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डायन-बिसाही मामले रोकने के लिए झारखंड पुलिस का बड़ा कदम, पाहन-ओझा पर नकेल की तैयारी

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Published : Oct 25, 2021, 4:47 PM IST

Updated : Oct 25, 2021, 10:08 PM IST

dayan bisahi case in jharkhand
झारखंड में डायन बिसाही केस

झारखंड में डायन बिसाही की वजह से होने वाली हत्या को रोकने के लिए पुलिस बड़ी कार्य योजना पर काम कर रही है. डायन-बिसाही हत्याओं को रोकने के लिए सभी जिलों के एसपी, रेल एसपी को संबंधित जिला का नोडल पदाधिकारी बनाया गया है. इसे रोकने के लिए बड़ी प्लानिंग के साथ पुलिस काम कर रही है.

रांची:झारखंड में डायन-बिसाही की वजहों से होने वाली हत्याओं को रोकने के लिए पुलिस ने बड़ी कार्य योजना पर काम शुरू कर दिया है. पुलिस की रिसर्च में यह बात सामने आई है कि डायन बिसाही को लेकर होने वाली हत्या के पीछे अहम भूमिका ग्रामीण इलाकों में रहने वाले वैसे लोगों की होती है जो झाड़-फूंक करते हैं. झारखंड पुलिस इस तरह के ओझा, तांत्रिक और स्थानीय पुजारियों पर नकेल कसने के लिए काम कर रही है.

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हर बार संदिग्ध होती है भूमिका

डायन-बिसाही हत्या मामले में कई बार ओझागुनियों और स्थानीय पुजारियों की भूमिका होती है. ऐसे में अब राज्य पुलिस स्थानीय पुजारी, पाहन, भगत को चिन्हित कर उनके पर्सनल बाउंड या निजी मुचलका भरवा रही है ताकि स्थानीय स्तर पर उचित रोकथाम किया जा सके. राज्य में डायन-बिसाही हत्याओं को रोकने के लिए सभी जिलों के एसपी, रेल एसपी को संबंधित जिला का नोडल पदाधिकारी बनाया गया है. वहीं सीआईडी के लिए डीआईजी सीआईडी को राज्य भर का नोडल पदाधिकारी बनाया गया है. झारखंड पुलिस के प्रवक्ता आईजी अभियान अमोल होमकर के अनुसार झारखंड में डायन बिसाही का आरोप लगाकर होने वाली हत्याएं बहुत बड़ी समस्या है और इसे रोकने के लिए बड़ी प्लानिंग के साथ पुलिस काम कर रही है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

कसा जा रहा नकेल

रांची के ग्रामीण एसपी नौसाद आलम के अनुसार अधिकतर घटनाओं में यह बात सामने आती है कि किसी का बच्चा बीमार है, तो अशिक्षित लोग अंधविश्वास में ओझा-गुनी के पास झाड़-फूंक के लिए चले जाते हैं. वहां ओझा गुणी गांव के किसी महिला या पुरुष का नाम बता देता है कि उसने जादू टोना किया है. गुस्से में लोग वैसे व्यक्ति या महिला को प्रताड़ित करते हैं. उसकी हत्या भी कर देते है. अंधविश्वास में गांव में कभी किसी के बीमार होने के लिए तो कभी किसी की मौत के लिए, यहां तक कि पशुओं की मौत के लिए भी जिम्मेदार ठहरा लोग किसी को भी डायन करार देते हैं. इस मामले में झाड़-फूंक करने वाले ओझा-गुनी की भी भूमिका रहती है, जो ग्रामीणों की अज्ञानता का फायदा उठाकर अंधविश्वास को बढ़ावा देते रहते हैं. ओझा-गुनी ही चिन्हित कर बताते हैं कि किस गांव में कौन डायन है. झारखंड के अलग-अलग जिलों के सभी थाना प्रभारियों को यह आदेश दिया गया है कि वे लोग जिस तरह अपराधियों का डाटा तैयार करते हैं, उसी तरह से गांव में झाड़-फूंक करने वाले लोगों को भी चिन्हित कर उनकी लिस्ट बनाएं और उनके कार्यों पर नजर रखें.

