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जानिए क्यों दिल्ली दंगों में UAPA के आरोपियों की डगर नहीं आसान

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Published : Feb 24, 2021, 6:24 PM IST

दिल्ली दंगा
दिल्ली दंगा

उत्तर-पूर्वी दिल्ली में नागरिकता कानूनों के विरोध में शुरू हुए प्रदर्शनों का पटाक्षेप दंगों के रूप में हुआ. हिंसा में 53 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 581 लोग घायल हुए थे. दिल्ली पुलिस के मुताबिक इन दंगों को लेकर कुल 755 एफआईआर दर्ज की गई थी. इनमें से 400 मामलों में 1818 आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी हैं. वहीं 18 लोगों को यूएपीए के तहत आरोपी बनाया है. इन 18 में से एक आरोपी सफूरा जरगर को मानवीय आधार पर हाईकोर्ट से जमानत मिली है, जबकि 17 अन्य जेल में बंद हैं.

नई दिल्ली : उत्तर-पूर्वी दिल्ली के दंगों ने जिस कानून को चर्चा में लाया है वो है यूएपीए. कानून के जानकारों की मानें तो यूएपीए में 2019 में जो संशोधन हुए हैं, जिसके बाद आरोपियों को बेगुनाह साबित होने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ेगा. इसमें राहत मिलने की संभावना काफी हम होती है.

दिल्ली दंगों में यूएपीए के आरोपियों की डगर नहीं है आसान..!

755 एफआईआर, 1818 गिरफ्तारी
पिछले साल 24-25 फरवरी को उत्तर-पूर्वी दिल्ली के दंगों के एक साल पूरे हो रहे हैं. दिल्ली पुलिस ने अब तक 755 एफआईआर दर्ज किए हैं. अब तक 400 एफआईआर में 1818 लोगों की गिरफ्तारी की गई है. इन दंगों में साजिश रचने के मामले में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने अब तक 18 लोगों को आरोपी बनाया है. इन 18 में से एक आरोपी सफूरा जरगर के अलावा सभी आरोपी जेल में बंद हैं. सफूरा जरगर को मानवीय आधार पर हाईकोर्ट से जमानत मिली थी.

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कौन-कौन हैं आरोपी
सफूरा जरगर को छोड़कर यूएपीए के जो आरोपी जेल में बंद हैं, उनमें ताहिर हुसैन, उमर खालिद, खालिद सैफी, इशरत जहां, मीरान हैदर, गुलफिशा, शफा उर रहमान, आसिफ इकबाल तान्हा, शादाब अहमद, तसलीम अहमद, सलीम मलिक, मोहम्मद सलीम खान, अतहर खान, शरजील इमाम, फैजान खान, नताशा नरवाल और देवांगन कलीता शामिल हैं.

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'काफी सख्त कानून है यूएपीए'
कानून के जानकारों के मुताबिक, इन आरोपियों को भारतीय दंड संहिता की दूसरी धाराओं के तहत भले जमानत मिल जाए, लेकिन यूएपीए के तहत राहत मिलना मुश्किल काम है. दिल्ली हाईकोर्ट के वकील अरुण गुप्ता बताते हैं कि यूएपीए में पहले संगठनों के खिलाफ कार्रवाई होती थी, लेकिन 2019 में केंद्र सरकार ने संशोधन कर व्यक्तियों को भी शामिल कर दिया.

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'आरोपियों के राह बड़े कठिन'
अरुण गुप्ता के मुताबिक, यूएपीए के आरोपियों को राहत मिलना काफी मुश्किल काम है. दूसरे केसों में कोर्ट से बरी होने के बाद आरोपी रिहा हो जाता था, लेकिन यूएपीए के आरोपी के तहत केंद्र सरकार की रिव्यू कमेटी के पास जाना होता है. कमेटी के क्लीन चिट मिलने के बाद ही आरोपी स्वतंत्र हो पाएंगे. ऐसे में यूएपीए के सभी 18 आरोपियों को निकट भविष्य में राहत की उम्मीद नहीं है.

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