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सम्राट मिहिर भोज गुर्जर हैं या राजपूत, विवाद राजनीतिक है या सामाजिक ?

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Published : Jul 29, 2023, 6:46 PM IST

Updated : Jul 30, 2023, 10:12 AM IST

राजा मिहिर भोज की जाति के विवाद पर हरियाणा में सत्ताधारी भाजपा सांसत में है. कैथल में लगी मूर्ति पर गुर्जर शब्द लिखने और भाजपा विधायक द्वारा अनावरण करने के विरोध में राजपूत समाज सरकार और भाजपा से नाराजगी जता रहा है. भाजपा इसके राजनीतिक नफा नुकसान का आकलन कर खामोश है, लेकिन कांग्रेस इसे जरूरी मुद्दों से ध्यान भटकाने की चाल बता रही है, जबकि जानकार इसे राजनीतिक से ज्यादा सामाजिक मुद्दा बता रहे हैं.

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राजा मिहिर भोज की जाति पर विवाद

चंडीगढ़: सम्राट मिहिर भोज गुर्जर है या राजपूत पश्चिम उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और राजस्थान के बाद अब यह विवाद हरियाणा के सामाजिक और राजनीतिक गलियारों में भी गूंज रहा है. हरियाणा में इसको लेकर विवाद कैथल से शुरू हुआ. कैथल में सम्राट मिहिर भोज की मूर्ति के अनावरण को लेकर यह विवाद उठा. जिसको लेकर राजपूत समाज और गुर्जर समाज आमने-सामने आ गए हैं.

दोनों समाज के बीच का यह विवाद सम्राट मिहिर भोज की जाति को लेकर है. दोनों समाज के लोग उन्हें यानी सम्राट मिहिर भोज को अपनी अपनी जाति से संबंधित बता रहे हैं. दरअसल 20 जुलाई को हरियाणा के कैथल में गुर्जर समाज ने सम्राट मिहिर भोज की मूर्ति का अनावरण किया. वहां पर मूर्ति अनावरण के लिए जो पोस्टर लगाया गया था उसमें सम्राट मिहिर भोज के नाम के आगे 'गुर्जर' लिखा था. इस पर राजपूत समाज ने आपत्ति जताई. इसको लेकर विरोध प्रदर्शन भी देखने को मिला.

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कैथल में सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा का अनावरण, बना विवाद की वजह:वैसे तो इस प्रतिमा का अनावरण प्रदेश के शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर को करना था, लेकिन उन्होंने विवाद को देखते हुए इस कार्यक्रम से दूरी बना ली थी और कैथल के विधायक लीलाराम गुर्जर ने प्रतिमा का अनावरण कर दिया. वही इस विवाद के बाद बीजेपी के राजपूत नेताओं ने पार्टी से किनारा कर लिया. यहां तक कि राजपूतों के करीब दर्जन भर गांवों ने बीजेपी नेताओं की एंट्री भी बैन कर दी.

सीएम ने की विवाद को सुलझाने की कोशिश, लेकिन कोर्ट पहुंचा मामला:इसको लेकर दोनों समाजों के बीच तनाव को देखते हुए यह विवाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल के दरबार तक भी पहुंचा. उन्होंने दोनों यानी राजपूत और गुर्जर समाज के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की. जिसके बाद मिलजुलकर इस मुद्दे के समाधान की बात राजपूत समाज के लोगों ने कही. लेकिन यह विवाद अब हाईकोर्ट तक पहुंच चुका है. जिसकी सुनवाई 3 अगस्त को होगी.

सम्राट मिहिर भोज के बारे में इतिहास.

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गुर्जर-राजपूत वोटों का गणित:हरियाणा में गुर्जर समाज का वर्चस्व फरीदाबाद, पानीपत, कैथल, यमुनानगर और करनाल और मेवात के कुछ हिस्सों पर है. वहीं राजपूत समझ का जिन जिलों में असर है उनमें जींद, कैथल, चरखीदादरी, यमुनानगर और भिवानी है. बाकी हरियाणा के जिलों में भी इनकी उपस्थिति है. वोट प्रतिशत के आंकड़े में हरियाणा में गुर्जर और राजपूत समाज को देखा जाए तो अनुमान के मुताबिक इस वक्त हरियाणा में 4 से 5 फ़ीसदी गुर्जर मतदाता हैं तो वही 3 फ़ीसदी से कुछ अधिक राजपूत मतदाता हैं.

