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बिजली बोर्ड को झटके दे रहा घाटे का करंट, कभी देता था सरकार को कर्ज, अब खुद आर्थिक संकट में

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Published : Feb 5, 2023, 7:31 AM IST

हिमाचल प्रदेश बिजली बोर्ड इन दिनों घाटे का करंट झेलने को मजबूर है. जहां एक ओर बिजली बोर्ड पहले ही डेढ़ हजार करोड़ रुपए से अधिक का घाटा झेल रहा है, वहीं सरकारें जनता को निशुल्क बिजली का लालच देकर बिजली बोर्ड को और अधिक आर्थिक अंधेरे में धकेल रही है. किसी समय बिजली बोर्ड की आमदनी इतनी थी की बोर्ड सरकार को कर्ज देता था, लेकिन आज हालात यह है कि बोर्ड खुद आर्थिक संकट में है.

Himachal Electricity Board
Himachal Electricity Board

शिमला: उर्जा राज्य हिमाचल प्रदेश का बिजली बोर्ड घाटे का करंट झेलने को मजबूर है. डेढ़ हजार करोड़ रुपए से अधिक के घाटे में चल रहे हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड को आर्थिक संकट से निकलने की राह नहीं सूझ रही. ऊपर से सरकारें जनता को निशुल्क बिजली का लालच देकर बिजली बोर्ड को और अधिक आर्थिक अंधेरे में धकेल रही है. पूर्व में भाजपा सरकार ने प्रदेश की जनता को 125 यूनिट निशुल्क बिजली प्रदान की. अब कांग्रेस ने हर महीने 300 यूनिट बिजली निशुल्क देने का ऐलान किया है.

निशुल्क बिजली से राज्य बिजली बोर्ड को पहले ही हर महीने 50 करोड़ रुपए से अधिक का घाटा झेलना पड़ रहा है. निशुल्क बिजली योजना से प्रदेश के 14.62 लाख से अधिक उपभोक्ता लाभ ले रहे हैं. अब कांग्रेस सरकार के 300 यूनिट फ्री बिजली के वादे से बोर्ड का घाटा और बढ़ेगा. इससे कम से कम सौ करोड़ रुपए प्रति माह का बोझ पड़ेगा. अभी हालात ये हैं कि बिजली बोर्ड के पास कर्मचारियों को वेतन देने के लिए संकट पेश आ रहा है.

एक समय ऐसा था कि आर्थिक संकट के दौरान हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड राज्य सरकार के लिए संकट मोचक का काम करता था. तब बिजली बोर्ड राज्य सरकार को समय-समय पर लोन देता था. अब हालत विपरीत हैं. बिजली बोर्ड अपने कर्मचारियों को वेतन की अदायगी और पेंशनर्स को पेंशन देने के लिए सरकार से मदद पर निर्भर है. पूर्व में जयराम सरकार ने जब 125 यूनिट बिजली फ्री की थी तो बदले में सरकार ने बिजली बोर्ड को नुकसान की भरपाई के लिए अनुदान देने की व्यवस्था की थी.

कांग्रेस सरकार के सत्ता में आने से पहले दिसंबर 2022 में पूर्व की सरकार ने बिजली बोर्ड को अनुदान के 111 करोड़ रुपए अदा किए थे. तब जाकर बोर्ड प्रबंधन दिसंबर 2022 का वेतन देने के काबिल हुआ था. राज्य सरकार हर महीने बिजली बोर्ड को निशुल्क बिजली देने की एवज में अनुदान देती है, जिससे बोर्ड प्रबंधन अपने खर्च निकालता है. अब कांग्रेस सरकार के समय भी यही स्थिति है. अलबत्ता जिस समय कांग्रेस सरकार तीन सौ यूनिट बिजली की गारंटी लागू करेगी, तब स्थिति और विकट होगी.

प्रदेश सरकार खुद आर्थिक संकट में है, ऐसे में वो बिजली बोर्ड की अनुदान राशि की व्यवस्था कैसे करेगी, ये बड़ा सवाल है. मौजूदा महीना यानी फरवरी 2023 तो किसी तरह निकल जाएगा, लेकिन मार्च महीने में बिजली बोर्ड के सामने फिर से वेतन और पेंशन की अदायगी का संकट आएगा. अभी तक राज्य बिजली बोर्ड प्रबंधन तीन सौ करोड़ रुपए का कर्ज लेकर अपना काम चला रहा था. ये लोन अब खत्म हो गया है. इसके बाद सरकार से अनुदान राशि ही सहारा है.

राज्य बिजली बोर्ड ने सरकार से निशुल्क बिजली के एवज में 190 करोड़ रुपए की अनुदान राशि लेनी है. हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड में 13 हजार कर्मचारी कार्यरत हैं. बिजली बोर्ड कर्मचारी यूनियन के पदाधिकारी हीरालाल वर्मा का कहना है कि सरकार के बोर्ड की अनुदान देनदारी समय पर चुकानी चाहिए. इसके अलावा सरकार को बिजली बोर्ड की समस्याओं को लेकर गंभीरता दिखानी चाहिए. फिलहाल, राज्य बिजली बोर्ड के समक्ष तो अभी आने वाले समय में कर्मचारियों के वेतन और पेंशनर्स की पेंशन को अदा करने का संकट है.

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