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हरियाणा से युवा किसानों का जत्था डाक कांवड़ लेकर दिल्ली बॉर्डर के लिए हुआ रवाना

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Published : Aug 17, 2021, 6:08 PM IST

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तीन कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन (farmers protest) लगातार जारी है. वहीं इस आंदोलन को और मजबूती देने के लिए हरियाणा से युवा किसानों का जत्था मिट्टी, जल लेकर डाक कांवड़ के रूप में टीकरी बार्डर के लिए रवाना हुआ है.

चरखी दादरी:कृषि कानूनों को रद्द करवाने को लेकर चल रहे किसान आंदोलन (farmers protest) में अब युवा किसान भी अपनी अहम भूमिका निभाएंगे. फोगाट खाप की अगुवाई में मंगलवार को गांव लोहरवाड़ा से युवा किसानों का जत्था गांव से मिट्टी, जल लेकर डाक कांवड़ के रूप में टिकरी बार्डर के लिए रवाना हुआ है. इस दौरान खाप प्रधान बलवंत नंबरदार व किसान नेता नितिन जांघू ने किसान आंदोलन के पक्ष में नारेबाजी करते हुए कांवड़ जत्थे को रवाना किया. बता दें कि, डाक कांवड़ के दौरान एक व्यक्ति को हमेशा जल लेकर भागना पड़ता है, वह बीच में कहीं नहीं रूक सकता. इसलिए बारी-बारी से सभी युवा जल लेकर दौड़ लगाते हैं.

गांव लोहरवाड़ा से युवा संगठन व खाप फोगाट के 70 से ज्यादा युवा बाबा समाध वाले मंदिर से जल और मिट्टी लेकर डाक कांवड़ के रूप में टीकरी बार्डर के लिए निकले. इस अवसर पर युवाओं ने कहा कि किसान अपना अन्न मिट्टी में ही पैदा करता है. जिससे इस देश का पेट भरा जाता है, लेकिन भाजपा सरकार ने किसानों पर तीन कृषि कानून थोंपकर परेशान कर रखा है. किसान पिछले नौ महीने से सड़कों पर आंदोलनरत हैं. हर साल जनता श्रावण माह में हरिद्वार से गंगाजल लाकर मंदिरों में भगवान शिव पर जल चढ़ाते हैं ताकि भक्तों की मनोकामना पूरी हो.

डाक कांवड़ लेकर दिल्ली बॉर्डर के लिए रवाना हुए युवा किसान

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इस बार वे यह जल व मिट्टी कावड़ के रूप में लेकर टीकरी बार्डर पर धरना दे रहे किसानों पर चढ़ाएंगे और भगवान से प्रार्थना करेंगे कि इस हठधर्मी सरकार को सदबुद्धि मिले ताकि किसानों की मांग जल्द पूरी हो. फोगाट खाप प्रधान बलवंत नंबरदार ने कहा कि इस डाक कांवड़ से जहां किसान आंदोलन को मजबूती मिलेगी वहीं सरकार की असलियत आमजन को पता चलेगी. किसान नेताओं ने कहा कि कृषि कानूनों को रद्द करवाने तक उनकी लड़ाई जारी रहेगी और संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर सभी बिरादरियों को साथ लेकर आंदोलन को तेज करेंगे.

बता दें कि, दिल्ली की सीमाओं पर पिछले नौ महीनों से कृषि कानूनों को रद्द करवाने को लेकर किसान आंदोलन कर रहे हैं. इस दौरान किसानों और सरकार की कई दौर की बातचीत भी हुई है, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल पाया. सरकार जहां किसानों की मांगे मानने को तैयार नहीं है तो वहीं किसान भी कृषि कानूनों को रद्द करवाने पर अड़े हैं.

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