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Rajyasabha Election Haryana: राज्यसभा की दो सीटों पर कांटे की टक्कर, आज से शुरू होगा नामांकन

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Published : May 24, 2022, 10:02 AM IST

Rajyasabha election in haryana

राज्यसभा के लिए हरियाणा की दो सीटों पर होने वाले चुनाव के लिए आज से नामांकन दाखिल (Rajyasabha election in haryana) होंगे. उम्मीदवार 31 मई तक नामांकन कर सकेंगे. हरियाणा में राज्यसभा चुनाव दिलचस्प होंगे ये तय है क्योंकि कांग्रेस की कलह बीजेपी के लिए दोनों सीटें जीतने का रास्ता भी खोल सकती है.

चंडीगढ़:राज्यसभा के लिए हरियाणा की दो सीटों पर (Rajyasabha Election Haryana) होने वाले चुनाव के लिए आज से नामांकन दाखिल होंगे. उम्मीदवार 31 मई तक नामांकन कर सकेंगे. इसके बाद 1 जून को नामांकनों की जांच की जाएगी. उम्मीदवार 3 जून तक अपना नामांकन वापस ले सकेंगे. 10 जून को सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक मतदान होगा. और उसी दिन शाम 5 बजे मतगणना शुरू होगी. भले अब तक किसी भी दल की तरफ से उम्मीदवारों का ऐलान नहीं हुआ है लेकिन चुनाव को लेकर हर कोई लॉबिंग और आंकड़े जुटाने के खेल में जुट गया है.

किसका कार्यकाल हो रहा खत्म-हरियाणा में कुल 5 राज्यसभा सीटें (Rajya Sabha seats in Haryana) हैं, जिनमें से दो सीटें खाली हो रही हैं. खाली होने वाली दोनों राज्यसभा सीटों पर इस वक्त बीजेपी समर्थित सांसद हैं. जिनमें से 1 सीट पर बीजेपी सांसद दुष्यंत गौतम हैं तो वहीं बीजेपी के समर्थन से सांसद बने सुभाष चंद्रा का कार्यकाल भी पूरा हो रहा है. जून 2016 में सुभाष चंद्रा बड़े उलटफेर और सियासी ड्रामे के साथ राज्यसभा के लिए चुने गए थे. उस वक्त स्याही कांड को लेकर हरियाणा की राजनीति में काफी दिनों तक हंगामा देखने को मिला था.

उस वक्त क्या हुआ था- साल 2016 के राज्यसभा चुनाव में विधायकों की संख्या के हिसाब से एक सीट कांग्रेस-इनेलो के समर्थित प्रत्याशी आरके आनंद के खाते में जानी थी. लेकिन स्याही की गड़बड़ में आरके आनंद यह चुनाव हार गए. चुनाव के समय कुछ कांग्रेसी विधायकों के पेन की स्याही अलग होने के कारण उनके वोट रद्द हो गए थे. जिसकी वजह से सुभाष चंद्र ने इस चुनाव में बाजी मार ली थी.

इस बार का गणित-इस बार भी आंकड़े बता रहे हैं कि एक सीट पर बीजेपी-जेजेपी के उम्मीदवार का जीतना तय है. जबकि दूसरी सीट को लेकर दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल सकता है. मौजूदा वक्त में हरियाणा विधानसभा में बीजेपी के 40 विधायक हैं. वहीं उसकी सहयोगी जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के पास 10 विधायक. इसी तरह विपक्ष में बैठी कांग्रेस के 31 विधायक हैं. निर्दलीय विधायकों की संख्या 7 है और एक विधायक हरियाणा लोकहित पार्टी का है जबकि एक विधायक इनेलो का है. इनमें से हरियाणा लोकहित पार्टी के एक विधायक और निर्दलीय विधायकों का बीजेपी और जेजेपी की सरकार को समर्थन है.

