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डेरा प्रमुख राम रहीम की पैरोल अर्जी को हरियाणा सरकार ने किया खारिज

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Published : Apr 24, 2020, 7:04 PM IST

डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम की पैरोल को लेकर लगाई गई अर्जी को हरियाणा सरकार ने खारिज कर दिया है. सरकार का तर्क है कि कोरोना के चलते पैरोल की अर्जी खारिज की गई है. राम रहीम के वकील की ओर से ये छठी अर्जी लगाई है. पढे़ं पूरी खबर...

dera chief ram rahim payroll
dera chief ram rahim payroll

रोहतक: हरियाणा सरकार ने डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम की पैरोल की अर्जी को खारिज कर दिया है. जेल मंत्री रणजीत सिंह चौटाला का ने कहा है कि सरकार किसी के दवाब में आकर कोई फैसला नहीं लेती. उन्होंने कहा कि नियमों के अनुसार ही राम रहीम की पैरोल रद्द की गई है.

सिरसा प्रशसन ने राम रहीम की पेरोल को लेकर अपनी रिपोर्ट दाखिल की. राम रहीम ने माता नसीब कौर के ख़राब स्वास्थ्य का हवाला देकर पैरोल देने की मांग की थी. जिसपर रोहतक जेल प्रशासन ने सिरसा प्रशासन से नसीब कौर के स्वास्थ्य की रिपोर्ट मांगी.

वीडियो पर क्लिक कर जानें कि राम रहीम के बारे में जेल मंत्री ने क्या कहा.

सिरसा प्रशासन ने अपनी रिपोर्ट में नसीब कौर के स्वास्थ्य को स्थिर बताते हुए राम रहीम को पैरोल नहीं देने के लिए रिपोर्ट दाखिल की थी. जिसके आधार पर राम रहीम की पैरोल रद्द हो गई. दूसरी वजह ये थी अगर राम रहीम जेल से बाहर आता तो उसको देखने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ सकता था. जिससे लॉकडाउन के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना मुश्किल होता. इन बातों को ध्यान में रखकर राम रहीम की अर्जी रद्द की गई है.

अकाल तख़्त के जत्थेदार ने हरियाणा सरकार पर राम रहीम को पैरोल देने में मदद का आरोप लगाया था. इसपर जेल मंत्री ने कहा कि जत्थेदार ने क्या कहा मैं इसपर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता. रणजीत सिंह ने कहा कि हरियाणा सरकार किसी के दबाव में फैसला नहीं लेती.

राम रहीम पैरोल को लेकर पहले भी 5 बार अर्जी लगा चुका है, लेकिन कभी सरकार तो कभी प्रशासन की ओर से उसकी अर्जी को खारिज कर दिया गया है. वहीं राम रहीम की मुंह बोली बेटी हनी प्रीत कुछ दिन पहले जमानत पर बाहर आई थी, जब से बाहर ही हैं.

ये है मामला पूरा मामला

आपको बता दें कि साध्वी यौन शोषण मामले में गुरमीत राम रहीम को दोषी करार दिए जाने के बाद पंचकूला में भड़के दंगों को लेकर एफआईआर नंबर-345 दर्ज की गई थी, जिसमें हनीप्रीत सहित अन्य लोगों को आरोपी बनाया गया था. जबकि इस एफआईआर में गुरमीत राम रहीम को आरोपी नहीं बनाया गया था.

गुरमीत राम रहीम को एफआईआर नंबर-345 में आरोपी बनाए जाने को लेकर खट्टार सिंह ने एक याचिका सीजेएम कोर्ट में लगाई थी. जिस पर उनकी ओर से हवाला दिया गया था कि पंचकूला सहित अन्य जिलों व राज्यों में भड़की हिंसा का कारण गुरमीत राम रहीम था और गुरमीत राम रहीम के इशारों पर ही हिंसा हुई थी.

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राम रहीम को साध्वियों से बलात्कार के मामले में बीस साल की सज़ा हुई है. इसके साथ ही पत्रकार रामचंद्र प्रजापति के कत्ल के जुर्म में भी राम रहीम को उम्र कैद की सजा सुनाई गई है. वहीं पंचकूला की एक अदालत ने हनीप्रीत इंसा को हिंसा के मामले में जमानत दे दी है. इससे पहले, निचली अदालत ने हनीप्रीत और 35 अन्य आरोपियों के खिलाफ देशद्रोह का आरोप हटा दिया था

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