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सब्जी बेचने पर मजबूर नेशनल खिलाड़ी, फूट-फूटकर रोते हुए सरकार की खेल नीति पर उठाए सवाल

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Published : Aug 19, 2021, 4:46 PM IST

Charkhi Dadri National player selling vegetables

ओलंपिक में देश का नाम रौशन कर भारत वापस लौटे खिलाड़ियों पर बेशक रूपयों की बरसात हो रही हो. लेकिन कुछ खिलाड़ी ऐसे भी हैं जो आज दो वक्त की रोटी भी नहीं कमा पा रहे हैं. हरियाणा का ही एक नेशनल स्तर का खिलाड़ी है जो कई मेडल जीत चुका है लेकिन उसे चपड़ासी की भी नौकरी नहीं मिली है. आज ये खिलाड़ी सब्जी बेचकर (National player selling vegetables) गुजारा चला रहा है और फूट-फूटकर रोत हुए सरकार की खेल नीति पर सवाल उठा रहा है.

चरखी दादरी: हरियाणा सरकार (Haryana Government) खेलों को बढ़ावा देने के लिए कई प्रकार की घोषणाएं करने के साथ ही नई खेल नीतियां लागू कर चुकी है. बावजूद इसके आज भी कुछ नेशनल स्तर के खिलाड़ी ऐसें हैं जिन्हें सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं मिली है. आज इन खिलाड़ियों के लिए दो वक्त की रोटी कमाना भी मुश्किल हो रहा है और अपने परिवार का पेट भरने के लिए किसी को दिहाड़ी मजदूरी या सब्जियां तक बेचनी पड़ रही है.

आज हम आपको चरखी दादरी के एक ऐसे ही नेशनल खिलाड़ी (National player selling vegetables) से रूबरु करवाएंगे जो सब्जियां बेचकर परिवार का पालन-पोषण कर रहा है. लगातार 8 वर्षों से एथलेटिक ट्रैक पर देश-प्रदेश के लिए मेडल जीतने वाला खिलाड़ी दयाकिशन अहलावत सरकारी तंत्र से हार गया है. आज हालात ऐसे हैं की दयाकिशन के मेडल भी उसे एक चपड़ासी की नौकरी तक नहीं दिला सके हैं. बता दें कि चरखी दादरी के प्रेम नगर में रहने वाले दयाकिशन अहलावत ने स्कूल और कॉलेज के समय में एथलेटिक्स में खूब कामयाबी हासिल की.

सब्जी बेचने पर मजबूर नेशनल खिलाड़ी, फूट-फूटकर रोते हुए सरकार की खेल नीति पर उठाए सवाल

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यूनिवर्सिटी और नेशनल के इंटर यूथ खेलों में दयाकिशन ने शानदार प्रदर्शन करते हुए काफी पदक तक जीते हैं. दयाकिशन ने वर्ष 2002 में यमुनानगर में हुई प्रतियोगिता में बेस्ट एथलीट का खिताब भी जीता. दयाकिशन के पास खेलों में जीते गए अनेक गोल्ड, सिल्वर और ब्रॉन्ज मेडलों के साथ ही उसे मिले सर्टीफिकेट की भरमार है. उन्होंने 2011 तक एथलेटिक ट्रैक पर अपना दम दिखाया था और कई प्रतियोगिताओं में शानदार प्रदर्शन किया था. लेकिन इतना सब होने के बावजूद ये खिलाड़ी आज तक सरकारी मदद का इंतजार कर रहा है.

सब्जी बेचने पर मजबूर नेशनल खिलाड़ी

हालांकि दयाकिशन अपनी सर्टिफिकेट लिए सरकारी दफ्तरों से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों और राजनेताओं के चक्कर लगा चुका हैं. बावजूद इसके दयाकिशन को डीसी रेट की भी नौकरी नहीं मिली. नेशनल खिलाड़ी दयाकिशन बात करते हुए फूट-फूटकर रोने लगे. आंखों में आंसू लिए दयाकिशन ने सरकार सरकार की खेल नीति में बदलाव पर भी सवाल उठाए. दयाकिशन ने कहा कि अगर सरकार ने खेल नीति में बदलाव नहीं किया होता तो शायद उसे भी सरकारी नौकरी मिल जाती.

सब्जी बेचने पर मजबूर नेशनल खिलाड़ी

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उन्होंने बताया कि सरकार की नई खेल नीति आने के बाद उसके प्रमाण पत्रों का ग्रेडेशन भी नहीं हो पा रहा है. दयाकिशन अब परिवार के पालन-पोषण के लिए खेत में सब्जी उगाकर मंडी में बेच रहा है. फूट-फूटकर रोते हुए इस नेशनल खिलाड़ी ने कहा कि अगर सरकार अब भी उसकी मदद करे तो महरबानी होगी. दयाकिशन ने ये तक कहा कि सरकार उसे मदद के लिए रूपये न भी दे तो ठीक है, लेकिन उसे रोजगार देदे तो उसके परिवार का पालन पोषण और उसके बुच्चों की पढ़ाई का खर्च उठा सकेगा.

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