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उमर खालिद और शरजील इमाम की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई टली

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Published : Aug 31, 2022, 7:53 AM IST

Updated : Aug 31, 2022, 7:33 PM IST

दिल्ली हिंसा के आरोपियों उमर खालिद और शरजील इमाम (Delhi Violence Accused Umar Khalid and Sharjeel Imam) की जमानत याचिकाओं पर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई नहीं हो सकी.

उमर खालिद और शरजील इमाम की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई आज
उमर खालिद और शरजील इमाम की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई आज

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट में बुधवार को दिल्ली हिंसा के आरोपियों उमर खालिद और शरजील इमाम की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई नहीं हो सकी. बताया जा रहा है कि जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल की अध्यक्षता वाली बेंच के उपलब्ध नहीं होने के कारण ऐसा हुआ.

23 अगस्त को उमर खालिद की जमानत याचिका का विरोध करते हए दिल्ली पुलिस ने हाईकोर्ट में दलील दी थी कि शाहीन बाग का धरना महिलाओं की ओर से किया गया स्वतंत्र आंदोलन नहीं था. धरना और प्रदर्शन स्थल योजनाबद्ध तरीके से मस्जिदों के नजदीक बनाए गए थे. दिल्ली पुलिस की ओर से स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर अमित प्रसाद ने कहा था कि आरोपियों के व्हाट्स ऐप चैट में कहा गया कि धरना स्थलों पर ज्यादा हिन्दूओं को लाया जाए ताकि वो धर्मनिरपेक्ष दिखे. उन्होंने कहा कि शाहीन बाग का आंदोलन महिलाओं की ओर से किया गया स्वतंत्र आंदोलन नहीं था.

अमित प्रसाद ने कहा था कि दंगे के दौरान हर प्रदर्शन स्थल पर कानूनी मदद के लिए टीम थी. इस टीम का समन्वय डीपीएसजी नामक व्हाट्स ऐप ग्रुप के जरिए किया गया था. उन्होंने कहा था कि हर समय पुलिस ने कार्रवाई की, लेकिन उसके तत्काल बाद वकीलों को कानूनी मदद के लिए भेजा गया. प्रदर्शनों में स्थानीय लोगों का समर्थन नहीं था. दूसरे स्थानों से लोगों को लाया जाता था. धरना स्थलों पर भाषण देने के लिए वक्ताओं और रंगकर्मियों को रखा गया था, ताकि लोग उबे नहीं. यहां तक कि धरनास्थलों को मस्जिदों के नजदीक बनाया गया था.

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4 अगस्त को सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने कहा था कि शाहीन बाग का प्रदर्शन नानी और दादी का नहीं था जैसा कि प्रचारित किया गया. दिल्ली पुलिस की ओर से पेश स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर अमित प्रसाद ने कहा था कि शाहीन बाग का आंदोलन शरजील इमाम की ओर से एक सुनियोजित तरीके से जुटाए गए संसाधनों द्वारा आयोजित किया गया था. प्रसाद ने कहा था कि प्रदर्शन स्थल पर समर्थकों की संख्या काफी कम थी. कलाकारों और संगीतकारों को बाहर से लाया जाता था ताकि स्थानीय लोग लगातार प्रदर्शन में हिस्सा लेते रहें.

2 अगस्त को अमित प्रसाद ने कहा था कि 13 दिसंबर 2019 को सबसे पहली हिंसा हुई. ये हिंसा शरजील इमाम की ओर से पर्चे बांटने की वजह से हुई. अमित प्रसाद ने 13 दिसंबर 2019 को शरजील इमाम द्वारा जामिया में दिए भाषण का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि शरजील इमाम के भाषण में साफ कहा गया कि उसका लक्ष्य चक्का-जाम था और इस जाम के जरिये दिल्ली में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति को बाधित करना था. शरजील के भाषण के तुरंत बाद दंगा भड़का। उसके बाद शाहीन बाग में प्रदर्शन का स्थल बनाया गया. बता दें कि अमित प्रसाद 1 अगस्त से दलीलें रख रहे हैं.

Last Updated :Aug 31, 2022, 7:33 PM IST

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