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निकिता तोमर हत्याकांड में इंसाफ का दिन, यहां पढ़िए पूरे मामले में अब तक क्या हुआ

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Published : Mar 27, 2021, 9:54 PM IST

निकिता तोमर मर्डर केस में फरीदाबाद फास्ट ट्रैक कोर्ट ने पांच महीने बाद दोषियों को सजा सुना दी है. 26 अक्तूबर 2020 को निकिता की हत्या की गई थी. आज 26 मार्च को कोर्ट ने दोषी तौसीफ और रेहान को उम्र कैद की सजा सुनाई है. फांसी की सजा नहीं मिलने की वजह से लोगों ने कोर्ट के बाहर प्रदर्शन भी किया.

Nikita Tomar murder case
निकिता तोमर हत्याकांड में इंसाफ का दिन

नई दिल्ली/फरीदाबाद: निकिता तोमर हत्याकांड के दोषी तौसीफ और रेहान को फास्ट ट्रैक कोर्ट ने उम्र कैद की सजा सुनाई है. दोनों पर कोर्ट ने 20-20 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है. कोर्ट ने हत्याकांड में तौसीफ को हथियार उपलब्ध कराने वाले तीसरे आरोपी अजरुद्दीन को बरी कर दिया है. केस की सुनवाई मंगलवार को पूरी हो गई थी और बुधवार को कोर्ट ने तौसीफ और रेहान को दोषी करार दिया.

निकिता तोमर हत्याकांड में इंसाफ का दिन

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सजा का ऐलान 26 मार्च यानी शुक्रवार को हुआ. इस हत्याकांड में पीड़ित पक्ष की ओर से 55 लोगों की गवाही कराई गई थी, जबकि बचाव पक्ष की ओर से महज दो की गवाही हुई. निकिता के परिजन दोषियों को फांसी की मांग कर रहे थे. दोषियों को फांसी दिलाने की मांग को लेकर लोगों ने कोर्ट के बाहर हंगामा भी किया.

फांसी की मांग के लिए HC का दरवाजा खटखटाएंगे परिजन

निकिता का केस लड़ रहे वकील अदल सिंह रावत ने मीडिया और फास्ट ट्रैक कोर्ट का आभार जताया. उन्होंने कहा कि अभी कोर्ट की तरफ से जजमेंट आना बाकी है. उसके बाद हम दोषी को फांसी देने की मांग को लेकर हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे. निकिता के पिता मूलचंद तोमर ने भी कोर्ट के फैसले का सम्मान किया. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जब तक आरोपियों को फांसी नहीं मिल जाती, उनकी लड़ाई जारी रहेगी.

निकिता तोमर हत्याकांड में इंसाफ का दिन

ये है पूरा मामला

मूल रूप से उत्तर प्रदेश के हापुड़ की रहने वाली निकिता तोमर फरीदाबाद के बल्लभगढ़ में परिवार के साथ रह रही थी. वो अग्रवाल कॉलेज में B.Com फाइनल इयर की छात्रा थी. 26 अक्टूबर 2020 की शाम करीब पौने 4 बजे जब वो परीक्षा देकर कॉलेज के बाहर निकली तो तौसीफ ने अपने दोस्त रेहान के साथ मिलकर कार में उसे अगवा करने की कोशिश की.

जब निकिता ने विरोध किया तो तौसीफ ने उसको गोली मार दी. जिससे निकिता की मौत हो गई थी. ये वारदात सीसीटीवी में कैद हो गई थी, जिसके आधार पर आरोपियों की पहचान करके तौसीफ और रेहान को पुलिस ने गिरफ्तार किया था. तीसरे आरोपी अजरुद्दीन ने तौसीफ को हथियार उपलब्ध कराया था.

निकिता तोमर हत्याकांड में इंसाफ का दिन

पहले भी की थी अपहण की कोशिश

नूंह के रोजका मेव निवासी तौसीफ 12वीं कक्षा तक निकिता के साथ पढ़ा था. वो निकिता पर दोस्ती का दबाव डालता था. तौसीफ ने 2018 में भी निकिता का अपहरण किया था. जिसके बाद निकिता के परिजनों ने FIR दर्ज कराई थी, जिसके बाद पुलिस ने तौसीफ को गिरफ्तार भी कर लिया था, लेकिन उसके परिवार वाले हाथ-पैर जोड़ने लगे, तो निकिता के परिवार ने मामला वापस लेते हुए समझौता कर लिया. इसके बाद भी तौसीफ निकिता पर शादी का दबाव बना रहा था. इसीलिए उसने निकिता का दोबारा अपहरण करने की कोशिश की, लेकिन इस बार निकिता की जान चली गई.

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पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट के आदेश पर इस केस की सुनवाई अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सरताज बासवाना की कोर्ट में शुरू हुई. एक दिसंबर को पहली गवाही कराई गई. जिसमें घटना के चश्मदीद निकिता के चचेरे भाई तरुण तोमर और सहेली निकिता शर्मा शामिल हुए. बचाव पक्ष की ओर से 55 लोगों ने गवाही दी. जिसमें परिवार के सदस्यों, कॉलेज के प्रिंसिपल समेत कई पुलिसकर्मी शामिल हुए. बचाव पक्ष ने दो दिन में अपने गवाह पेश किए और गवाहों के बयान दर्ज कराए. मंगलवार को दोनों पक्षों की ओर से गवाही पूरी हो गई.

11 दिन में तैयार की 700 पेज की चार्जशीट

मामले की गंभीरता को देखते हुए सरकार ने इसकी जांच एसआईटी को सौंपी थी. एसआईटी टीम ने पांच घंटे के अंदर तौसीफ को सोहना से गिरफ्तार कर लिया था. उसके साथी रेहान और हथियार उपलब्ध कराने वाले अजरुद्दीन को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया. तमाम सबूतों को इकट्ठा कर पुलिस ने महज 11 दिन में ही 700 पेज की चार्जशीट तैयार की. पुलिस ने चार्जशीट को 6 नवंबर को कोर्ट में दाखिल किया. चार्जशीट में निकिता की सहेली समेत कुल 60 गवाह बनाए गए थे.

हत्याकांड के बाद उठा था लव जिहाद का मुद्दा

इस मामले को लेकर देश में बड़ा बवाल मचा था और फरीदाबाद में बकायदा महापंचायत भी की गई. जिसमें ये तय हुआ कि ऐसे मामलों पर लगाम लगाने के लिए हरियाणा सरकार को लव जिहाद कानून बनाना चाहिए. हालांकि हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र में लव जिहाद को लेकर अध्यादेश पेश नहीं हो पाया, क्योंकि बीजेपी की सहयोगी पार्टी जेजेपी ने बिल के नाम को लेकर आपत्ति जताई. जिसके बाद इस बिल को फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है.

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रसूखदार परिवार से संबंध रखता है तौसीफ

तौसीफ राजनीतिक रसूखदार परिवार से संबंध रखता है. तौसीफ के दादा कबीर अहमद विधायक रह चुके हैं. तौसीफ का चचेरा भाई आफताब अहमद नूंह विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक हैं. आफताब अहमद के पिता खुर्शीद अहमद, हरियाणा के पूर्व मंत्री रह चुके हैं. तौसीफ के सगे चाचा जावेद अहमद इस बार सोहना विधानसभा से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे, लेकिन हार गए. 21 वर्षीय तौसीफ फिजियोथेरेपिस्ट का कोर्स कर रहा है. वारदात में शामिल रेहान निवासी रेवासन जिला नूंह का रहने वाला है और वो तौसीफ का दोस्त है.

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