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12 मार्च से होगा चिराग दिल्ली फ्लाईओवर के एक्सटेंशन ज्वाइंट बदलने का काम, इस मार्ग पर जानें से बचें

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Published : Mar 8, 2023, 2:30 PM IST

दिल्ली में आश्रम फ्लाईओवर एक्सटेंशन का काम पूरा होने के बाद अब चिराग फ्लाईओवर के एक्सटेंशन पर मरम्मत का कार्य शुरू किया जाएगा. काम शुरू होते ही फ्लाईओवर को 50 दिनों के लिए बंद कर दिया जाएगा.

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फ्लाईओवर के एक्सपेंशन ज्वाइं

नई दिल्ली: आश्रम फ्लाईओवर एक्सटेंशन काम पूरा हो जाने के बाद अब 12 मार्च से आउटर रिंग रोड पर चिराग फ्लाईओवर के एक्सटेंशन ज्वाइंट बदलने का काम शुरू होगा. इसके लिए फ्लाईओवर को 50 दिनों के लिए बंद किया जाएगा. 12 मार्च से मरम्मत का काम शुरू होगा और प्रत्येक कैरिजवे की मरम्मत में 25 दिन का वक्त लगेगा. इसके तहत जिस कैरेजवे पर काम होगा उसे 25 दिन के लिए बंद किया जाएगा. यानी कि दोनों कैरिज 25-25 दिन के लिए बंद रहेंगे.

सबसे पहले नेहरू प्लेस से आईआईटी जाने वाले कैरिज वे पर काम शुरू होगा. काम शुरू होने के बाद फ्लाईओवर के इस कैरेजवे को बंद कर दिया जाएगा. इस कारण फ्लाईओवर के नीचे यातायात का दबाव बढ़ जाएगा. इससे आउटर रिंग रोड पर आने-जाने वाले लोगों को जाम का सामना करना पड़ सकता है. इसलिए यातायात पुलिस ने इस मार्ग से बचने की सलाह दी है. इसका काम पूरा हो जाने के बाद आईआईटी से नेहरू प्लेस की ओर जाने वाले कैरिजवे पर काम शुरू होगा.

मरम्मत कार्य की वजह से लोगों को जाम का सामना करना पड़ सकता है. इससे बचने के लिए दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट, अस्पतालों आदि जगहों पर जाने वाले लोगों को समय से पहले निकलने की सलाह दी है. धौला कुआं, एम्स, डिफेंस कॉलोनी जाने वाले लोगों को नेहरू प्लेस फ्लाईओवर के नीचे से दाहिने मुड़कर जाने वाले वैकल्पिक मार्ग अपनाने की सलाह दी गई है. चिराग दिल्ली फ्लाईओवर की ओर बाहरी रिंग रोड पर भारी और वाणिज्यिक वाहनों की आवाजाही को प्रतिबंधित भी किया जा सकता है. इस बात को ध्यान में रखते हुए अपनी यात्रा शुरू करें.

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क्या होता है एक्सपेंशन ज्वाइंट : यह पुल के दो सेग्मेंट के बीच छोड़ा गया स्पेस होता है. दो सेग्मेंट के बीच 40 से 50 एमएम का गैप छोड़ा जाता है ताकि वाहनों के चलने से कंक्रीट के फैलने या सिकुडऩे से पुल क्षतिग्रस्त न हो. पुल और उस पर बनी सड़क के बीच के इस गैप को भरने के लिए एक्सटेंशन ज्वाइंट लगाया जाता है और इसमें कंक्रीट भरी जाती है. एक्सपेंशन ज्वाइंट की औसत आयु 15-20 वर्ष होती है. अलग-अलग भौगोलिक क्षेत्रों में अलग-अलग तापमान के आधार पर इस गैप की दूरी तय की जाती है. ज्यादा लंबे स्पैन में मॉड्यूलर एक्सटेंशन ज्वाइंट लगाया जाता है. यह हर 10 साल में बदला जाता है, जिन पुलों पर यातायात का अतिरिक्त लोड होता है उसमें यह जल्दी भी खराब हो जाता है. वहीं, एक पुल की औसत आयु करीब 100 वर्ष होती है.

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