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हिमाचल में मेयर-डिप्टी मेयर के चुनाव में MLA भी देंगे वोट, सुक्खू सरकार के फैसले पर भड़की भाजपा

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Nov 24, 2023, 12:03 PM IST

Updated : Nov 24, 2023, 12:45 PM IST

MLA Voting Right in Municipal Corporation: हिमाचल प्रदेश में अब नगर निगम में मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव में स्थानीय विधायक भी वोट कर सकता है. सुखविंदर सरकार ने नगर निगम में मेयर और डिप्टी मेयर के चयन के लिए विधायकों को वोटिंग राइट दिया है. जिसकी नोटिफिकेशन जारी कर दी गई है. वहीं, सरकार के इस फैसले के खिलाफ भाजपा भी भड़क गई है.

MLA Voting Right in Municipal Corporation
हिमाचल में नगर निमग में मेयर-डिप्टी मेयर के चयन में MLA की वोटिंग

सोलन: हिमाचल प्रदेश में शिमला सहित कुल पांच नगर निगम हैं. शिमला को छोड़कर अन्य चारों नगर निगम में मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव होना तय है. इनका कार्यकाल ढाई साल का होता है और इनका चयन पार्षद करते हैं. पूर्व में स्थानीय विधायक को नगर निगम हाउस में जाने का अधिकार जरूर होता था, लेकिन वोटिंग राइट नहीं था. वहीं, अब प्रदेश की सुखविंदर सरकार ने विधायकों को भी नगर निगम में वोटिंग राइट दे दिया है.

हिमाचल सरकार ने नगर निगम में मेयर और डिप्टी मेयर के चयन के लिए विधायकों को वोटिंग राइट दिया है. जिससे अब मेयर और डिप्टी मेयर के चयन के वक्त पार्षदों के साथ-साथ लोकल एमएलए भी वोट देंगे. राज्य सरकार ने लॉ डिपार्टमेंट में कानूनी राय के बाद गुरुवार देर रात यह फैसला लिया है, वहीं इसकी नोटिफिकेशन जारी की है.

प्रदेश सरकार ने जारी कि नोटिफिकेशन

प्रदेश सरकार के फैसले पर भड़की भाजपा: इससे पहले प्रदेश सरकार ने चारों नगर निगम में मेयर डिप्टी मेयर के चुनाव का शेड्यूल जारी किया है. चुनाव कार्यक्रम जारी करने के बाद हिमाचल प्रदेश म्युनिसिपल कॉरपोरेशन एक्ट 1994 की धारा 4 में संशोधन पर अब भाजपा भड़क गई है. बीजेपी ने इसे लोकतंत्र की हत्या का प्रयास करार दिया है. इसको लेकर आज भाजपा के वरिष्ठ नेता शिमला में बैठक कर कानून लड़ाई लड़ने का फैसला लेंगे.

मेयर-डिप्टी मेयर के चयन में MLA भी करेंगे वोटिंग

भाजपा नेताओं ने सा निशाना: दरअसल प्रदेश के चारों नगर निगम में ढाई-ढाई साल पूरा होने के कारण 2 महीने पहले ही मौजूदा मेयर डिप्टी मेयर का कार्यकाल पूरा हो चुका है. इसके लिए चुनाव कब निर्धारित है. इस दौरान प्रदेश सरकार ने नगर निगम में मेयर और डिप्टी मेयर के चयन के लिए विधायकों को वोट देने का अधिकार दिया, जिस पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल ने इसे लोकतंत्र की हत्या करार दिया. वहीं, सुंदरनगर के विधायक और प्रदेश भाजपा के मुख्य प्रवक्ता राकेश जम्वाल ने भी कांग्रेस सरकार की मंशा पर सवाल उठाए.

नगर निगम सोलन

हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार लोकतंत्र की हत्या करने पर आ गई है. नगर निगम के मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव को प्रभावित करने के लिए कांग्रेस की सरकार ने जीते हुए विधायकों को नगर निगम की चुनाव प्रक्रिया में वोटिंग अधिकार दिया है. ऐसा हिमाचल में आज से पहले कभी नहीं हुआ. यह लोकतंत्र की हत्या है. लोकतंत्र की हत्या करना कांग्रेस की पुरानी आदत भी है. - डॉ. राजीव बिंदल, प्रदेश अध्यक्ष, भाजपा

जब नगर निगम के मेयर और डिप्टी मेयर के चुनावों की घोषणा हो चुकी है तो चुनाव प्रक्रिया के बीच में ऐसी अधिसूचना कैसे जारी हो सकती है. आज से पहले तो कभी ऐसा नहीं हुआ. इस अधिसूचना को जारी करने के पीछे कांग्रेस सरकार का डर और मंशा साफ प्रतीत हो रही है. आपसी अंतर्कलह के कारण वह हार का सामना कर सकते हैं. इसलिए चुनाव प्रक्रिया प्रभावित करते हुए गलत रूप से अपने मेयर और डिप्टी मेयर का चयन करना चाहते हैं. - राकेश जम्वाल, मुख्य प्रवक्ता, प्रदेश भाजपा

सोलन और पालमपुर में मेयर-डिप्टी मेयर कांग्रेस के बनना तय: गौरतलब है कि सोलन नगर निगम में 17 वार्डों में से कांग्रेस के 9 पार्षद और भाजपा के 7 पार्षद जीते हैं. यहां पर स्थानीय विधायक भी कांग्रेस की ही है. लिहाजा ऐसे में सोलन नगर निगम में कांग्रेस का मेयर और डिप्टी मेयर बनना तय माना जा रहा है. इसी तरह पालमपुर में भी नगर निगम के 15 वार्डों में से 11 पर कांग्रेस पार्षद जीते हैं. स्थानीय विधायक भी कांग्रेस के ही हैं. ऐसे में विधायकों को वोटिंग राइट मिलने के बाद पालमपुर में भी कांग्रेस का मेयर, डिप्टी मेयर बनना भी तय माना जा रहा है.

नगर निगम मंडी

मंडी में भाजपा मजबूत:वहीं, मंडी में भाजपा के कब्जे में नगर निगम है. यहां पर 15 वार्डों में से 11 पार्षद बीजेपी के हैं. स्थानीय विधायक भी यहां पर भाजपा के ही हैं. ऐसे में नगर निगम मंडी भाजपा के ही कब्जे रहने की आसार रहने वाले हैं. यहां पर मेयर और डिप्टी मेयर के चेहरे जरूर मिलेंगे, लेकिन कांग्रेस के यहां पर सेंधमारी के आसार न के बराबर दिख रहे हैं.

नगर निगम धर्मशालाा

विधायक के वोटिंग राइट का धर्मशाला में असर: वहीं, दूसरी तरफ नगर निगम धर्मशाला में भाजपा का कब्जा है. विधायक को वोटिंग राइट मिलने के बाद धर्मशाला में कांग्रेस उलट फेर जरूर कर सकती है. धर्मशाला के 17 वार्डों में भाजपा के पास 8 पार्षद कांग्रेस के पास 5 और 4 निर्दलीय पार्षद जीते हुए हैं. पूर्व सरकार के कार्यकाल में धर्मशाला से भाजपा विधायक थे. मगर अब यहां से कांग्रेस विधायक सुधीर शर्मा है. ऐसे में धर्मशाला में कांग्रेस 4 में से तीन निर्दलीय पार्षदों को अपने साथ अगर कर लेती है तो यहां पर तख्तापलट हो सकता है और धर्मशाला में कांग्रेस की नगर निगम बन सकती है.

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Last Updated :Nov 24, 2023, 12:45 PM IST

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