यह मामला अब कोर्ट में है माननीय कोर्ट इस मामले में जो भी आदेश देगा वह हमें भी मान्य होगा-
प्रदीप राणा, कलायत के क्षत्रिय समाज के फाउंडर प्रेसिडेंट

जो मामला हाईकोर्ट में है, कोर्ट के दिशानिर्देशों के मुताबिक जो भी इस मामले में आदेश आएगा वह सभी को मान्य होगा-
प्रेमचंद गुर्जर, अधिवक्ता


बीजेपी नेताओं के क्या है इस मामले में बयान?:कैथल में सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा का अनावरण करने वाले विधायक लीलाराम गुर्जर का बयान इस मामले में बहुत ही उत्तेजक रहा. उन्होंने कैथल में अपने संबोधन में कहा था कि जो गुर्जर को छेड़ेगा वो मारा जायेगा. इसी के बाद बीजेपी के राजपूत नेताओं ने इस्तीफा दिया. इस विवाद पर हरियाणा के शिक्षा मंत्री कहते हैं कि यह दुर्भाग्यपूर्ण हैं. हमारा आपस में इस प्रकार का कोई विवाद नहीं होना चाहिए, लेकिन यह जो शब्द है गुर्जर वो गुर्जर प्रतिहार उसकी आइडेंटिटी है, यह शब्द अब से नहीं हजारों साल से है. हमने भी पुस्तकों में गुर्जर प्रतिहार ही पढ़ा है. इस वंश का करीब 350 साल शासन रहा है. यह शब्द तब से है इससे इसकी पहचान है.

वे कहते हैं कि बीते कुछ सालों में इस तरह की बात सामने आ रही है. लेकिन हमें मिल बैठकर इस तरह के मामलों का समाधान करना चाहिए. इस विषय को बड़ा विवाद नहीं बनना चाहिए. हम तो यह चाहते हैं कि दोनों समाज के लोग, जो भी उनके पास सुझाव हैं वह मिल कर दें. बैठकर इस मसले को हल करना चाहिए और किसी प्रकार का कोई भी टकराव आपस में नहीं होना चाहिए. वे कहते हैं कोर्ट से अच्छा अगर मिल बैठकर दोनों समाज के लोग इसका समाधान कर ले तो वह सबके लिए बहेतर होगा.

कैथल में लगी प्रतिमा पर लिखा गया है गुर्जर प्रतिहार.

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इस विवाद पर हरियाणा के परिवहन मंत्री मूलचंद शर्मा कहते हैं कि मेरे वहां तो राजपूत भी हैं, जाट भी हैं, गुर्जर भी हैं, ब्रह्मण भी हैं, हमारे यहां लोग इस तरह के विवाद में नहीं पड़ते. सामाजिक मर्यादा में इस तरह के विवाद नहीं बनाने चाहिए. वे कहते हैं कि कोई राजा हो या बड़ा नेता हो या कोई क्रांतिकारी यह सभी समाज के होते हैं.

बीजेपी हमेशा इस तरह के विवाद पैदा कर मूल मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाने की कोशिश करती है. फिर केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को या प्रदेश के मुख्यमंत्री, ये ऐसे विवाद पैदा करके आम लोगों से जुड़े मुद्दों से ध्यान हटाने का काम करते हैं. वे कहते हैं कि समाज को बांटने का काम करने वाली बीजेपी ने ही हरियाणा में जाट आंदोलन करवाया था और समाज को बांटने का प्रयास किया था.- केवल ढींगरा, कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता


क्या कहते हैं राजनीतिक मामलों के जानकार?:इस मामले को लेकर राजनीतिक मामलों के जानकार डॉ सुरेंद्र धीमान कहते हैं कि यह मामला राजनीतिक से ज्यादा समाजिक है. इसलिए इसका समाज को मिलजुल कर समाधान निकालना चाहिए. इसमें राजनीति कुछ भी नहीं है यह दोनों समाज के लोगों के बीच की बात है. उन्हें आपस में बातचीत कर इस विवाद को हल करना चाहिए.

इसी मामले को लेकर राजनीतिक मामलों के जानकार प्रोफेसर गुरमीत सिंह को भी यह मामला राजनीतिक से ज्यादा सामाजिक लगता है. वे कहते हैं कि इतिहास में क्या लिखा है उस पर चर्चा तथ्यों के आधार पर होनी चाहिए न कि उस पर कोई विवाद होना चाहिए. इसलिए यह एक सामाजिक मुद्दा है इसका हल दोनों समाज के लोगों को मिल बैठकर करना चाहिए.

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Last Updated : Jul 30, 2023, 10:12 AM IST

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