नई दिल्ली : झूठे वादे, जुमलेबाजी, सब्ज़बाग़ और छलिया नारे देश का पुराना नासूर हैं. वादों-इरादों की लहर चालकर सत्ता-सियासत की ठेकेदारी का नया दौर जल्द ही चलन में आया है. जिसकी विदाई के लिए अब जनता सोचने लगी है. लिहाजा सियासत के इन ने पैतरे का प्रतिकार अब गांव-देहात ही नहीं, देश के दिल दिल्ली में भी होने लगा है.
बुराड़ी के लोग अब सरकारों को आईना दिखाने और जनप्रतिनिधियों को घुटने टेकने को मजबूर करने की ठान लिए हैं. फूलबाग़ समेत इलाके की तमाम कॉलोनियों के लोगों को न तो नेताओं के सब्ज़बाग़ सुहा रहे हैं और न ही जुमलेबाजी में अब इनका दिल लगता है. क्योंकि इलाके की बदहाली और समस्याओं में जकड़ी मजबूरियों ने नेताओं को रास्ता दिखाने का हौसला दे दिया है. लिहाजा अब इन इलाकों में काम नहीं तो वोट नहीं का नारा बुलंद होने लगा है. बुराड़ी के लोग हाथों तख्तियां और गले में पोस्टर डाले नेताओं को चुनावी चुनौती देने लगे हैं. बूढ़े, जवान और महिलाओं ने इलाके में मतदान बहिष्कार का एलान कर दिया है.
दिल्ली में 1700 से ज्यादा कच्ची कालोनियां हैं. कच्ची कॉलोनियों में रहने वाले लोग आज भी दयनीय स्थिति में जीने को मजबूर हैं. कॉलोनियों में पानी निकासी का कोई रास्ता नहीं है. गंदगी के जगह-जगह अंबार लगे पड़े हैं. लोगों का आरोप है कि जनप्रतिनिधि लोगों से झूठ बोलकर वोट तो हासिल कर लेते हैं, लेकिन काम नहीं करते हैं. इस बार इलाके के लोगों ने अपने जनप्रतिनिधियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. लोग प्रभात फेरी निकालकर लोगों को जागरूक कर रहे हैं. आगामी निगम चुनाव में "काम नहीं तो वोट नहीं" का नारा लगा रहे हैं.
ईटीवी भारत से बात करते हुए बुराड़ी विधानसभा की फूल बाग कॉलोनी के आरडब्ल्यूए पदाधिकारियों व स्थानीय लोगों ने बताया कि यह कॉलोनी काफी पुरानी है. कॉलोनी में जल निकासी का कोई रास्ता नहीं है. मंत्री से लेकर निगम पार्षद तक सभी से गुहार लगाई गई. पत्राचार भी किया गया, लेकिन कोई भी काम कराने को तैयार नहीं है. चुनाव के नाम पर हर बार नारियल फोड़े जाते हैं, लेकिन चुनावी वादे पूरे नहीं होते हैं. जिसके बाद इलाके के लोग अपने प्रतिनिधियों से नाराज नजर आ रहे हैं. लोगों का कहना है कि दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन कई बार इलाके में आकर लोगों से वादा कर चुके हैं कि जल निकासी का जल्द समाधान होगा. इसके लिए बड़ा नाला बनेगा, क्षेत्र को गंदगी से निजात मिलेगी. सालों से नाला बनने की राह देखते-देखते चुनाव का समय आ गया. दिल्ली जल बोर्ड का पानी भी कभी-कभार आता है तो वह भी किसी काम का नहीं है. पानी से बदबू आती है.