साल 1947 बॉर्डर पर जंग छिड़ चुकी थी, सैकड़ों की तादात में कबाइली एयरफील्ड पर कब्जा करने के मकसद से कश्मीर की घाटी में घुसपैठ कर रहे थे. स्थिति गंभीर देखते हुए सेना अधिकारियों ने कुमाउं रेजिमेंट की एक बटालियन को मौके पर तैनात किया. एक हाथ में प्लास्टर लिए मेजर सोमनाथ शर्मा इस बटालियन की कमांड संभाल रहे थे. आज के पाॅडकास्ट में सुनिए प्रथम 'परमवीर' चक्र से सम्मानित सोमनाथ शर्मा की कहानी...