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विरासत की जंग: जेजेपी का दावा- देवी लाल के वारिस दुष्यंत चौटाला, इनेलो बोली- ताऊ हमारे

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Published : Sep 24, 2021, 3:09 PM IST

Updated : Sep 24, 2021, 3:17 PM IST

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देवीलाल की विरासत को लेकर इनलो-जेजेपी में महासंग्राम! ()

Clashes Between Inld-JJP On Political Legacy: जब से इनेलो में फूट हुई और जेजेपी पार्टी बनी. दोनों ही पार्टियों में खुद को ताऊ देवीलाल का वारिस बताने की होड़ लग गई. ऐसे में सवाल है कि कभी ना खत्म होने वाली इस लड़ाई के पीछे ऐसी कौन सी वजह है कि दोनों पार्टियां खुद को असली उत्तराधिकारी और सामने वाले को नकली साबित करने पर तुली हैं.

चंडीगढ़:जब से इनेलो से अलग होकर जेजेपी अस्तित्व में आई है, तब से दोनों पार्टियों के बीच खुद को चौधरी देवी लाल का उत्तराधिकारी घोषित करने की होड़ लगी हुई है. जब तक इनेलो अकेली पार्टी थी तब हर चुनाव देवीलाल के नाम से ही लड़ा जाता था, लेकिन जेजेपी ने भी चौधरी देवीलाल के नाम का सहारा लेते हुए अपनी पार्टी का नाम ही जननायक जनता पार्टी रखा दिया. ऐसे में इनेलो को ताऊ देवीलाल के नाम से मिल रहे जनाधार में बड़ी कटौती हुई.

जननायक जनता पार्टी के नेता व कार्यकर्ता प्रचार के दौरान दुष्यंत चौटाला को देवीलाल का ही रूप बताते हैं. इस तरह से यह साफ हो जाता है कि दोनों पार्टियों में चौधरी देवीलाल के नाम और खुद को उनका उत्तराधिकारी घोषित करने की जंग छिड़ी हुई है. दोनों पार्टियां देवी लाल के नाम से ही वोट मांगती हैं. दोनों पार्टी इस बात को समझती है अगर उनकी पार्टी के साथ चौधरी देवीलाल का नाम जुड़ा नहीं होगा तो प्रदेश में उनकी छवि कमजोर मानी जाएगी. दोनों पार्टियों को अपना अस्तित्व बचाने के लिए चौधरी देवी लाल के नाम की भरपूर जरूरत है, क्योंकि हरियाणा में चौधरी देवीलाल को किसानों और गरीबों के मसीहा के तौर पर देखा जाता है.

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वोटों की गिनती के हिसाब से देखें तो चौटाला परिवार में फूट के बाद इनेलों को बड़ा नुकसान हुआ. वहीं इस दौरान दुष्यंत चौटाला ने खुद को ताऊ देवी लाल का वंशज कह कर लोगों के बीच अपनी पकड़ मजबूत बनाई. नतीजतन एक नई पार्टी होने के बावजूद विधानसभा चुनाव 2019 में परिणाम जेजेपी के पक्ष में रहे. जेजेपी ने हरियामा में 10 विधानसभा सीटों पर कब्जा किया. वहीं इनेलो पार्टी महज एक सीट पर सिमट गई. ऐसे में दोनों पार्टियों को बखूबी से पता है कि हरियाणा में पार्टी की मजबूती के लिए ताऊ देवीलाल फैक्टर इम्युनिटी बूस्टर की तरह हैं.

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शनिवार यानी 25 सितंबर को चौधरी देवीलाल की जयंती मनाई जाती है और इस मौके को दोनों पार्टियां भुनाने का कोई मौका नहीं छोड़ती. इनेलो हमेशा से ही इस दिन बड़े-बड़े कार्यक्रम और रैलियां आयोजित करती आई हैं. इस साल भी इनेलो जिनमें कि रैली का आयोजन कर रही है. दूसरी ओर जेजेपी की ओर से भी हरियाणा के हर जिले में कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. 25 सितंबर को मेवात में चौधरी देवीलाल की मूर्ति का अनावरण किया जाएगा.

