नई दिल्ली: दिल्ली हिंसा के आरोपी उमर खालिद ने अपनी जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान इन आरोपों का खंडन किया कि उमर खालिद के पिता के कहने पर 250 बांग्लादेशी महिलाएं विरोध प्रदर्शन में शामिल होने पहुंची थीं. उमर की ओर से वकील त्रिदिप पायस ने कहा कि पुलिस पोपुलर फ्रंट का नाम इसलिए सामने ला रही है ताकि चीजों को और उलझाया जाए. इस मामले पर अगली सुनवाई पांच जनवरी 2022 को होगी.
पायस ने कहा कि एक गवाह की ओर से ये कहना कि प्रदर्शन में 250 बांग्लादेशी महिलाएं पहुंची थीं. इसका मतलब ये है कि गवाह एक सुपरमैन है जो हर एक महिला को व्यक्तिगत रूप से जानता था. पायस ने कहा कि जिस प्रदर्शन में उमर खालिद ने भाषण दिया था उसमें कुछ भी गैरकानूनी घटित नहीं हुआ था. पायस ने कहा कि गवाह मजिस्ट्रेट के सामने जो बयान देता है उससे जब पुलिस काम नहीं चलता तो वो गवाह को दोबारा पुलिस के समक्ष बयान देने के लिए बुलाता है. फरवरी की घटना के लिए पुलिस को गवाह दिसंबर में मिले. ये हास्यास्पद है.
बीते 29 नवंबर को उमर खालिद ने कहा था कि जब पुलिस को एक गवाह ने दंगे की पूरी योजना की जानकारी दी थी कि पुलिस ने दंगा होने क्यों दिये. पायस ने एक संरक्षित गवाह के बयान का हवाला देते हुए कहा कि वो सीलमपुर के एसएचओ के लगातार संपर्क में था. गवाह जनवरी 2020 में एसएचओ से मिला था. एसएचओ ने उसे लगातार अपडेट देने को कहा था. ऐसे में जब दिल्ली पुलिस को पहले से जानकारी थी तो उसने दंगे को होने क्यों दिये. एसएचओ ने एफआईआर दर्ज क्यों नहीं की.
पायस ने पुलिस के इन आरोपों का खंडन किया कि नागरिकता संशोधन कानून के विरोध के दौरान महिलाओं और बच्चों को आगे किया गया. उन्होंने कहा कि किसी कानून का विरोध करना अपराध नहीं है.
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8 नवंबर को सुनवाई के दौरान उमर खालिद की ओर से पेश वकील त्रिदीप पायस ने कहा था कि ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है जो ये साबित कर सके कि वो साजिश में शामिल रहा है. पायस ने कहा था कि किसी भी गवाह या साक्ष्य ने ऐसा कुछ नहीं बताया कि उमर खालिद ने दिल्ली हिंसा के लिए कोई साजिश रची. उन्होंने कहा था कि विरोध प्रदर्शन के आयोजनकर्ताओं की ओर से उम्र खालिद को किसी स्थान पर नहीं भेजा गया था लेकिन उसके बावजूद उमर खालिद जेल में बंद है.
पायस ने कहा था कि एक चाय वाले का बयान है कि उमर खालिद ने दिल्ली दंगों की साजिश रची, लेकिन हास्यास्पद है कि कोई साजिशकर्ता अपनी पूरी योजना का खुलासा किसी चाय वाले के पास क्यों करेगा. इससे ये साफ है कि वो बयान किसी और ने लिखा है.
छह सितंबर को उमर खालिद ने पहले से दायर अपनी जमानत याचिका को वापस लेते हुए नई जमानत याचिका दायर की थी. उमर खालिद की ओर से पेश वकील त्रिदिप पायस ने कहा था कि उन्होंने पहले जो जमानत याचिका दायर किया था वो अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 439 के तहत दायर की गई थी. दिल्ली पुलिस की ओर से इस याचिका को सुनवाई योग्य नहीं मानने पर पायस ने धारा 439 के तहत दायर जमानत याचिका वापस ले लिया और अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 437 के तहत नई याचिका दायर किया. कोर्ट ने धारा 437 के तहत दायर नई याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया.
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बता दें कि क्राइम ब्रांच ने दिल्ली हिंसा मामले में दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट में उमर खालिद के खिलाफ चार्जशीट दाखिल किया था. क्राइम ब्रांच ने उमर खालिद पर दंगे भड़काने, दंगों की साजिश रचने और देशविरोधी भाषण देने के अलावा दूसरी धाराओं के तहत चार्जशीट दाखिल किया था. करीब 100 पेजों की चार्जशीट में कहा गया है कि 8 जनवरी 2020 को शाहीन बाग में उमर खालिद, खालिद सैफी और ताहिर हुसैन ने मिलकर दिल्ली दंगों की योजना बनाने के लिए मीटिंग की.
इस दौरान ही उमर खालिद ने नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ प्रदर्शनों में मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार और महाराष्ट्र में हिस्सा लिया और भड़काऊ भाषण दिए. इन भाषणों में उमर खालिद ने दंगों के लिए लोगों को भड़काया है. चार्जशीट में कहा गया है कि जिन-जिन राज्यों में उमर खालिद गया, उसके लिए उसे आने-जाने और रुकने का पैसा प्रदर्शनकारियों के कर्ता-धर्ता इंतजाम करते थे.