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चढ़ूनी Vs टिकैत हुआ किसान आंदोलन? क्या राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई में फंस गए दोनों नेता

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Published : Jun 8, 2021, 10:31 PM IST

Updated : Jun 9, 2021, 7:58 AM IST

किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी (Gurnam singh Chadhauni) की तरफ से दिए गए बयानों से हरियाणा में चर्चाएं हो रही है कि अब चढ़ूनी और राकेश टिकैत के बीच वर्चस्व की लड़ाई छिड़ गई है, ऐसे में ईटीवी भारत हरियाणा किसान आंदोलन और दोनों ने नेताओं के तमाम पहलुओं पर विचार कर निष्कर्ष निकालने की कोशिश की है कि आखिर गुरनाम चढ़ूनी के बयानों के क्या मायने हैं.

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चढ़ूनी Vs टिकैत हुआ किसान आंदोलन?

चंडीगढ़:हरियाणा में किसान आंदोलन (Farmers Movement) जेजेपी विधायक देवेंद्र बबली के बयान के बाद काफी तेज नजर आ रहा है. इस बीच किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी (Gurnam singh Chadhauni) और राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) भी काफी सक्रिय नजर आए. गुरनाम सिंह चढ़ूनी का यूपी में आंदोलन कमजोर पड़ने के बयान पर कई तरह की चर्चाएं होने लगी हैं. लोगों का कहना है कि वो हरियाणा में राकेश टिकैत के हस्तक्षेप से मन ही मन जल रहे हैं.

हालांकि राजनीतिक विश्लेषक प्रोफेसर गुरमीत सिंह मानते हैं कि सीधे तौर पर गुरनाम सिंह चढ़ूनी की तरफ से कोई बड़ा बयान इन दिनों देखने को नहीं मिला. आंदोलन में पंजाब और हरियाणा के किसानों का ज्यादा फोकस रहा है, राकेश टिकैत पंजाब और हरियाणा के दौरे भी करते रहे हैं. ऐसे में पंजाब और हरियाणा के नेताओं को जरूर महसूस होता है कि राकेश टिकैत उत्तर प्रदेश जहां चुनाव भी होना है. वहां क्यों नहीं आंदोलन को मजबूत कर रहे हैं.

चढ़ूनी Vs टिकैत हुआ किसान आंदोलन? देखें रिपोर्ट

हरियाणा में मुख्य चेहरा बनना चाहते हैं चढ़ूनी!

गुरनाम सिंह चढूनी हरियाणा के किसान नेता हैं. ऐसे में गुरनाम चढूनी जरूर सोचते होंगे कि हरियाणा के आंदोलन का चेहरा वों रहें. राकेश टिकैत जाट नेता हैं इसलिए हरियाणा का जाट राकेश टिकैत साथ आइडेंटीफाई करता है. वहीं गुरनाम सिंह चढ़ूनी सिख हैं, मगर उन्हें लगता होगा कि उस तरीके से हरियाणा स्वीकर नहीं कर रहा है जैसा वो चाहते हैं.

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हालांकि ये साफ है कि आंदोलन में गुरनाम सिंह चढ़ूनी और राकेश टिकैत के बीच सीधी टकराव नहीं है, लेकिन हरियाणा में राकेश टिकैत के हस्तक्षेप से गुरनाम सिंह चढ़ूनी को जरूर ऐतराज है. उन्हें हरियाणा के किसानों का मुख्य चेहरा बने रहने की इच्छा है, जो कि राकेश टिकैत की वजह से उन्हें हरियाणा के किसानों पर अपनी छाप फीकी पड़ने की डर जरूर महसूस होता है.

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राजनीतिक वर्चस्व की तालाश में चढ़ूनी और टिकैत

तमाम विश्लेषण के बात ये साफ होता है कि गुरनाम चढूनी किसान लीडरशिप अपने हाथ में लेने के लिए सभी कोशिशें करते दिखाई दे रहे हैं, वहीं टिकैत भी हरियाणा में अपनी पहचान मजबूत रखने की कोशिश में हैं. ऐसे में राजनीतिक विश्‍लेषकों का मानना है कि दरअसल ये दोनों किसान नेता अपना खोया सियासी भविष्‍य हरियाणा में तलाश रहे हैं.

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Last Updated :Jun 9, 2021, 7:58 AM IST

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