कौन बिगाड़ेगा किसका खेल-फिलहाल किसी भी दल की तरफ से उम्मीदवार तय नहीं किया गया है लेकिन आंकड़ों की बाजीगरी में हर कोई जुट गया है. दूसरी सीट पर दिलचस्प मुकाबला हुआ तो ऊंट किसी भी करवट बैठ सकता है ऐसे में बीजेपी इस सीट को अपने पाले में लाने की हर मुमकिन कोशिश करेगी. भले इसके लिए विपक्षी विधायकों में सेंध लगाकर उनका गणित क्यों ना बिगाड़ना पड़े. कांग्रेस में गुटबाजी जस की तस है और इस कलह का फायदा बीजेपी उठाना चाहती है. वहीं कांग्रेस भी इस तरह की जुगत लगाकर एक सीट पर कब्जा करना चाहेगी.

बिश्नोई बिगाड़ सकते हैं कांग्रेस का खेल-हरियाणा कांग्रेस की नई टीम बनने के बाद से कुलदीप बिश्नोई की नाराजगी किसी से छिपी नहीं है. वो खुद को अध्यक्ष की रेस में मान रहे थे लेकिन हुड्डा खेमे की लॉबिंग के आगे उनकी एक नहीं चली और पार्टी ने उन्हें कोई जिम्मेदारी भी नहीं दी है. इस बीच बीते दिनों मुख्यमंत्री मनोहर लाल के साथ बिश्नोई की मुलाकात की एक तस्वीर ने सियासी गलियारों में चर्चाएं तेज हो गईं कि क्या बिश्नोई कांग्रेस का हाथ छोड़ रहे हैं ? सियासी जानकार मानते हैं कि बिश्नोई कांग्रेस छोड़ किसी दूसरे दल में जाएंगे, इसपर कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा लेकिन बिश्नोई के तेवर राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस को नुकसान जरूर पहुंचा सकते हैं.

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राज्यसभा की रेस-बीजेपी-जेजेपी और कांग्रेस के कई नेता इस बार राज्यसभा (Rajyasabha election in haryana) में जाने के लिए लाइन में खड़े हैं. अगर कांग्रेस पार्टी की बात करें तो उनकी ओर से पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कुमारी सैलजा दौड़ में सबसे आगे दिखाई देती हैं. लेकिन इनके साथ ही कांग्रेस आलाकमान की करीबी माने जाने वाले रणदीप सुरजेवाला भी दावेदार हो सकते हैं. हालांकि कांग्रेस के अंदर जिस तरीके की गुटबाजी है उसको देखते हुए फिर से हरियाणा कांग्रेस में ताकतवर बनकर उभरे नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी अपने ग्रुप से किसी नेता को राज्यसभा भेजने में गुरेज नहीं करना चाहेंगे. हरियाणा कांग्रेस में बदलाव से पहले जिस तरीके की बातें सामने आई थी उसको देखते हुए कुमारी सैलजा की दावेदारी मजबूत दिखाई देती है.

इस सब के बीच अगर पार्टी के अंदर एक प्रत्याशी को लेकर आम सहमति नहीं बनी तो उसका फायदा सत्ता पक्ष जरूर उठाना चाहेगा. इधर बीजेपी और जेजेपी की बात की जाए तो बीजेपी की ओर से कई नामों को लेकर चर्चा हो रही है. इन नामों में ज्यादातर वे चेहरे शामिल दिखाई दे रहे हैं जो बीजेपी की पिछली सरकार में मंत्री थे. ऐसी में बीजेपी किस पर दांव खेलेगी ये देखना भी दिलचस्प होगा. वहीं अगर जेजपी की बात की जाए तो उनकी ओर से भी किसी का नाम आगे किया जा सकता है. ऐसे में इस दौड़ में सबसे आगे डॉ अजय चौटाला दिखाई देते हैं. बीजेपी जेजेपी का गठबंधन हो या फिर विपक्ष में बैठी कांग्रेस किस पर अपना दांव खेलती है यह उम्मीदवारों की घोषणा के साथ साफ हो जाएगा.

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