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World Young Doctors Day : युवा चिकित्सकों ने रखी अपनी समस्या, मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने की मांग

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Published : Jun 26, 2022, 11:56 AM IST

युवा डॉक्टर्स डे पर युवा चिकित्सकों ने रखी अपनी समस्या

24 जून को विश्व युवा डॉक्टर्स डे (World Young Doctors Day) मनाया जाता है. इन दिन कई युवा डॉक्टरों ने अपनी समस्याएं सामने रखी. उनका कहना था कि डॉक्टरों को धरती का भगवान माना जाता है. कभी-कभी कुछ मरीजों की मृत्यु हो जाती है तो इन मौतों के लिए भी डॉक्टरों को जिम्मेदार माना जाता है और उनके साथ मारपीट की जाती है. इसके लिए मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट को लागू किया जाना चाहिए.

नई दिल्ली:डॉक्टरों को जहां भगवान का दिया दर्जा दिया जाता है, वहीं कई जगहों पर उनके साथ मारपीट की घटनाएं भी होती है. दरअसल, किसी मरीज की मृत्यु होने पर इसके लिए डॉक्टर को सीधे तौर पर जिम्मेदार माना जाता है और उनके साथ मारपीट की जाती है. ऐसी परिस्थिति में युवा डॉक्टरों को मरीजों की सेवा करने में परेशानी हो रही है. 24 जून को विश्व युवा डॉक्टर्स डे मनाया गया. इस दिन युवा डॉक्टरों ने खुलकर अपनी समस्याएं रखी और सरकार से अपने कार्यस्थल पर सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिए एक बार फिर मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने की मांग की.

डॉक्टर शाइस्ता बताती हैं कि राजस्थान के एक अस्पताल में एक मरीज की मौत होने पर जिस तरीके से डॉक्टर को जिम्मेदार मानते हुए उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई और इससे आहत होकर डॉक्टर ने आत्महत्या कर ली. यह काफी डराने वाले बात है. इस घटनाक्रम को एक राजनीतिक रंग दिया गया. ऐसे में कोई युवा डॉक्टर कैसे निष्ठापूर्वक मरीजों की सेवा कर पाएंगे? यह कोई अकेली घटना नहीं है. इसके अलावा दिल्ली के एक अस्पताल में डॉक्टर को गोली मारी जाती है. चेन्नई के एक अस्पताल में डॉक्टर को बुरी तरह पीटा जाता है. अस्पतालों में तोड़फोड़ की जाती है. सबसे जरूरी बात यह है कि अगर डॉक्टर और मरीजों के बीच रिश्ते सही करने हैं तो इसके लिये डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी. इसके लिए जरूरी है कि सरकार डॉक्टर की सुरक्षा के लिए मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट को पूरी तरह लागू करें.

युवा डॉक्टर्स डे पर युवा चिकित्सकों ने रखी अपनी समस्या

डॉक्टर शाइस्ता बताती हैं कि सरकारी अस्पतालों में मेडिकल उपकरण और सुविधाओं की भारी कमी होती है, जिसका खामियाजा युवा डॉक्टरों को भुगतनी पड़ती है. यहां तक कि डॉक्टरों के लिए गाउन और ग्लब्स भी नहीं होते हैं, जिसकी वजह से वह इंफेक्शन के शिकार हो जाते हैं. ऐसे में मरीजों का क्या इलाज कर पाएंगे? मरीज जब अस्पताल में आते हैं तो उम्मीद करते हैं कि उन्हें सारी सुविधाएं मुफ्त में मिले, लेकिन यह सुविधाएं उन्हें तभी मिलेगी जब अस्पतालों के पास संसाधन हो.

वहीं, पटना मेडिकल कॉलेज के युवा फिजीशियन डॉ. दशरथ सिंह बताते हैं कि डॉक्टरों को धरती का भगवान माना जाता है. जब कोई परेशान और जीवन से हताश मरीज अस्पताल में आता है तो डॉक्टर अपनी कौशल से उसकी जान बचाने का पूरा प्रयास करता है. इसके बावजूद कभी-कभी कुछ मरीजों की मृत्यु हो जाती है जो उनकी मेडिकल कंडीशन की वजह से होती है. इन मौतों के लिए भी डॉक्टरों को जिम्मेदार माना जाता है और फिर मेडिकल लापरवाही का आरोप लगाते हुए उनके साथ मारपीट की जाती है. युवा डॉक्टरों के लिए यह काफी शर्मिंदगी वाली बात है. यह एक सम्मानित पेशा है. अगर अस्पतालों में इस तरह से सम्मान डॉक्टरों को मिलेगा तो भला कौन इस पेशे में आना चाहेगा?

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डॉ. दशरथ बताते हैं कि डॉक्टर को अगर सही मायने में भगवान माना जाता तो उनके साथ कभी भी दुर्व्यवहार या मारपीट जैसी नौबत नहीं आती. सरकार को डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए. इससे मरीजों और डॉक्टरों की बीच के रिश्ते सुधरेंगे और अस्पतालों में एक अच्छा माहौल पैदा होगा. इसके लिए जरूरी है कि डॉक्टरों की सुरक्षा को कानूनी दायरे में लाया जाए. काफी समय से डॉक्टर समुदाय मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट की मांग कर रहा है. यही सही समय है जब इस एक्ट को लागू कर देना चाहिए.

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