नई दिल्ली :दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश (Delhi high court directed central government) दिया है कि वह दुर्लभ बीमारियों से जूझ रहे बच्चों के इलाज के लिए दिल्ली के एम्स और देश के दूसरे केंद्रों को धन मुहैया (provide fund for treatment rare dieses among children) कराए. जस्टिस रेखा पल्ली की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि ऐसे बच्चों को उनके हाल पर नहीं छोड़ा जा सकता है क्योंकि केंद्र की योजना इन बच्चों के कल्याण के लिए ही है.
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार ये कह रही है कि उसकी योजना दुर्लभ बीमारियों से ग्रस्त बच्चों के इलाज के लिए ही है. ऐसे में एम्स या दूसरे संस्थानों में जहां इन बीमारियों का इलाज होना है, उन्हें फंड की कमी नहीं होनी चाहिए. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा ने बताया कि कई सार्वजनिक उपक्रम कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (Fund under corporate social responsibility) के तहत दुर्लभ बीमारियों से ग्रस्त बच्चों के इलाज के लिए फंड मुहैया करा रहे हैं. ये सार्वजनिक उपक्रम की ओर से दिया गया फंड 1200 करोड़ रुपये तक का है.
7 दिसंबर को कोर्ट ने केंद्र सरकार को इस बात के लिए फटकार लगाई थी कि दुर्लभ बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए आवंटित धन का पूरा उपयोग नहीं कर रही है. कोर्ट ने केंद्र सरकार के हलफनामे का जिक्र करते हुए कहा था कि पिछले तीन सालों में दुर्लभ बीमारियों के इलाज के लिए आवंटित 193 करोड़ रुपये धन का उपयोग नहीं किया गया. मामले की अगली सुनवाई 15 दिसंबर को होगी. कोर्ट ने कहा था कि केंद्र सरकार ये बता पाने में नाकाम रही है कि वो आवंटित धन का पूरा उपयोग क्यों नहीं कर सकी है. केंद्र केवल ये बता रही है कि उसने ये किया -वो किया, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है. इससे बच्चों को क्या मिल रहा है, कुछ नहीं. कोर्ट ने कहा था कि हमारे आदेश के नौ महीने बीत गए, लेकिन हम अभी चौराहे पर खड़े हैं.