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जाट आरक्षण आंदोलन से जुड़े मामले में रोहतक कोर्ट ने 5 आरोपियों को किया बरी, हाईवे को जाम करने का था आरोप

By ETV Bharat Haryana Team

Published : Aug 24, 2023, 7:20 PM IST

रोहतक कोर्ट ने जाट आरक्षण आंदोलन से जुड़े मामले में 5 आरोपियों को बरी किया है. पुलिस आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में कानून तोड़ने जैसा कोई भी साक्ष्य पेश नहीं कर पाई.

rohtak district court
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जाट आरक्षण आंदोलन से जुड़े मामले में रोहतक कोर्ट ने 5 आरोपियों को किया बरी

रोहतक: जाट आरक्षण आंदोलन से जुड़े मामले में कोर्ट ने 5 आरोपियों को बरी किया है. साल 2016 में जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान नेशनल हाईवे को जाम करने से जुड़े मामले पर रोहतक कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई की. इस मामले में कोर्ट ने 5 आरोपियों को बरी कर दिया. एक आरोपी की मौत हो चुकी है. पुलिस आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में कानून तोड़ने जैसा कोई भी साक्ष्य पेश नहीं कर पाई.

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गौरतलब है कि जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान 15 फरवरी 2016 को सांपला पुलिस स्टेशन में नेशनल हाईवे जाम करने का केस दर्ज हुआ था. एएसआई सतबीर ने पुलिस में दर्ज कराई गई शिकायत में कहा था कि वो नेशनल हाइवे पर इस्माइला के नजदीक ड्यूटी पर थे. इसी दौरान सूचना मिली कि इस्माइला के करीब 5 दर्जन व्यक्तियों ने हाईवे जाम कर दिया है. जाम करने वालों ने हाथों में लाठी-डंडे ले रखे हैं.

आरोप था कि नेशनल हाईवे जाम करने वालों को काफी समझाया गया, लेकिन वो नहीं माने और हाईवे पर अवरोधक डालकर आने-जाने वाले यात्रियों को रोक दिया. तभी एडवोकेट मनोज दूहन वहां पहुंचा और भाषण देकर ग्रामीणों को भड़काया. दूहन ने कहा कि जब तक आरक्षण नहीं मिलेगा, तब तक जाम नहीं खोला जाएगा. इस दौरान सरकार के खिलाफ भी नारेबाजी की गई.

एएसआई की शिकायत पर इस्माइला निवासी राजा उर्फ राज सिंह, अतर सिंह प्रधान, विनोद, दिनेश कुमार, बल्ले और एडवोकेट मनोज दूहन के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था. तभी से ये केस रोहतक कोर्ट में चल रहा था. गुरुवार को जज संदीप सिंह की कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए 5 आरोपियों को बरी कर दिया. जिसमें राजा उर्फ राज सिंह, अतर सिंह प्रधान, विनोद, दिनेश कुमार और एडवोकेट मनोज दूहन शामिल हैं.

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एक आरोपी बल्ले की केस की सुनवाई के दौरान मौत हो चुकी है. कोर्ट में आरोपियों की ओर से इस केस की पैरवी एडवोकेट जितेंद्र हुड्डा व एडवोकेट शक्ति खत्री ने की. एडवोकेट जितेंद्र हुड्डा ने बताया कि कोर्ट में आरोपियों पर दोष साबित नहीं हो पाया. कोर्ट ने माना कि धरना प्रदर्शन शांतिपूर्ण था और इस दौरान किसी भी यात्री जबरन रोका नहीं गया. पुलिस ने दुर्भावनापूर्ण तरीके से केस दर्ज किया था.

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