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Deoghar News: देवघर के बाबा बैद्यनाथ धाम में खास तरह की पूजा से होती है मनोकामनाएं पूरी, जानिए पूजा से जुड़ी परंपरा और पद्धति

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Published : Jul 26, 2023, 5:48 PM IST

शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक देवघर के बाबा बैद्यनाथ मंदिर से जुड़ी पूजा की विशेष परंपरा है. वर्षों से इस परंपरा के अनुसार पूजा की जाती है. मान्यता है कि जो भी इस खास तरह की पूजा को सच्चे मन से करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है.

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Thapa Puja In Baba Baidyanath Dham Deoghar

देवघरः देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ मंदिर को मनोकामना लिंग के रूप में जाना जाता है. मान्यता है कि यहां जो भक्त सच्चे मन से मनोकामना मांगते हैं, वह पूरी हो जाती है. साथ ही बाबा मंदिर में थापा पूजा की भी परंपरा है. मान्यता है कि थापा पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है.

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बाबा बैद्यनाथ मंदिर में थापा पूजा की परंपराःजानकारों के अनुसार ऐसी मान्यता है कि बाबा बैद्यनाथ मंदिर के गर्भ गृह की दीवार पर जो भी उलटा हाथ से थापा लगाकर मन्नत मांगता है उसकी मनोकामना पूर्ण जरूर होती है. पुरोहितों के अनुसार मंदिर में थापा पूजा करने से संतान की प्राप्ति होती है, नौकरी के परेशान लोगों की नौकरी लगती है, शादी होने की कामना या अन्य कामना पूर्ण हो जाती है.

खास पूजा से मनोकामना होती है पूरीःबाबा मंदिर के तीर्थपुरोहित के अनुसार ऐसी मान्यता है कि बाबा बैद्यनाथ मंदिर के गर्भगृह की दीवार पर जो कोई भी उलटा हाथ से थापा लगाकर मन्नत मांगता है उसकी मनोकामना जल्द ही पूरी हो जाती है. मनोकामना पूर्ण होने पर सीधे हाथ से थापा लगा कर पूजा करने की परंपरा है. अपनी मन्नत को लेकर एक विशेष पूजा के तहत भक्त बाबा मंदिर के गर्भगृह की बाहरी दीवार पर थापा लगाते हैं. यहां एक परंपरा है श्रद्धालु अपनी मन्नत मांगने के लिए पहले उलटे हाथ से दीवार पर पूरे विधि-विधान से थापा लगाते हैं और जब मन्नत पूरी हो जाती है तब सीधे हाथ से थापा लगाकर भोलेनाथ का आशीर्वाद को प्राप्त करते हैं.

देश-विदेश से पहुंचते हैं श्रद्धालुःबताते चलें कि ऐसे तो सालोंभर देवघर के बैद्यनाथ मंदिर में देश-विदेश से भक्त दर्शन पूजन के लिए पहुंचते हैं, लेकिन सावन में श्रद्धालुओं की तादाद बढ़ जाती है. देवघर में पूरे सावन माह श्रावणी मेला का आयोजन किया जाता है. इस बार दो माह तक मेला का आयोजन किया जाएगा. मंदिर में खास दिवस पर तरह-तरह के धार्मिक अनुष्ठान का भी आयोजन किया जाता है. साथ ही शादी, मुंडन और उपनयन संस्कार भी किया जाता है.

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