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Delhi Riots : विरोध प्रदर्शन सरकार को बदनाम करने की नीयत से किए गए थे - दिल्ली पुलिस

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Published : Jan 28, 2022, 6:32 PM IST

दिल्ली हिंसा के आरोपी उमर खालिद की जमानत याचिका का विरोध करते हुए दिल्ली पुलिस ने कहा कि 2020 में किए गए विरोध से नागरिकता संशोधन कानून का कोई लेना-देना नहीं था बल्कि उसके जरिये सरकार को अंतरराष्ट्रीय मीडिया में बदनाम करने की नीयत थी.

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नई दिल्ली : दिल्ली पुलिस ने दिल्ली हिंसा के आरोपी उमर खालिद की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि 2020 में किए गए विरोध से नागरिकता संशोधन कानून का कोई लेना-देना नहीं था बल्कि उसके जरिये सरकार को अंतरराष्ट्रीय मीडिया में बदनाम करने की नीयत थी. जमानत याचिका पर सुनवाई कल भी जारी रहेगी.

दिल्ली पुलिस की ओर से स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्युटर अमित प्रसाद ने 20 फरवरी 2020 में उमर खालिद द्वारा अमरावती में दिए गए भाषण का जिक्र किया जिसमें तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का जिक्र किया गया था. अमित प्रसाद ने कहा कि देश में चल रहे विरोध प्रदर्शनों की ओर अंतरराष्ट्रीय मीडिया की ओर ध्यान आकर्षित करना मकसद था. अमित प्रसाद ने कहा कि उमर खालिद ने अपने भाषण में कहा कि प्रधानमंत्री अमेरिका गए थे और हम डोनाल्ड ट्रंप से मिलेंगे.

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11 जनवरी को सुनवाई के दौरान प्रसाद ने कहा था कि उमर खालिद वेब सीरीज का हवाला देकर याचिका का निपटारा करवाना चाहता है, उनकी दलीलों में कोई दम नहीं है. अमित प्रसाद ने कहा था कि उमर खालिद की ओर से वेब सीरीज फैमिली मैन और सिनेमा ट्रायल ऑफ शिकागो का हवाला दे रहे हैं. जब आपकी दलीलों में कोई दम नहीं होता है वे हेडलाइंस में रहने के लिए ऐसी दलीलें देते हैं. उन्होंने कहा था कि जब कानून की दलीलें दी जाती हैं तो सुनवाई की कोई रिपोर्टिंग नहीं होती लेकिन जब फैमिली मैन की दलीलें दी जाती हैं तो उनका कवरेज होता है. ये सब कुछ एक राय बनाने के लिए किया जाता है.


अमित प्रसाद ने उमर खालिद के वकील त्रिदीप पायस की इस दलील का विरोध किया था कि जांच एजेंसी और जांच अधिकारी सांप्रदायिक हैं. उन्होंने कहा था कि जांच एजेंसी किसी व्यक्ति की नहीं है, ये सरकार की है. उन्होंने कहा था कि जमानत पर सुनवाई के दौरान गवाहों की विश्वसनीयता नहीं देखी जाती है. आप हमारी दलीलों को खारिज कर सकते हैं, पुलिस को दिए गए बयानों को अविश्वसनीय बना सकते हैं, लेकिन अगर कोई गवाह कोर्ट में बयान दर्ज कराता है तो उसे अविश्वसनीय नहीं कहा जा सकता है.

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अमित प्रसाद ने कहा कि ये मामला दिल्ली हिंसा की बड़ी साजिश से जुड़ा हुआ है. उन्होंने कहा कि हिंसा फैलाने के लिए एक गुप्त समझौता हुआ था. जिसे लोग सार्वजनिक नहीं करना चाहते हैं. जब अपराध का खुलासा हुआ तो आरोपियों ने अपने को छिपाने की कोशिश की. अमित प्रसाद ने त्रिदीप पायस की इस दलील का विरोध किया कि व्हाट्सएप ग्रुप का सदस्य होना अपराध नहीं है. उन्होंने कहा कि व्यक्तिग स्तर पर कोई चीज गैरकानूनी नहीं होती है. उसका परिणाम गैरकानूनी होता है. उन्होंने कहा कि राजीव गांधी हत्याकांड में नलिनी का बैटरी खरीदना गैरकानूनी नहीं था. सब कुछ साक्ष्यों पर निर्भर करता है. उत्तर-पूर्वी दिल्ली के दंगे अचानक नहीं हुए थे. ये बात हाईकोर्ट ने भी स्वीकार किया है.


क्राइम ब्रांच ने उमर खालिद पर दंगे भड़काने, दंगों की साजिश रचने और देश विरोधी भाषण देने के अलावा दूसरी धाराओं के तहत चार्जशीट दाखिल किया था. करीब 100 पेज की चार्जशीट में कहा गया है कि 8 जनवरी 2020 को शाहीन बाग में उमर खालिद, खालिद सैफी और ताहिर हुसैन ने मिलकर दिल्ली दंगों की योजना बनाने के लिए मीटिंग की. इस दौरान ही उमर खालिद ने नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ प्रदर्शनों में मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार और महाराष्ट्र में हिस्सा लिया और भड़काऊ भाषण दिए. इन भाषणों में उमर खालिद ने दंगों के लिए लोगों को भड़काया. चार्जशीट में कहा गया है कि जिन-जिन राज्यों में उमर खालिद गया. उसके लिए उसे आने-जाने और रुकने का पैसा प्रदर्शनकारियों के कर्ता-धर्ता इंतजाम करते थे.

उमर खालिद को 13 सितंबर 2020 को पूछताछ के बाद स्पेशल सेल ने गिरफ्तार कर लिया था. 17 सितंबर 2020 को कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की ओर से दायर चार्जशीट का संज्ञान लिया था. 16 सितंबर 2020 को स्पेशल सेल ने चार्जशीट दाखिल किया था.

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