नई दिल्ली :राजधानी में वाहन चोरी एक बड़ी समस्या है. पुलिस के तमाम प्रयासों के बावजूद वाहन चोरी के मामलों में प्रत्येक वर्ष इजाफा हो रहा है. राजधानी में औसतन 100 से ज्यादा गाड़ियां रोजाना चोरी होती हैं. पुलिस ने वाहन चोरी रोकने के लिए इसके कारणों का पता लगाया है. इसके अनुसार वह अपनी रणनीति बना रहे हैं, जिससे वाहन चोरी को रोका जा सके.
उत्तरी जिला डीसीपी सागर सिंह कलसी ने बताया कि 22 मार्च तक 2022 में 399 वाहन चोरी उनके जिला में हुए हैं. यह आंकड़ा वर्ष 2021 में 603 था. इस वर्ष वाहन चोरी के 14 फीसदी मामलों को उत्तरी जिला ने सुलझाया है. जबकि बीते वर्ष यह 11 फीसदी था. उन्होंने बताया कि कुछ वाहन चोर गैंग लगातार सक्रिय रहते हैं और मौका मिलते ही गाड़ी चोरी कर फरार हो जाते हैं. उन्होंने बताया कि लूट या झपटमारी की वारदात करने के लिए बदमाश को किसी शख्स को तलाशना पड़ता है. वह उसका विरोध भी कर सकता है. लेकिन वाहन चोरी के समय केवल गाड़ी को निशाना बनाना होता है. इसलिए बदमाश वाहन चोरी के अपराध को ज्यादा पसंद करते हैं. इसमें रिस्क कम और मुनाफा ज्यादा होता है.
डीसीपी सागर सिंह कलसी ने बताया कि दिल्ली में गाड़ियों की संख्या बहुत ज्यादा है. लेकिन गाड़ियों को खड़ा करने के लिए जगह नहीं है. खासतौर से चारदीवारी के भीतर गाड़ी की पार्किंग नहीं होती. इस वजह से लोग कहीं भी गाड़ी को खड़ा कर देते हैं. इससे चोर के लिए गाड़ी चुराना आसान हो जाता है. उन्होंने बताया कि उनके यहां नेहरू नगर इलाके में काफी गाड़ियां चोरी होती थी. यहां वाहन चोरी रोकने के लिए लोगों के साथ मिलकर गेट लगाए गए हैं. इससे वाहन चोरी की घटनाओं में 50 से 70 फीसदी तक की कमी आई है. उन्होंने बताया कि पुलिस लगातार पेट्रोलिंग करने के साथ वाहन चोरी करने वाले गैंग पर नजर रखती है. उत्तरी जिले में जगुआर टीम है जो हाईवे पर पेट्रोलिंग करती है. इस टीम ने 100 से ज्यादा वाहन चोर पकड़े हैं. उन्होंने वाहन चोरों की बुकलेट भी छपवाई है जो जांच टीम के पास रहती है. इससे उनकी पहचान कर पकड़ना आसान हो जाता है.
वाहन चोरी के बड़े कारण
- कम खतरे और बड़े मुनाफे के चलते यह अपराधियों को काफी पसंद आता है.
- आवासीय/व्यवसायिक क्षेत्रों में पार्किंग की कमी.
- गाड़ी में चोरी रोकने से संबंधित उपकरण का इस्तेमाल नहीं होना.
- उच्च सुरक्षा पंजीकरण प्लेट ना लगवाना. इसके चलते फर्जी नंबर प्लेट आसानी से बदली जा सकती है.
- अन्य राज्यों में चोरी के वाहन और उनके पार्ट्स की डिमांड.