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पौधों को क्वारंटाइन करना समय की मांग ताकि बागवानों को न हो नुकसान : डॉ. परविंदर कौशल

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Published : Nov 12, 2021, 6:15 PM IST

डॉ. यशवंत सिंह परमार बागवानी व वानिकी विश्वविद्यालय (Dr. Yashwant Singh Parmar University of Horticulture and Forestry) के कुलपति डॉ. परविंदर ने बताया कि पौधों को क्वारंटाइन करना समय की मांग है ताकि बागवानों को खराब पौधों से नुकसान न हो. उन्होंने कहा कि कोरोना काल ने क्वारंटाइन का महत्व बता दिया है ऐसे में वैज्ञानिकों सहित किसानों को पौधे को क्वारंटाइन करने के लाभ के बारे में बताया जा रहा है.

Dr. Yashwant Singh Parmar University
Workshop

सोलन: डॉ. यशवंत सिंह परमार बागवानी व वानिकी विश्वविद्यालय (Dr. Yashwant Singh Parmar University of Horticulture and Forestry) में पहली बार पौधों को क्वारंटाइन करने के बारे में राज्य स्तरीय कार्यशाला (Workshop ) का आयोजन किया गया. जिसमें राष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों सहित प्रदेश के बागवानों को पौधों के क्वारंटाइन करने के महत्व के बारे में बताया और उन्हें विस्तृत जानकारी दी. कार्यशाला की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. परविंदर कौशल (Vice Chancellor Dr. Parvinder Kaushal) ने की.

कुलपति डॉ. परविंदर कौशल ने क्वारंटाइन के महत्व के बारे में बागवानों और किसानों को जानकारी देने के लिए एक पुस्तक का विमोचन भी किया. डॉ. परविंदर ने बताया कि पौधों को क्वारंटाइन करना समय की मांग है ताकि बागवानों को खराब पौधों से नुकसान न हो. उन्होंने कहा कि कोरोना काल ने क्वारंटाइन का महत्व बता दिया है, ऐसे में वैज्ञानिकों सहित किसानों को पौधे को क्वारंटाइन करने के लाभ के बारे में बताया जा रहा है.

परविंदर कौशल ने बताया कि दूसरे देशों से पौधों में कोई बीमारी आकर यहां पर पौधों को खराब न करे इसलिए पौधों को क्वारंटाइन करना बेहद जरूरी है. जिसके लिए सभी तैयारियां की गई हैं. वहीं, कार्यशाला में आये प्रदेश भर से बागवानों ने भी इस कार्यशाला को लाभकारी बताते हुए कहा कि जो उन्हें पौधों को क्वारंटाइन के बारे में जानकारी दी गई है वह उनके लिए बेहद उपयोगी साबित होगी.

उन्होंने कहा कि यदि वह विश्वविद्यालय से पौधे नहीं खरीदते हैं और निजी तौर पर भी बाहर से पौधे खरीदते हैं तो उन्हें क्वारंटाइन करेंगे. उन्होंने केंद्र व प्रदेश सरकार से मांग की है कि पौधों के क्वारंटाइन पर कढ़ाई की जाए ताकि यहां पर बागवान खराब पौधें ना लगाएं और उनका नुकसान होने से बच सके.

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