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हरियाणा में अनाज भंडारण के लिए अत्याधुनिक साइलो तकनीक का इस्तेमाल करेगा हैफेड

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Published : Jul 13, 2022, 8:28 PM IST

हरियाणा सरकार भी अब अनाजों के भंडारण के लिए साइलो तकनीक (silo technology in Haryana) का इस्तेमाल करेगी. इसे तनकीक के इस्तेमाल से अनाज को खराब होने से बचाया जा सकेगा. सहकारिता मंत्री बनवारी लाल ने बताया कि एक प्रतिनिधिमंडल इटली और जर्मनी का दौरा करके आया है. इस संबंध में जल्द ही एक रिपोर्ट सीएम मनोहर लाल को सौंपी जायेगी.

silo technology for grain storage in Haryana
silo technology for grain storage in Haryana

चंडीगढ़: हरियाणा के सहकारिता मंत्री डॉ. बनवारी लाल ने कहा कि अनाज के उचित भंडारण और उसे खराब होने से बचाने के लिए विदेशों में अत्याधुनिक साइलो तकनीक (silo technology for grain storage in Haryana) का इस्तेमाल किया जा रहा है. इन्हीं तकनीकों का अध्ययन करने के लिए उनके नेतृत्व में हरियाणा सरकार का एक प्रतिनिधिमंडल यूरोप के देश इटली और जर्मनी का दौरा करके आया है. सहकारिता मंत्री ने बुधवार को चंडीगढ़ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके साइलो तकनीक के बार में जानकारी दी.

बनवारी लाल (Banwari Lal) ने बताया कि उनके नेतृत्व में हरियाणा सरकार का एक प्रतिनिधिमंडल यूरोप के देश इटली और जर्मनी का दौरा करके आया है. वहां से प्राप्त जानकारियों की अब एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करके हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल को सौंपी जाएगी. ताकि यहां भी हैफेड में अनाज भंडारण के लिए अत्याधुनिक साइलो तकनीक का इस्तेमाल किया जा सके. उन्होंने कहा कि इस प्रतिनिधिमंडल ने इटली और जर्मनी के कई शहरों में साइलो बनाने वाली बड़ी-बड़ी कंपनियों का दौरा किया.

यहां पर अनाज को खराब होने से बचाने के लिए किस तरह साइलो में भंडारण किया जाता है. इस तकनीक को अच्छे से समझा गया. इसके साथ-साथ प्रतिनिधिमंडल ने उन किसानों से भी बातचीत की, जिनका अनाज खेत से सीधे साइलो में पहुंचता है. इससे किसानों को भी काफी सुविधाएं मिलती हैं. उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार का ध्येय प्रदेश में भंडारण व्यवस्था को मजबूत करते हुए अनाज को खराब होने से बचाना है. भविष्य में इन अत्याधुनिक साइलो को हरियाणा में भी स्थापित किया जाएगा.

सहकारिता मंत्री डॉ. बनवारी लाल ने कहा कि इटली और जर्मनी में किसान आर्गेनिक खेती की तरफ बढ़ रहे हैं. हमारे यहां भी किसानों को आर्गेनिक खेती की तरफ बढ़ना चाहिए. शुरूआत में इस खेती से पैदावार जरुर कम होती है लेकिन प्रदेश सरकार अलग-अलग योजनाओं के तहत किसानों को प्रोत्साहित कर रही है. भविष्य में यदि किसान आर्गेनिक खेती की तरफ बढ़ते हैं तो इस तरफ भी प्रदेश सरकार कोई नई योजना लेकर आ सकती है. इससे आमदनी के साथ-साथ लोगों को अच्छा स्वास्थ्य भी मिलेगा.

सहकारिता मंत्री ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की फूड एग्रीकल्चर आर्गेनाइजेशन ने भी भारत में खेती से संबंधित तकनीकि सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया है. उनका मानना है कि बड़े किसानों के साथ-साथ छोटे किसानों को भी पैदावार से लेकर नई-नई तकनीक का प्रशिक्षण, उत्पाद को बेचने के लिए मार्किंटिंग आदि का प्रशिक्षण देना चाहिए. प्रदेश सरकार भी भविष्य में विदेशी संगठनों के सहयोग से इस विषय पर काम करेगी.

सहकारिता मंत्री बनवारी लाल ने कहा कि कॉन्ट्रैक्ट फॉर्मिंग भी किसानों के लिए बेहतर विकल्प हो सकता है. विदेशों में बहुत से किसान समूह बनाकर खेती करते हैं. जिसमें खेती से जुड़े अलग-अलग काम को श्रेणियों में विभाजित कर पूरा किया जाता है. हमारे यहां भी किसानों को कॉन्ट्रैक्ट फॉर्मिंग के साथ-साथ समूह बनाकर खेती करनी चाहिए. कॉन्ट्रैक्ट फॉर्मिंग में सोलर प्लॉट, गेहूं प्लॉट आदि लगाकर भी मुनाफा कमाया जा सकता है. सहकारिता मंत्री ने कहा कि इस दौरे के दौरान उन्होंने यह भी देखा कि विदेश में सरसों की तरह के पौधे रेपसीड से तेल, खल और बॉयो डीजल बनाया जाता है. हमने भी प्रदेश में सरसों पर शोध करके बॉयो डीजल के विकल्प को तलाशने का कार्य शुरू किया है.

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