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दुर्लभ बीमारियों से जूझ रहे बच्चों के इलाज के लिए फंड उपलब्ध कराए केंद्र सरकार

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Published : Dec 14, 2021, 9:38 PM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह दुर्लभ बीमारियों से जूझ रहे बच्चों के इलाज के लिए दिल्ली के एम्स और देश के दूसरे केंद्रों को धन मुहैया (provide fund for treatment rare dieses among children) कराए. अर्नेश शॉ नामक बच्चे ने इस मामले में याचिका दायर (Arnesh shaw filed petition) की थी.

अर्नेश शॉ नामक बच्चे ने याचिका दायर (Arnesh shaw filed petition) की थी
अर्नेश शॉ नामक बच्चे ने याचिका दायर (Arnesh shaw filed petition) की थी

नई दिल्ली :दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश (Delhi high court directed central government) दिया है कि वह दुर्लभ बीमारियों से जूझ रहे बच्चों के इलाज के लिए दिल्ली के एम्स और देश के दूसरे केंद्रों को धन मुहैया (provide fund for treatment rare dieses among children) कराए. जस्टिस रेखा पल्ली की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि ऐसे बच्चों को उनके हाल पर नहीं छोड़ा जा सकता है क्योंकि केंद्र की योजना इन बच्चों के कल्याण के लिए ही है.


सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार ये कह रही है कि उसकी योजना दुर्लभ बीमारियों से ग्रस्त बच्चों के इलाज के लिए ही है. ऐसे में एम्स या दूसरे संस्थानों में जहां इन बीमारियों का इलाज होना है, उन्हें फंड की कमी नहीं होनी चाहिए. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा ने बताया कि कई सार्वजनिक उपक्रम कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (Fund under corporate social responsibility) के तहत दुर्लभ बीमारियों से ग्रस्त बच्चों के इलाज के लिए फंड मुहैया करा रहे हैं. ये सार्वजनिक उपक्रम की ओर से दिया गया फंड 1200 करोड़ रुपये तक का है.

अर्नेश शॉ नामक बच्चे ने याचिका दायर (Arnesh shaw filed petition) की थी

7 दिसंबर को कोर्ट ने केंद्र सरकार को इस बात के लिए फटकार लगाई थी कि दुर्लभ बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए आवंटित धन का पूरा उपयोग नहीं कर रही है. कोर्ट ने केंद्र सरकार के हलफनामे का जिक्र करते हुए कहा था कि पिछले तीन सालों में दुर्लभ बीमारियों के इलाज के लिए आवंटित 193 करोड़ रुपये धन का उपयोग नहीं किया गया. मामले की अगली सुनवाई 15 दिसंबर को होगी. कोर्ट ने कहा था कि केंद्र सरकार ये बता पाने में नाकाम रही है कि वो आवंटित धन का पूरा उपयोग क्यों नहीं कर सकी है. केंद्र केवल ये बता रही है कि उसने ये किया -वो किया, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है. इससे बच्चों को क्या मिल रहा है, कुछ नहीं. कोर्ट ने कहा था कि हमारे आदेश के नौ महीने बीत गए, लेकिन हम अभी चौराहे पर खड़े हैं.

4 अगस्त को केंद्र ने कोर्ट को बताया था कि दुर्लभ बीमारियों से जूझ रहे बच्चों के इलाज के लिए आनलाइन क्राऊड फंडिंग का प्लेटफार्म लांच कर दिया गया है. केंद्र सरकार की ओर से एएसजी चेतन शर्मा ने कहा था कि ऑनलाइन पोर्टल काम करने लगा है. इसका लिंक है- http://rarediseases.aardeesoft.com उन्होंने कहा था कि सरकारी कंपनियों और निजी कॉरपोरेट से इस पोर्टल के जरिये धन देने के लिए प्रेरित करने की कोशिश की जा रही है. केंद्र सरकार के इस प्रयास की हाईकोर्ट (High court admires) ने सराहना करते हुए पोर्टल के व्यापक प्रचार-प्रसार करने का निर्देश दिया था.

14 जुलाई को हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि वह दुर्लभ बीमारियों से जूझ रहे बच्चों के इलाज के लिए क्राऊड फंडिंग का प्लेटफार्म तत्काल लांच (platform for crowd funding) करें. 19 अप्रैल को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया था कि दुर्लभ बीमारियों के इलाजे के लिए नेशनल हेल्थ पॉलिसी फॉर रेयर डिसीजेस (National health policy for rare dieses) को पिछले 30 मार्च को नोटिफाई कर दिया गया.

अर्नेश शॉ नामक बच्चे ने याचिका दायर (Arnesh shaw filed petition) की थी. पिछले 23 मार्च को सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि वह नेशनल हेल्थ पॉलिसी फॉर रेयर डिसीजेस को 31 मार्च तक लागू करें. कोर्ट ने केंद्र सरकार को दुर्लभ बीमारियों के इलाज के रिसर्च करने के लिए एक कमेटी और एक फंड गठित करने का निर्देश दिया था. कोर्ट ने नेशनल कंसोर्टियम फॉर रिसर्च, डेवलपमेंट एंड थेराप्युटिक फॉर रेयर डिसीजेस नामक कमेटी का गठन करने और रेयर डिसीजेस फंड गठित (directed to form rare dieses fund) करने का आदेश दिया था.

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