नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि एक व्यक्ति के दो अलग-अलग बर्थ सर्टिफिकेट नहीं हो सकते हैं. जस्टिस संजीव सचदेवा ने ये टिप्पणी विपिन सहरावत नामक याचिकाकर्ता की याचिका को सुनवाई के लिए मंजूर करते हुए की.
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि किसी व्यक्ति को अलग-अलग तारीखों वाले बर्थ सर्टिफिकेट रखने की इजाजत नहीं दी जा सकती है. कोर्ट ने कहा कि किसी व्यक्ति की पहचान सिर्फ उसके नाम और पितृत्व से स्थापित नहीं होती बल्कि उसकी जन्म तिथि से भी होती है. कोर्ट ने विपिन सहरावत की याचिका पर सुनवाई करते हुए दक्षिणी दिल्ली नगर निगम को निर्देश दिया कि वो याचिकाकर्ता के दो में से एक जन्म प्रमाणपत्र को निरस्त करे. कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने साफ तौर पर कहा है कि 2013 में जारी बर्थ सर्टिफिकेट में उसकी गलत जन्मतिथि दर्ज है, जबकि 2015 में जारी बर्थ सर्टिफिकेट में उसकी जन्म तिथि सही है. याचिकाकर्ता की पढ़ाई से जुड़े दस्तावेज से भी यही बात साबित होती है.
एक व्यक्ति दो बर्थ सर्टिफिकेट नहीं रख सकता है : हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि एक व्यक्ति के दो अलग-अलग बर्थ सर्टिफिकेट नहीं हो सकते हैं. जस्टिस संजीव सचदेवा ने ये टिप्पणी विपिन सहरावत नामक याचिकाकर्ता की याचिका को सुनवाई के लिए मंजूर करते हुए की.
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सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील जय सिंह मान का कहना था कि पढ़ाई से जुड़े सभी दस्तावेज में याचिकाकर्ता की सही जन्म तिथि अंकित है, लेकिन जब याचिकाकर्ता ने पासपोर्ट बनवाया तो उसमें उसकी गलत जन्म तिथि लिखी मिली. याचिकाकर्ता ने पासपोर्ट में जन्म तिथि सही करने के लिए प्राधिकार को आवेदन दिया, लेकिन प्राधिकार ने उसका पासपोर्ट ही रद्द कर दिया.