नई दिल्ली :पीएम केयर्स फंड को सरकारी फंड घोषित करने के मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय में गुरुवार को सुनवाई हुई. याचिकाकर्ताश्याम दीवान ने कहा कि कई केंद्रीय मंत्रियों और यहां तक कि देश के उपराष्ट्रपति तक ने कहा कि ये भारत सरकार के प्रयासों का नतीजा है. दीवान ने उपराष्ट्रपति, रक्षा मंत्री समेत केंद्र के मंत्रियों और सरकार के उच्च अधिकारियों के सार्वजनिक अपीलों का उदाहरण दिया, जिसमें आम लोगों और सरकारी कर्मचारियों से कहा गया था कि पीएम केयर्स फंड में दान करें. इन अपीलों से साफ है कि पीएम केयर्स फंड एक राष्ट्रीय फंड है, जो भारत सरकार की ओर से गठित किया गया है.
श्याम दीवान ने कहा कि हम ये नहीं कह रहे हैं कि पीएम केयर्स फंड बुरा है, लेकिन इसे संविधान की परिधि में आना चाहिए. PMO जो कहे, लेकिन उपराष्ट्रपति और केंद्रीय मंत्री तो इसे सरकारी फंड ही समझते हैं. उन्होंने कहा कि संवैधानिक पदों पर बैठा व्यक्ति संविधान के बाहर की बात नहीं कर सकता है. क्या कोई कलेक्टर सरकारी अधिकार से निजी ट्रस्ट गठित करे और कहे कि ये निजी ट्रस्ट है. यही बात न्यायपालिका पर भी लागू होती है. यह कहना कि पीएम केयर्स फंड में दान देनेवालों के नामों का खुलासा नहीं किया जा सकता है, एक अस्वस्थ परंपरा को जन्म देगी.
दीवान ने ट्रस्ट डीड का हवाला देते हुए कहा कि पीएम केयर्स फंड को प्रधानमंत्री ने गठित किया और वे इसके पदेन चेयरपर्सन हैं. इतने बड़े उच्च संवैधानिक पद पर बैठा व्यक्ति संविधान की परिधि के बाहर कोई ढांचा कैसे खड़ा कर सकता है. पूरी दुनिया में पीएम केयर्स फंड को भारत सरकार के हिस्सा की तरह पेश किया गया.
23 सितंबर को प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने हाईकोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा कि पीएम केयर्स फंड पर उसका नियंत्रण नहीं है और वह एक चैरिटेबल ट्रस्ट है. PMO के अंडर सेक्रेटरी प्रदीप कुमार श्रीवास्तव ने हलफनामा में कहा है कि वो सूचना के अधिकार के तहत तीसरे पक्ष की सूचना का खुलासा करने के लिए बाध्य नहीं हैं. श्रीवास्तव ने कहा है कि वे ट्रस्ट में एक मानद पद पर हैं और इसके काम में पारदर्शिता है. हलफनामा में कहा गया है कि पीएम केयर्स फंड का आडिट चार्टर्ड अकाउंटेंट करता है, तो सीएजी के पैनल का है. पीएम केयर्स फंड का आडिट रिपोर्ट इसके वेबसाइट पर अपलोड किया जाता है.