नई दिल्ली : देश की राजधानी दिल्ली में रहने का और दिल्लीवासी कहलाने का गुमान अब बदगुमानी में बदलने लगा है. तंग गलियां, पानी की किल्लत और गंदगी तो दिल्ली के कई इलाकों की पहचान पहले से ही है हैं, लेकिन एक नई आफत भी दिल्ली के दामन को दागदार करने लगी है. नेहरू विहार के गली नंबर 3 और आसपास के इलाके एक-दो महीने से नहीं बल्कि साल भर से बजबजाते गंदे पानी से लबालब भरे हैं.
कुछ गलियों की हालत तो ये है कि दरवाजा खोला नहीं कि पैर पानी में पड़ते हैं. कई घरों की दहलीज भी इसी बजबजाते सीवर में डूबी रहती हैं. बूढ़े, बच्चे, जवान हों और चाहे मरीज और मेहमान, सबको इसी गंदे पानी से होकर जाना पड़ता है. ऐसे में दिल्लीवासी यानी Delhiites कहलाने का अहसास काफूर भला क्यों न हो. उत्तर पूर्वी दिल्ली के मुस्तफाबाद विधानसभा क्षेत्र में ये एक पुरानी समस्या है, जिसे न तो निगम दूर करना चाहता है और न ही यहां के विधायक और स्थानीय नेता व पार्षद. ऐसे में यहां के लोगों को बेबसी की जिंदगी गुजारनी पड़ रही है. हर सीजन हर मौसम में यहां सीवर का गंदा पानी लबालब ऐसे भरा रहता है कि लगता है ये गली नहीं गंदा तालाब है.
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स्कूली बच्चों और राहगीरों को भी इसी गंदे पानी में से होकर जाना पड़ता है. लेकिन सियासत में रंगी-पुती दिल्ली और निगम सरकार को यहां कोई समस्या नजर ही नहीं आती है. अब हालत ये हो गई है कि इस इलाके में रहने वालों के रिश्तेदार यहां आना पसंद नहीं करते हैं. इस इलाके को लोग नेहरू विहार की बजाय गंदगी वाली गली के नाम से जानते हैं.
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इलाके के लोगों का कहना है कि साल भर से यहां सीवर का गंदा पानी भरा हुआ है, लेकिन न तो दिल्ली सरकार इस ओर ध्यान दे रही है और न ही तमाम शिकायतों के बावजूद निगम प्रशासन इस समस्या को खत्म करना चाह रहा है. चुनावी वादों-पिटारों का दौर भी चल रहा है. दिल्ली नगर निगम के चुनाव को लेकर तमाम पार्टियां प्रचार मुहिम चला रही हैं, लेकिन इस इलाके में फटकने की हिम्मत किसी भी दल का नेता नहीं जुटा पा रहा है.
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इस गंदगी की वजह से करीब हर घर में कोई न कोई बीमार पड़ रहा है, लेकिन सरकार और सिस्टम को भला इससे क्या फर्क पड़ता है. फर्क तो उस दिल्ली सरकार को भी नहीं पड़ रहा है, जो दिल्ली को पेरिस बनाने के दावे कर रही है. अन्य राज्यों में जाकर दिल्ली का दुखड़ा दूर करने के खोखले दावे करने वाले नेता इस गली में आने की हिम्मत आखिर कब जुटाएंगे. भारत को विश्व गुरू बनाने का दावा करने वाले नेता नेहरू विहार के इस सियासी तरणताल में उतरने का हौसला कब दिखाएंगे.