों की जांच करनी चाहिए ताकि कमियों की जानकारी हो सके. इससे सिर्फ आम लोगों के स्वास्थ्य का ख्याल ही नहीं रखा जा सकता बल्कि ठेले खोमचे वाले के मन में भी मिलावट करने से पहले डर का माहौल बना रहेगा.

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खाद्य पदार्थों की जांच का तरीका: राज्य खाद्य प्रयोगशाला के इंचार्ज चतुर्भुज मीना बताते हैं कि आज की तारीख में कई ऐसे उपाय हैं जिससे आम लोग अपने घरेलू तरीके से ही पता कर सकते हैं कि खाद्य पदार्थ में मिलावट है या बिना मिलावट के भोजन दिया जा रहा है. सबसे ज्यादा लोगों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक खाद्य पदार्थों में मिलाए जाने वाला रंग होता है. कई बार चाऊमीन, बर्गर, चिकन आइटम में ऐसे रंग मिलाए जाते हैं जिससे खाद्य व्यंजन देखने में आकर्षक लगने लगते हैं और लोग उसे बड़े चाव से खाते हैं लेकिन लोगों को यह नहीं पता कि उसमें उपयोग किए गए रंग उनके स्वास्थ्य के लिए बहुत ही खतरनाक हैं क्योंकि रंग में कोई भी पोषक तत्व मौजूद नहीं होते हैं.


चतुर्भुज मीना बताते हैं यदि आम लोगों को खोवा या मलाई की जांच करनी हो तो वह आयोडीन लिक्विड उसमें डाल कर उस खोवा या मलाई की क्वालिटी का आंकलन कर सकते हैं. आयोडीन लिक्विड मिलाते ही मिलावट वाले खोवा या पनीर का रंग बदल जाएगा और इससे साफ पता चल जाएगा कि दुकानदार खाद्य सामग्री में मिलावट कर रहे हैं.

भोजन में मिलाए जाने वाले हल्दी या मिर्ची में भी बहुत ज्यादा मिलावट की बात सामने आती है, क्योंकि बाजार में डुप्लीकेट हल्दी और हरी मिर्च मिल रहे हैं. जो सस्ते दर पर उपलब्ध होते हैं और ठेले खोमचे या फिर मेले में स्टॉल लगाने वाले दुकानदार ऐसे नकली हल्दी और खराब मिर्च का प्रयोग धड़ल्ले से कर रहे हैं.

चतुर्भुज मीना बताते हैं कि हल्दी में यदि चूने का पानी मिलाया जाए तो उससे हल्दी की क्वालिटी पता चल सकती है. मिर्च को कागज पर रगड़ा जाए तो मिर्च की क्वालिटी का भी पता लोग अपने स्तर से कर सकते हैं. वहीं उन्होंने बताया कि मेले के समय में खाद्य पदार्थों में मिलावट के मामले ज्यादा देखे जाते हैं, इसीलिए जिला प्रशासन और खाद्य प्रयोगशाला की टीम समय-समय पर मेले में जांच अभियान भी चलाती है और जिनके भी खाद्य पदार्थ में मिलावट पाए जाते हैं उनके खिलाफ कार्रवाई की जाती है.

जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने भी आम लोगों से अपील करते हुए कहा कि मेले में वैसे भोजन का प्रयोग ना करें जो आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. साथ ही उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि यदि उन्हें लग रहा है कि कोई व्यक्ति या फिर दुकानदार भोजन में मिलावट कर लोगों के बीच खराब भोजन का वितरण कर रहा है तो उसकी जानकारी तुरंत जिला प्रशासन या राज्य खाद्य प्रयोगशाला के कार्यालय में दें ताकि वैसे शख्स को चिन्हित कर त्वरित कार्रवाई की जा सके.

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