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Hindi Diwas 2021: 'हिंदी को लेकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का सपना अभी पूरा नहीं हुआ'

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Published : Sep 14, 2021, 7:46 AM IST

Updated : Sep 14, 2021, 8:23 AM IST

Delhi University Professor Niranjan Kumar on Hindi Divas
हिंदी दिवस

हर साल की तरह इस साल भी आज यानी 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जा रहा है. इसका उद्देश्य लोगों को हिंदी भाषा के विकास को लेकर रूबरू कराना है. इसी कड़ी में दिल्ली विश्वविद्यालय हिंदी विभाग के प्रोफेसर निरंजन कुमार ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की.

नई दिल्ली: प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है. मौजूदा समय में हिंदी के क्या मायने हैं. हिंदी की वर्तमान स्थिति तकनीक के बदलते इस दौर में हिंदी अपने अस्तित्व को लेकर किस तरह से संघर्ष कर रही है. इन तमाम बातों को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय हिंदी विभाग के प्रोफेसर निरंजन कुमार से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि बदलते दौर में हिंदी का प्रचार-प्रसार बढ़ा है, लेकिन हिंदी का संघर्ष अभी भी जारी है.

दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के प्रोफेसर निरंजन कुमार ने कहा कि हिंदी जब कहते हैं तो जन सामान्य यह समझता है कि हिंदी भाषा और हिंदी साहित्य ही केवल हिंदी है. उन्होंने कहा कि हिंदी की परिधि आज काफी ज्यादा बढ़ चुकी है. हिंदी में काफी कुछ काम किया जा रहा है. इस दौरान उन्होंने कहा कि पहले केवल यह धारणा थी कि हिंदी भाषा और साहित्य तक ही है लेकिन यह धारणा अब धीरे-धीरे बदल रही है.

हिंदी दिवस
हिंदी की वर्तमान स्थिति को लेकर उन्होंने कहा कि हिंदी पहले केवल भाषा और साहित्य तक ही सीमित थी, लेकिन मौजूदा समय में हिंदी अब केवल भारत ही नहीं पूरे विश्व में बोली जा रही है. उन्होंने कहा कि भारत के लोग जहां-जहां भी गए वह भाषा और संस्कृति अपने साथ लेकर गए हैं. इससे हिंदी भाषा का भी प्रचार-प्रसार हुआ है, जिनमें मॉरीशस, गयाना, त्रिनिदाद एंड टोबैगो, वेस्टइंडीज, अमेरिका सहित यूरोप के कई देशों में हिंदी प्रमुख रूप से बोली जा रही है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में केवल अमेरिका में ही 100 से अधिक विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जा रही है.प्रोफेसर निरंजन कुमार ने कहा कि हम आजादी का 75वां वर्ष मना रहे हैं. लेकिन हिंदी का संघर्ष आज भी जारी है. उन्होंने कहा कि हिंदी को जिन महान लोगों ने राष्ट्रभाषा बनाने का सपना देखा था, वह हिंदी भाषी प्रदेश से नहीं थे, लेकिन आज़ादी के बाद हिंदी के साथ विचित्र स्थिति देखने को मिली. हिंदी को राजभाषा के रूप में मंजूरी मिली, लेकिन शिक्षा, सरकारी कामकाज और विचार विमर्श में जो हिंदी को सम्मान मिलना चाहिए था, वह नहीं मिल पाया है. इसके कारण हिंदी आज भी संघर्ष कर रही है. चाहे वह शिक्षा के माध्यम में हो, विचार विमर्श या सत्ता और रोजगार के रूप में ही क्यों ना हो. वहीं उन्होंने मौजूदा केंद्र सरकार की प्रशंसा करते हुए कहा कि वह हिंदी के प्रचार प्रसार में काफी काम कर रही है.

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प्रोफेसर निरंजन कुमार ने आगे कहा कि हिंदी को लेकर जो सपना राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने देखा था. राजनेता उसे वह स्थान नहीं दिला पाए. हिंदी के साथ राजनीति हुई है. उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय भाषा राज्यों में हिंदी को लेकर काफी राजनीति के कारण आंदोलन भी देखने को मिले हैं. जबकि हिंदी का संघर्ष क्षेत्रीय भाषा से नहीं था. हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओं का संघर्ष अंग्रेजी भाषा से था और वह आज भी निरंतर जारी है.

प्रोफेसर निरंजन कुमार ने कहा कि मौजूदा समय में हिंदी का निरंतर विकास हो रहा है. साथ ही कहा कि हिंदी का भविष्य उज्जवल है तकनीक के जरिए उसका प्रचार प्रसार और बढ़ा है.

Last Updated :Sep 14, 2021, 8:23 AM IST

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