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झारखंड बनने के बाद पहली बार कोई मुख्यमंत्री पहुंचा माओवादियों की मांद में, नक्सलियों के ठिकाने को किया गया था तबाह

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Nov 14, 2023, 5:35 PM IST

Updated : Nov 14, 2023, 6:43 PM IST

झारखंड के 23 साल के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ जब किसी अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र को नक्सल मुक्त घोषित किया गया और पहली बार राज्य के मुखिया यहां पहुंचे. सुरक्षाबलों की सालों की मेहनत का यह नतीजा है. Jharkhand Foundation Day Special. Budhapahad Naxal free story.

Jharkhand Foundation Day Special
Budhapahad Naxal free story

पलामू: 27 जनवरी 2023 यह तारीख इतिहास के पन्नो में दर्ज हो गई है. गणतंत्र दिवस के ठीक अगले दिन एक ऐसे इलाके में भारतीय संविधान की पाठ पढ़ाई गई जंहा कई दशकों तक माओवाद का पाठ पढ़ाया जाता रहा है. झारखंड गठन के बाद पहली बार कोई मुख्यमंत्री माओवादियों की सबसे सुरक्षित मांद में पहुंचा.

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झारखंड के नक्सल इतिहास में सुरक्षाबल और पुलिस के लिए मिशन बूढापहाड़ सफल रही. झारखंड देश के अति नक्सल प्रभावित राज्य माना जाता है. बूढापहाड़ से ही माओवादी झारखंड और बिहार के नक्सलियों को गुरिल्ला वार की ट्रेनिंग देते थे. सुरक्षाबलों ने माओवादियों के ट्रेनिंग सेंटर रहे बूढापहाड़ को पूरी तरह तबाह कर दिया और अपना कब्जा जमा लिया. हेमंत सोरेन राज्य के पहले ऐसे सीएम बने जो बूढापहाड़ गए थे. सुरक्षाबलों का मिशन बूढापहाड़ नक्सल विरोधी अभियान के लिए रोल मॉडल बन गया.

झारखंड बनने के बाद पहली बार नक्सल इलाके के लिए डेवलपमेंट प्रोजेक्ट की घोषणा:झारखंड बनने के बाद पहली बार किसी खास इलाके को नक्सल मुक्त करवाया गया. नक्सल मुक्त इलाके के लिए खास डेवलपमेंट प्रोजेक्ट की घोषणा की गई है. सीएम हेमंत सोरेन ने 200 करोड़ की लागत से बूढापहाड़ डेवलपमेंट प्रोजेक्ट की घोषणा की. बूढापहाड़ और उसके आस पास के 12 गांव के लिए विकास योजना का खाका तैयार किया गया.

दरसअल, बूढापहाड़ के इलाके में 30 वर्षों से भी अधिक नक्सलियों का कब्जा रहा. सितंबर 2023 में माओवादियों के खिलाफ अभियान ऑक्टोपस शुरू किया गया था. दिसंबर 2023 में सुरक्षाबलों ने बूढापहाड़ पर कब्जा जमा लिया, ठीक एक महीने बाद सीएम हेमंत सोरेन पूरे टीम के साथ बूढापहाड़ पहुंचे और अभियान में शामिल जवानों का हौसला बढ़ाया. झारखंड बनने के बाद पहली बार कोई मुख्यमंत्री नक्सलियों के इलाके में इस तरह दाखिल हुआ था और डेवलपमेंट प्रोजेक्ट की घोषणा की थी.

2012-13 में माओवादियों ने बूढापहाड़ को बनाया था यूनिफाइड कमांड और ट्रेनिंग सेंटर:2012-13 में माओवादियों ने बूढ़ापहाड़ को पूरी तरह से यूनिफाइड कमांड और ट्रेनिंग सेंटर के रूप में विकसित किया था. इससे पहले लातेहार का सरयू माओवादियों का यूनिफाइड कमांडर और ट्रेनिंग सेंटर था. 2011-12 में सुरक्षाबलों के बढ़ते दबाव के बाद माओवादियों ने सरयू के इलाके से यूनिफाइड कमांड और ट्रेनिंग सेंटर को हटा कर बूढापहाड़ में शिफ्ट कर दिया था. लेकिन सरयू का इलाका नक्सल मुक्त नहीं हुआ था. बूढापहाड़ को पहली बार नक्सल मुक्त कहा गया है. तीन दशक में बूढापहाड़ अभियान के दौरान 56 से अधिक जवान शहीद हुए थे, जबकि 133 से अधिक ग्रामीणों की जान गई है.

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माओवादियों के लिए क्यों खास था बूढापहाड़, सीएम क्यों गए थे वहां:बूढ़ापहाड़ माओवादियों के झारखंड, बिहार, ओडिशा और छत्तीसगढ़ कॉरिडोर का हिस्सा है. माओवादियों के रेड कॉरिडोर में बूढ़ापहाड़ सबसे बड़ा जंक्शन था. बिहार के छकरबंधा और सारंडा के बीच बूढापहाड़ एक मजबूत किला था. सुरक्षाबलों ने माओवादियों के रेड कॉरिडोर को बंद कर दिया और बूढापहाड़ पर कब्जा जमा लिया. राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन नक्सल विरोधी अभियान के तहत एक बड़ा संदेश देने के लिए बूढ़ापहाड़ पहुंचे थे. इससे पहले झारखंड में हिंसक घटना होने के बाद सीएम जिला मुख्यालय या राज्य मुख्यालय में जाया करते थे. झारखंड बनने के बाद पहली बार कोई सीएम बूढ़ापहाड़ जैसी जगह में गया था.

इलाके में हो रहा बदलाव, मिशन बूढापहाड़ बड़ी सफलता- आईजी: पलामू के जोनल आईजी राजकुमार लकड़ा ने बताया कि मिशन बूढ़ापहाड़ नक्सल विरोधी अभियान के लिए बड़ी सफलता है. अभियान के बाद इलाके में डेवलपमेंट प्रोजेक्ट की घोषणा की गई है जिससे इलाके में तेजी से बदलाव हो रहा है. इलाके के लोगों को मूलभूत सुविधा उपलब्ध करवाई जा रही है साथ ही साथ मुख्यधारा से जोड़ा जा रहा है. आईजी ने बताया कि बूढ़ापहाड़ के इलाके की जो तस्वीर निकलकर सामने आ रही है वह काफी सुखद है. इलाके में बच्चों को पढ़ाया जा रहा है साथ ही साथ सड़क पुल का निर्माण भी किया जा रहा है.

Last Updated :Nov 14, 2023, 6:43 PM IST

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