यह अनावरण जेजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजय चौटाला और उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला द्वारा किया जाएगा. देवीलाल की जयंती को इस तरह से आयोजित करना यह साफ तौर पर दर्शाता है कि दोनों पार्टियां प्रदेश के लोगों को यही संदेश देना चाहती हैं कि हम ही ताऊ देवीलाल की राजनीतिक विरासत के असली उत्तराधिकारी हैं. इस बारे में दोनों पार्टियों के नेताओं का अपना तर्क है.

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जेजेपी का तर्क: जेजेपी नेता और प्रदेश कार्यालय सचिव रणधीर सिंह ने कहा कि 25 सितंबर को ताऊ देवीलाल की सबसे ऊंची प्रतिमा का अनावरण जेजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अभय चौटाला और उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला की तरफ से किया जाएगा. इस प्रतिमा की ऊंचाई इतनी है कि वह चार-पांच किलोमीटर दूर से ही दिखाई दे जाएगी.

उन्होंने कहा कि डॉ अजय चौटाला और प्रदेश के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला चौधरी देवीलाल का दूसरा रूप है. उन्होंने कहा कि दुष्यंत चौटाला चौधरी देवीलाल की नीतियों पर चलते हुए लोगों की सेवा कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि चौधरी देवीलाल का उत्तराधिकारी लोगों ने खुद उन्हें चुना है तभी वह आज प्रदेश की सरकार चला रहे हैं.

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इनेलो का दावा: दूसरी ओर इनेलो का कहना है कि इनेलो के अलावा दूसरी कोई पार्टी या कोई और नेता चौधरी देवीलाल का उत्तराधिकारी नहीं हो सकता. इनेलो के प्रदेश प्रवक्ता रजत पंचाल ने कहा कि इंडियन नेशनल लोकदल एकमात्र ऐसी पार्टी है जिसका गठन स्वयं चौधरी देवीलाल ने किया था. इसके अलावा उन्होंने ना तो किसी पार्टी का गठन किया और ना ही किसी और को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया. इसलिए इंडियन नेशनल लोकदल ही उनकी सियासी विरासत है और चौधरी ओमप्रकाश चौटाला और अभय चौटाला ही उनके उत्तराधिकारी है.

जननायक जनता पार्टी के बारे में उन्होंने कहा कि जेजेपी ही नहीं बल्कि चौधरी देवी लाल के नाम से अगर 10 पार्टियां और भी बन जाएंगी तो उसे चौधरी देवीलाल का उत्तराधिकारी नहीं कहा जा सकता. उनका उत्तराधिकारी उसी पार्टी को कहा जा सकता है. जिसे उन्होंने खुद बनाया है. रजत पंचाल ने कहा की जेजेपी चौधरी देवी लाल का नाम लेकर और भाजपा की बुराई करके एक बार तो सत्ता में आ गई है, लेकिन अब लोग जेजेपी को पहचान चुके हैं.

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जेजेपी के नेता बार-बार झूठ बोलकर जनता को गुमराह नहीं कर सकते. बीजेपी के जो नेता कल तक भाजपा और मुख्यमंत्री मनोहर लाल को कोसते थे. आज भी उनके साथ ही मियां बीवी बने बैठे हैं. उन्होंने कहा कि जेजेपी की चाल एक बार चल चुकी है, लेकिन उनकी चाल बार-बार नहीं चलेगी. उन्होंने कहा कि अगर उनमें हिम्मत है तो वे अब चौधरी देवी लाल के नाम पर वोट मांग कर दिखाएं, उन्हें जनता से जवाब मिल जाएगा.

इस बात में कोई शक नहीं है कि दोनों पार्टियों का अस्तित्व चौधरी देवी लाल के नाम से जुड़ा है. दोनों पार्टियां भी इस बात को भलीभांति समझती है, इसलिए दोनों ही पार्टियां खुद को उनका उत्तराधिकारी घोषित करने में लगी रहते हैं. दोनों पार्टियां एक ही परिवार से निकली है. वे चौधरी देवी लाल के नाम का इस्तेमाल कर सकती हैं और कर भी रही हैं, लेकिन खुद को उनका उत्तराधिकारी घोषित करने की होड़ बहुत आगे निकल चुकी है. अगर एक पार्टी को उनका नाम मिलता है तो दूसरी पार्टी के लिए चुनावी रण क्षेत्र में टिकना काफी मुश्किल जरूर होगा.

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Last Updated :Sep 24, 2021, 3:17 PM IST

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