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किस तरह की योजनाओं पर हो रहा काम

डायन बिसाही के मामलों में सभी जिलों के एसपी को निर्देश दिया गया है कि वह संवेदनशील जगहों का चयन कर योग्य और संवेदनशील पदाधिकारियों व कर्मियों की प्रतिनियुक्ति करें. सूचना जुटाकर लगातर वस्तुस्थिति की समीक्षा करें. जिले में विशेष शाखा के स्थानीय पदाधिकारियों के साथ भी हर महीने बैठक कर डायन बिसाही संबंधी सूचना जुटाने और कार्रवाई का आदेश पुलिस मुख्यालय ने दिया है. जिन इलाकों में पूर्व में ऐसी घटनाएं हुई हैं, वहां खास निगरानी रखने का आदेश दिया गया है. थानेदारों को निर्देश दिया गया है कि वह किसी घटना पर तत्काल इसकी जानकारी एसपी को दें. इसके बाद एसपी के स्तर पर कार्रवाई सुनिश्चित की जाए. स्थानीय चौकीदार और एसपीओ को विशेष प्रशिक्षण देने का निर्देश भी दिया गया है.

महिला पुलिसकर्मी करेंगी जागरूक

गांव-गांव में जागरूकता फैलाने के लिए गठित दल में महिला आरक्षी और चौकीदारों को रखा जाएगा. गठित दल के द्वारा ऐसे मामले में अनुसंधान में भी सहयोग दिया जाएगा. एसपी को निर्देश दिया गया है कि वह डायन बिसाही मामलों में तत्काल सजा दिलाने के लिए प्रधान न्यायाधीश से अनुरोध करें और गवाहों को सुरक्षित उपस्थित कराने के लिए थानेदारों को जिम्मेदारी दें.

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हर जिले में बनेगा हेल्पलाइन

डायन बिसाही हिंसा रोकने के लिए हर जिले में हेल्पलाइन बनाया जाएगा. हेल्पलाइन को आम लोगों के बीच प्रचारित किया जाएगा. एसपी को निर्देश दिया गया है कि वह पांच साल से डायन बिसाही के दर्ज तमाम मामलों की समीक्षा करेंगे और इसकी रिपोर्ट डीआईजी को उपलब्ध कराएंगे. इसके बाद डीआईजी के द्वारा समेकित रिपोर्ट एडीजी सीआईडी को सौंपी जाएगी. लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई का निर्देश भी एसपी को दिया गया है.

भयावह हैं आंकड़े

झारखंड पुलिस के आंकड़ों पर गौर करें तो वर्ष 2015 से 2021 के इन 6 वर्षों में डायन-बिसाही के नाम पर 259 लोगों की हत्या कर दी गई. इस दौरान डायन-बिसाही से जुड़े कुल 4680 मामले राज्य के विभिन्न थानों में दर्ज किए गए. इन घटनाओं का सबसे दुखद पहलू यह है कि ज्यादातर मामलों में गांव वालों ने एकजुट और एकमत होकर ये हत्याएं की. पीड़ित रहम की भीख मांगते रहे, लेकिन कल तक उनके साथ हंसने-बोलने-खेलने वालों ने ही बर्बरता पूर्वक जान ले ली. जिन इलाकों में डायन-बिसाही में हत्या की घटनाएं हुई हैं, वहां ग्रामीण अशिक्षा और अंधविश्वास की गिरफ्त में जकड़े हैं. कई मामलों में संपत्ति हड़पने के लिए भी डायन-बिसाही का आरोप लगा पूरे परिवार की हत्या कर देने के मामले सामने आए हैं.

सबसे ज्यादा हुई है महिलाओं की हत्या

2015 से अक्टूबर 2021 तक राज्य में डायन बिसाही के आरोप में सबसे ज्यादा 211 महिलाओं की हत्या की गई है. इनमें सर्वाधिक चाईबासा की 40, गुमला की 32, खूंटी की 29, सिमडेगा की 22 और रांची की 20 महिलाएं शामिल हैं. झारखंड पुलिस के रिकॉर्ड में वर्ष 2015 से जून 2021 तक 4680 डायन अधिनियम से जुड़े मामले विभिन्न जिलों के थानों में दर्ज किये गये हैं.

Last Updated :Oct 25, 2021, 10:08 PM IST

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